भ्रष्टाचार का इलाज

    

प्रिय ब्लोगी भाइयो,

मैंने पिछले कुछ दिन पहले एक निवेदन किया था कि कुछ बातों में कोई मतभेद नहीं है जैसे :
 भ्रस्ताचार है ,
सभी स्तरों पर है ,
सरकार इसे खत्म करने के प्रति उदासीन है
रामदेव , हजारे जैसे लोग कोशिश कर रहे हैं.
विपक्षी दलों में भी कोई सक्रियता नहीं है,
पिसने वाली आम जनता है ,
पता नहीं लोकपाल बिल बने न बने,
बने तो कैसा बने !

ऐसे में मैंने निवेदन किया था कि आम आदमी क्या इसे हटाने में कोई सार्थक  पहल कर सकता है  !

मुझे बहुत लोगों से फोन व अलग अलग लोगों से विभिन्न प्रतिक्रिया मिली , उनमे से जो मुझे सबसे अच्छी लगी , व ये है .

हर सरकारी दफ्तर के बाहर , उस नगर, कसबे , गाँव , शहर कि जो भी संस्था भ्रष्टाचार के खिलाफ है , वो अपना काउंटर लगाएं.  जगह मिले तो पक्के मकान में , नहीं तो खुले में ही कुर्सी मेज लगा कर.

उसमें. एक बरा बोर्ड लगा हो , जिसमें , जिनके खिलाफ शिकायत हो , उसका नाम , पद, और रिश्वत के पैसे कि रकम , इत्यादि लिखी हो ,

वह काउंटर , अपने यहाँ शिकायतों का रजिस्टर रखे, अपने आधार पर , आर .टी . आई . से सहायता ले, पुलिस कम्प्लेंट करें , उसे आफिस में कम्प्लेंट करें.

जहाँ सरक टूटी हो वहाँ , उस जगह के पार्षद, एम्. एल, ए .,  एम् . पी. , पार्टी का नाम लिख कर लगाएं.

ये छोटे मोटे कामों से भी बेईमानों को थोडा सा डर तो होगा.

एक मुख्य-सुझाव यह था कि एक एजेंसी हो जो  हरेक बरे पद पर के कर्मचारी की संपत्ति का ब्यौरा ले , और हर महीने सर्टिफिकेट इस्सू करे कि यह व्यक्ति ईमानदार है .

हर सरकारी पद पर नियुक्ति से पहले , उनसे , ईमान दारी की शपथ उस आफिस में सबके सामने खिलायी जाए , और नौकरी देने से पहले उसको लिख कर बता दिया जाय , कि उसे केवल तनखा में ही गुजारा करना होगा, यदि वह आपने को होशिअर समझता है तो , वाह नौकरी छोर कर व्यापार करे. मगर उस पद को व्यापार नहीं बना सकेगा.

सरकारी पद पर रिश्वत खाना , देश-द्रोह माना जायेगा .

यदि अभी भी आप कोई सुझाव दे सकते हों तो कृपया दीजिए, आपकी तरफ से आपका सुझाव ही भ्रष्टाचार के ताबूत में एक कील माना जायेगा, आपका सहयोग मन जायेगा, चाहे , आप अपने अपने ब्लॉग में सुझाव ले कर , इस ब्लॉग को दें.

बुद्धिजीवी का तो यही सहयोग माना जायेगा, क्योंकि वह सरक पर जा कर प्रदर्शन तो करेगा नहीं, क्योंकि वह तो बुद्धिजीवी है , कलम का , कम्पुटर का, उंगलिओं का खिलारी ही है .

विचार भी बहुत आवश्यक है , विचार ही नहीं होगा तो कार्य किस दिशा में होगा,

जय हिंद

           

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