अब मैं नाच्यों बहुत गुपाल । सूरदास

  

jaya kishori jii has sung this bhajan .



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अब मैं नाच्यों बहुत गुपाल ।

काम क्रोध को पहिरि चोलना, कंठ विषय की माल ।
महा मोह के नूपूर बाजत, निंदा शबद रसाल ।
भरम भरयो मन भयो पखावज, चलत कुसंगत चाल ।
तृष्णा नाद करत घट भीतर, नाना विधि दै ताल ।
माया को कटि फेटा बाँध्यो, लोभ तिलक दै भाल ।
कोटिक कला काँछि देखरार्इ, जल पल सुधि नहिं काल ।
सूरदास की सबै अविद्या दूरि करौ नंदलाल ।


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