भजन जिन्हें फ़िल्मी गाने के रूप में सुना जाता है

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हम तेरे प्यार में सारा आलम - Hum Tere Pyar Mein Sara Aalam (Lata Mangeshkar)

Movie/Album : दिल एक मंदिर (1963)
Music By : शंकर-जयकिशन
Lyrics By : हसरत जयपुरी
Performed By : लता मंगेशकर

हम तेरे प्यार में सारा आलम खो बैठे हैं
तुम कहते हो कि ऐसे प्यार को भूल जाओ, भूल जाओ
हम तेरे...

पंछी से छुड़ाकर उसका घर, तुम अपने घर पर ले आये
ये प्यार का पिंजरा मन भाया, हम जी भर-भर कर मुस्काये
जब प्यार हुआ इस पिंजरे से, तुम कहने लगे आज़ाद रहो
हम कैसे भुलायें प्यार तेरा, तुम अपनी ज़ुबाँ से ये न कहो
अब तुमसा जहां में कोई नहीं है, हम तो तुम्हारे हो बैठे
तुम कहते...

इस तेरे चरण की धूल से हमने, अपनी जीवन मांग भरी
जब ही तो सुहागन कहलाई, दुनिया के नज़र में प्यार बनीं
तुम प्यार की सुन्दर मूरत हो, और प्यार हमारी पूजा है
अब इन चरणों में दम निकले, बस इतनी और तमन्ना है
हम प्यार के गंगाजल से बलम जी, तनमन अपना धो बैठे
तुम कहते...

सपनों का दर्पण देखा था, सपनों का दर्पण तोड़ दिया
ये प्यार का आँचल हमने तो, दामन से तुम्हारे बाँध लिया
ये ऐसी गाँठ है उल्फत की, जिसको न कोई भी खोल सका
तुम आन बसे जब इस दिल में, दिल फिर तो कहीं ना डोल सका
ओ प्यार के सागर हम तेरी लहरों में नांव डुबो बैठे
तुम कहते...
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तेरा मेरा प्यार अमर
तेरा मेरा प्यार अमर
फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवनसाथी बता
क्यों दिल धड़के रह-रह कर 
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SATURDAY, JUNE 18, 2011

दाता एक राम-गैर फ़िल्मी भजन- हरिओम शरण

आज सुनते हैं एक भजन। गायक हैं हरिओम शरण।
बहुत प्रसिद्ध भजन है ये। आपने अवश्य ही इसे एक ना
एक बार सुना होगा।




भजन के बोल:

दाता एक राम
दाता एक राम
दाता एक राम

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया,
राम एक देवता पुजारी सारी दुनिया
पुजारी सारी दुनिया

द्वारे पे उसके जा के कोई भी पुकारता,
द्वारे पे उसके जा के कोई भी पुकारता
परम कृपा दे अपनी भव से उबारता
परम कृपा दे अपनी भव से उबारता
ऐसे दीनानाथ पे
ऐसे दीनानाथ पे बलिहारी सारी दुनिया
बलिहारी सारी दुनिया

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम

दो दिन का जीवन, प्राणी कर ले विचार तू
कर ले विचार तू
प्यारे प्रभु को अपने मन में निहार तू
प्यारे प्रभु को अपने मन में निहार तू
मन में निहार तू
बिना हरि नाम के
बिना हरि नाम के दुखियारी सारी दुनिया
दुखियारी सारी दुनिया

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम

नाम का प्रकाश जब अंदर जगाएगा
नाम का प्रकाश जब अंदर जगाएगा
प्यारे श्रीराम का तू दर्शन पाएगा
प्यारे श्रीराम का तू दर्शन पाएगा
ज्योति से जिसकी है
ज्योति से जिसकी है उजियारी सारी दुनिया
उजियारी सारी दुनिया

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम
दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम
दाता एक राम
दाता एक राम
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हसरत जयपुरी - ऐहसान तेरा होगा मुझपर, दिल चाहता है वो कहने दो (रफ़ी साहब)

गीतकार : हसरत जयपुरीराग : यमन कल्याण
चित्रपट : जंगली (१९६१)संगीतकार : शंकर जयकिशन
भाव : समर्पणगायन : मोहम्मद रफ़ी
ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥स्थायी॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।
ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

तुमने मुझको हँसना सिखाया,ओऽ
तुमने मुझको हँसना सिखाया,
रोने कहोगे रो लेंगे अब,
रोने कहोगे रो लेंगे।

आँसू का हमारे ग़म ना करो,
वो बहते तो बहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥१॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
मर भी गये तो देंगे दुआयें,
मर भी गये तो देंगे दुआयें।

उड़-उड़ के कहेंगी ख़ाक सनम,
ये दर्द-ए-मुहब्बत सहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥२॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।
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भरत व्यास - ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हों हमारे करम (लता दी)

गीतकार : भरत व्यासराग :
चित्रपट : दो आँखें बारह हाथ (१९५८)संगीतकार : वसंत देसाई
भाव : प्रार्थनागायन : लता मङ्केश्कर
ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकि हँसते हुए निकले दम॥स्थायी॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम।

ये अँधेरा घना छा रहा,
तेरा इंसान घबरा रहा।
हो रहा बेखबर, कुछ-ना आता नज़र,
सुख का सूरज छुपा जा रहा।

है तेरी रोशनी में जो दम,
तू अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकि हँसते हुए निकले दम॥१॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम।

जब जुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना।
वो बुराई करें, हम भलाई करें,
नहीं बदले की हो कामना।

बढ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम।
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकि हँसते हुए निकले दम॥२॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम।





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हसरत जयपुरी - ऐहसान तेरा होगा मुझपर, दिल चाहता है वो कहने दो (रफ़ी साहब)

गीतकार : हसरत जयपुरीराग : यमन कल्याण
चित्रपट : जंगली (१९६१)संगीतकार : शंकर जयकिशन
भाव : समर्पणगायन : मोहम्मद रफ़ी
ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥स्थायी॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।
ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

तुमने मुझको हँसना सिखाया,ओऽ
तुमने मुझको हँसना सिखाया,
रोने कहोगे रो लेंगे अब,
रोने कहोगे रो लेंगे।

आँसू का हमारे ग़म ना करो,
वो बहते तो बहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥१॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
मर भी गये तो देंगे दुआयें,
मर भी गये तो देंगे दुआयें।

उड़-उड़ के कहेंगी ख़ाक सनम,
ये दर्द-ए-मुहब्बत सहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥२॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।




मे
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राजेन्द्र कृष्ण - तुम ही मेरे मंदिर, तुम ही मेरी पूजा (लता दी)

गीतकार : राजेन्द्र कृष्णराग : यमन
चित्रपट : खानदान (१९६५)संगीतकार : रवि
भाव : समर्पणगायन : लता मङ्गेश्कर
तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो॥स्थायी॥

कोई मेरी आँखों से,
देखे तो समझे,
कि तुम मेरे क्या हो,
कि तुम मेरे क्या हो।

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

जिधर देखती हूँ,
उधर तुम ही तुम हो।
ना जाने मगर,
किन ख्यालों में गुम हो।
जिधर देखती हूँ,
उधर तुम ही तुम हो।
ना जाने मगर,
किन ख्यालों में गुम हो।

मुझे देखकर तुम,
ज़रा मुस्कुरा दो,
नहीं तो मैं समझूँगी,
मुझसे ख़फ़ा हो॥१॥

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

तुम ही मेरी माथे की,
बिंदिया की झिलमिल।
तुम ही मेरे हाथों के,
गजरों के मंजिल।
तुम ही मेरी माथे की,
बिंदिया की झिलमिल।
तुम ही मेरे हाथों के,
गजरों के मंजिल।

मैं हूँ एक छोटी-सी,
माटी की गुड़िया,
तुम ही प्राण मेरे,
तुम ही आत्मा हो॥२॥

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

बहुत रात बीती,
चलो मैं सुला दूँ।
पवन छेड़े सरगम,
मैं लोरी सुना दूँ।
हममऽऽ
हममऽऽ

बहुत रात बीती,
चलो मैं सुला दूँ।
पवन छेड़े सरगम,
मैं लोरी सुना दूँ।
तुम्हे देखकर ये,
ख्याल आ रहा है,
कि जैसे फ़रिश्ता,
कोई सो रहा हो॥३॥

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।
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हंगामा है क्यों बड़पा,, थोङी-सी जो पी ली है

ग़ज़ल - ग़ुलाम अली

हंगामा है क्यों बड़पा,
थोड़ी-सी जो पी ली है ।
डाका तो नहीं डाला,
चोरी तो नहीं की है ।।

उस मय से नहीं मतलब,
दिल जिस्से हो बेगाना ।
मकसूद है उस मय से,
दिल ही में जो खिंचती है ।।

सूरज में लगे धब्बा,
फितरत के करिश्मे हैं ।
बुत हमको कहें काफिर,
अल्लाह की मरज़ी है ।।

ना तजुर्बाकारी से,
वायज़ की ये बातें हैं ।
इस रंग को क्या जाने,
पूछो तो कभी पी है ।।

हर ज़र्रा चमकता है,
अनवर-ऐ-ईलाही से ।
हर साँस ये कहती है,
हम हैं तो ख़ुदा भी है ।।

हंगामा है क्यों बड़पा,
थोड़ी-सी जो पी ली है ।
डाका तो नहीं डाला,
चोरी तो नहीं की है ।।
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