Important Tips for Senior Citizens And all

👨‍🏫👩‍🏫 सभी *वरिष्ठ नागरिक* (55 से ऊपर की उम्र के) कृपया अवश्य पढ़ें, हो सकता है आपके लिए फायदेमंद हो ..
         
*आप जानते हैं कि मन चाहे कितना ही जोशीला हो पर साठ की उम्र पार होने पर यदि आप अपनेआप को फुर्तीला और ताकतवर समझते हों तो यह गलत है। वास्तव में ढलती उम्र के साथ शरीर उतना ताकतवर और फुर्तीला नहीं रह जाता।*

आपका शरीर ढलान पर होता है, जिससे ‘हड्डियां व जोड़ कमजोर होते हैं, पर *कभी-कभी मन भ्रम बनाए रखता है कि ‘ये काम तो मैं चुटकी में कर लूँगा’।* पर बहुत जल्दी सच्चाई सामने आ जाती है मगर एक नुकसान के साथ।

सीनियर सिटिजन होने पर जिन बातों का ध्यान रखा जाना चाहिए, ऐसी कुछ टिप्स दे रहा हूं।

 -- *धोखा तभी होता है जब मन सोचता है कि ‘कर लूंगा’ और शरीर करने से ‘चूक’ जाता है। परिणाम एक एक्सीडेंट और शारीरिक क्षति!*

ये क्षति फ्रैक्चर से लेकर ‘हेड इंज्यूरी’ तक हो सकती है। यानी कभी-कभी जानलेवा भी हो जाती है।

-- *इसलिए जिन्हें भी हमेशा हड़बड़ी में काम करने की आदत हो, बेहतर होगा कि वे अपनी आदतें बदल डालें।*

*भ्रम न पालें, सावधानी बरतें क्योंकि अब आप पहले की तरह फुर्तीले नहीं रहे।*

छोटी सी चूक कभी बड़े नुक़सान का कारण बन जाती है।

-- *सुबह नींद खुलते ही तुरंत बिस्तर छोड़ खड़े न हों, क्योंकि आँखें तो खुल जाती हैं मगर शरीर व नसों का रक्त प्रवाह पूर्ण चेतन्य अवस्था में नहीं हो पाता ।*

अतः पहले बिस्तर पर कुछ मिनट बैठे रहें और पूरी तरह चैतन्य हो लें। कोशिश करें कि बैठे-बैठे ही स्लीपर/चप्पलें पैर में डाल लें और खड़े होने पर मेज या किसी सहारे को पकड़कर ही खड़े हों। अक्सर यही समय होता है डगमगाकर गिर जाने का।

-- गिरने की सबसे ज्यादा घटनाएं बाथरुम/वॉशरुम या टॉयलेट में ही होती हैं। आप चाहे अकेले हों, पति/पत्नी के साथ या संयुक्त परिवार में रहते हों लेकिन बाथरुम में अकेले ही होते हैं।

-- *यदि आप घर में अकेले रहते हों, तो और अधिक सावधानी बरतें क्योंकि गिरने पर यदि उठ न सके तो दरवाजा तोड़कर ही आप तक सहायता पहुँच सकेगी, वह भी तब जब आप पड़ोसी तक समय से सूचना पहुँचाने में सफल हो सकेंगे।*

— *याद रखें बाथरुम में भी मोबाइल साथ हो ताकि वक्त जरुरत काम आ सके।*

-- देशी शौचालय के बजाय हमेशा यूरोपियन कमोड वाले शौचालय का ही इस्तेमाल करें। यदि न हो तो समय रहते बदलवा लें, इसकी तो जरुरत पड़नी ही है, अभी नहीं तो कुछ समय बाद।

संभव हो तो कमोड के पास एक हैंडिल लगवा लें। कमजोरी की स्थिति में इसे पकड़ कर उठने के लिए ये जरूरी हो जाता है।

बाजार में प्लास्टिक के वेक्यूम हैंडिल भी मिलते हैं, जो टॉइल जैसी चिकनी सतह पर चिपक जाते हैं, पर *इन्हें हर बार इस्तेमाल से पहले खींचकर जरूर जांच-परख लें।*

-- *हमेशा आवश्यक ऊँचे स्टूल पर बैठकर ही नहायें।*

बाथरुम के फर्श पर रबर की मैट जरूर बिछाकर रखें ताकि आप फिसलन से बच सकें।

-- *गीले हाथों से टाइल्स लगी दीवार का सहारा कभी न लें, हाथ फिसलते ही आप ‘डिस-बैलेंस’ होकर गिर सकते हैं।*

-- बाथरुम के ठीक बाहर सूती मैट भी रखें जो गीले तलवों से पानी सोख ले। कुछ सेकेण्ड उस पर खड़े रहें फिर फर्श पर पैर रखें वो भी सावधानी से।

-- *अंडरगारमेंट हों या कपड़े, अपने चेंजरूम या बेडरूम में ही पहनें। अंडरवियर, पाजामा या पैंट खडे़-खडे़ कभी नहीं पहनें।*

हमेशा दीवार का सहारा लेकर या बैठकर ही उनके पायचों में पैर डालें, फिर खड़े होकर पहनें, वर्ना दुर्घटना घट सकती है।

*कभी-कभी स्मार्टनेस की बड़ी कीमत चुकानी पड़ जाती है।*

-- अपनी दैनिक जरुरत की चीजों को नियत जगह पर ही रखने की आदत डाल लें, जिससे उन्हें आसानी से उठाया या तलाशा जा सके।

*भूलने की आदत हो, तो आवश्यक चीजों की लिस्ट मेज या दीवार पर लगा लें, घर से निकलते समय एक निगाह उस पर डाल लें, आसानी रहेगी।*

-- जो दवाएं रोजाना लेनी हों, उनको प्लास्टिक के प्लॉनर में रखें जिससे जुड़ी हुई डिब्बियों में हफ्ते भर की दवाएँ दिन-वार के साथ रखी जाती हैं।

*अक्सर भ्रम हो जाता है कि दवाएं ले ली हैं या भूल गये।प्लॉनर में से दवा खाने में चूक नहीं होगी।*

-- *सीढ़ियों से चढ़ते उतरते समय, सक्षम होने पर भी, हमेशा रेलिंग का सहारा लें, खासकर ऑटोमैटिक सीढ़ियों पर।*

ध्यान रहे अब आपका शरीर आपके मन का *ओबिडियेंट सरवेन्ट* नहीं रहा।

— बढ़ती आयु में कोई भी ऐसा कार्य जो आप सदैव करते रहे हैं, उसको बन्द नहीं करना चाहिए।

कम से कम अपने से सम्बन्धित अपने कार्य स्वयं ही करें।

— *नित्य प्रातःकाल घर से बाहर निकलने, पार्क में जाने की आदत न छोड़ें, छोटी मोटी एक्सरसाइज भी करते रहें। नहीं तो आप योग व व्यायाम से दूर होते जाएंगे और शरीर के अंगों की सक्रियता और लचीला पन कम होता जाएगा। हर मौसम में कुछ योग-प्राणायाम अवश्य करते रहें।*

— *घर में या बाहर हुकुम चलाने की आदत छोड़ दें। अपना पानी, भोजन, दवाई इत्यादि स्वयं लें जिससे शरीर में सक्रियता बनी रहे।*

बहुत आवश्यक होने पर ही दूसरों की सहायता लेनी चाहिए।

— *घर में छोटे बच्चे हों तो उनके साथ अधिक समय बिताएं, लेकिन उनको अधिक टोका-टाकी न करें। उनको प्यार से सिखायें।*

-- *ध्यान रखें कि अब आपको सब के साथ एडजस्ट करना है न कि सब को आपसे।*

-- इस एडजस्ट होने के लिए चाहे, बड़ा परिवार हो, छोटा परिवार हो या कि पत्नी/पति हो, मित्र हो, पड़ोसी या समाज।

*एक मूल मंत्र सदैव उपयोग करें।*   
   
1. *नोन* अर्थात नमक। भोजन के प्रति स्वाद पर नियंत्रण रखें। 

2. *मौन* कम से कम एवं आवश्यकता पर ही बोलें। 

3. *कौन* (मसलन कौन आया कौन गया, कौन कहां है, कौन क्या कर रहा है) अपनी दखलंदाजी कम कर दें।               

*नोन, मौन, कौन* के मूल मंत्र को जीवन में उतारते ही *वृद्धावस्था* प्रभु का वरदान बन जाएगी जिसको बहुत कम लोग ही उपभोग कर पाते हैं।

*कितने भाग्यशाली हैं आप, इसको समझें।*

*कृपया इस संदेश को अपने घर, रिश्तेदारों, आसपड़ोस के वरिष्ठ सदस्यों को भी अवश्य प्रेषित करें।
 
            *🙏🏻धन्यवाद!🙏🏻*



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रामचरितमानस तुलसीदास उमा कहूं मैं अनुभव अपना सत हरि भजन जगत सब सपना की व्याख्या

*आइये आज इस चौपाई पर चिन्तन करें ।* *उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना ।* *सत्य हरि भजन जगत सब सपना ।।* गो-स्वामी तुलसी दास जी द्वारा रचित श्री राम चरित मानस की एक चौपाई में भगवान शिव माता पार्वती जी से कहते हैं *“उमा कहऊँ मैं अनुभव अपना ।* *सत्य हरि भजन जगत सब सपना ।।”* अर्थात केवल हरि का निरंतर स्मरण ही एक मात्र सत्य है बाकी इस जगत में सभी कुछ केवल स्वप्न के समान है। जैसे अर्ध निद्रा की अवस्था में जब आप कोई स्वप्न देखते हैं तो, स्वप्न की स्थिति के अनुसार आप सुख या दुःख की अनुभूति करते हैं, किन्तु जैसे ही आप जाग्रत अवस्था में आते है तो वह सभी सुख और दुःख की अनुभूति समाप्त हो जाती है। ठीक इसी प्रकार जब आप भगवान के नाम जाप के महत्व को समझ जाते हैं तो आप इस स्वप्न के संसार की वास्तविकता को समझ जाते हैं और आपका हृदय एक ऐसे आनंद की अनुभूति की और अग्रसर होता है जिसका कभी अंत नहीं हो सकता। ऐसा नहीं है की इस जगत के क्षणिक होने के आभास, हमें अपने जीवन में नहीं होता है लेकिन हम वास्तविकता की और अपना ध्यान केन्द्रित ही नहीं करते हैं, हिन्दी के प्रसिद्ध कवि जय शंकर प्रसाद जी ने कहा है कि “श्मशान संसार का सबसे बड़ा मुक शिक्षक है। श्मशान ही वह स्थल है जो हमें जीवन के सत्य से परिचित करवाता है किन्तु हम पुनः इसको नकार कर इस स्वप्नवत संसार में रम जाते हैं | जीवन में सबसे बड़ा भय मृत्यु का होता है यदि आप इस भय से मुक्त होना चाहते हैं तो अपने आप को पहचानने की आवश्यकता है। जिस दिन यह विश्वास आपके हृदय में अपनी पैठ बना लेगा की “ईश्वर अंश जीव अविनाशी” और इस अंश का वास्तविक लक्ष्य उस अंश से मिलना है तो आपके हृदय में बैठा मृत्यु का भय आपसे कोसो दूर होगा, जिस दिन आप प्रभु के उस मनोहारी रूप सौंदर्य में खो जाएंगे और निरंतर उसका स्मरण करते रहेंगे तो आप उस आनंद की ओर अग्रसर होगे जिसको सचिदानंद सत चित आनंद कहा गया है । मेरे राघवेंद्र सरकार तो बिना कारण ही अपनी करुणा बरसाते ऐसे में यदि उनकी कृपा मिल जाए तो जीवन में कुछ भी अप्राप्त नहीं रह जाएगा। गोस्वामी तुलसी दास जी ने श्री रामचरित्र मानस में लिखा है की जो प्रभु राम का नाम दुर्भावना के साथ भी लेता है उसका भी प्रभु कल्याण करते हैं, अजामिल ने जीवन भर दुष्कर्म किए किन्तु यमदूतों को देख कर भय वश अपने पुत्र नारायण को पुकारने लगा तो केवल इतने पर ही प्रभु ने उसको अपना लोक प्रदान किया। ऐसे करुणामय प्रभु का एक क्षण भी विस्मरण क्या उचित है ? चिन्तन कीजिए जी समय तीव्र गति के साथ भागा जा रहा है; ऐसा न हो की जब आपकी चेतना जाग्रत हो तब तक समय समाप्त हो चुका हो। इसलिए *“उठत बैठत सोवत जागत जपो निरंतर नाम ।* *हमारे निर्बल के बल राम” ।।* *एहिं कलिकाल न साधन दूजा ।* *जोग जग्य जप तप ब्रत पूजा ॥* *रामहि सुमिरिअ गाइअ रामहि ।* *संतत सुनिअ राम गुन ग्रामहि ॥* तुलसीदास जी कहते हैं कि इस कलिकाल में योग, यज्ञ, जप, तप, व्रत और पूजन आदि कोई दूसरा साधन नहीं है। बस, श्री रामजी का ही स्मरण करना, श्री रामजी का ही गुण गाना और निरंतर श्री रामजी के ही गुणसमूहों को सुनना चाहिए।


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हिंदू कब सीखेंगे हिंदुओं को बुद्धि कब आएगीwhen will hindu learn their religion

प्रश्न - विनाश काले विपरीत पूजा क्या है? उत्तर - हिन्दुओं द्वारा परमात्मा को भूलकर पीर, फकीर, साई की पूजा की जा रही है, पिशाच संस्कृति के राक्षसों को हिंदू मंदिरों व घरों में स्थापित किया जा रहा है, पूजा जा रहा है, फिर भी पूछते हो कि विनाश काले विपरीत पूजा क्या है? कब्र या मजार मरे हुए आदमी की होती है | हिंदू समाज में अगर कोई व्यक्ति मरने वाले के पीछे चार कदम भी रखता है तो उसे घर आ कर स्नान करना पडता है | फिर हम मजार पर चढ़ावा प्रसाद बच्चों को क्यों खिलाते है क्या वह अपवित्र नहीं है ! सभी कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो से लड़ते हुए मारे गए थे, इस हालत में उनकी कब्रों पर जाकर मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजो का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म की रक्षा करते हुए खुशी- खुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर समर्पित कर दिया था ? बहराइच उत्तर प्रदेश में गाजी मियाँ की मजार है जिसको पूजने के लिए देश के कोने कोने से हिंदू आते है | इतिहास का थोडा सा भी जानकार व्यक्ति जानता है कि महमूद गजनवी के उत्तर भारत को बुरी तरह से लूटने बर्बाद करने के बाद सन् 1030 में उसके भांजे सालार गाजी ने भारत को दारूल इस्लाम बनाने के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया | सिन्ध, पंजाब, हरियाणा को रौंदता हुआ उत्तर प्रदेश के बहराइच तक जा पहुँचा | रास्ते में लाखों हिंदुओं का कत्लेआम किया, लाखो हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया और लाखों हिंदू ओरतों के बलात्कार हुए, हजारों मंदिरों- गुरुकुलों का विध्वंस कर दिया गया तथा इस्लाम के जिहाद की आंधी तेज चलने लगी | ऐसे संकट के समय में बहराइच के राजा सुहेल देव पासी ने गाजी मियाँ की सेना का सामना किया जिसमें सालार गाजी मारा गया | सलार गाजी के सेनापति ने वही उसकी कब्र बनवा दी | आज हिंदू उसे अपने कुल देवता मानकर पूजते है | अगर गाजी जिंदा रहता तो वह हिंदुओं का ओर कत्लेआम करता | कुछ ऐसा ही चरित्र अजमेर ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती का है, ख्वाजा मोहम्मद गौरी के साथ भारत आया था, ख्वाजा ने छल कपट से हिंदुओं को मुसलमान बनाया तथा हिंदुओं के मंदिरों को नष्ट कर आया था | ऐसे ही कार्य दिल्ली में पीर निजामुद्दीन ओलिया ने किया था | जिसने जितना ज्यादा हिंदुओं का कत्लेआम किया, हिंदुओं को इस्लाम में धर्मांतरित किया वो उतना बड़ा पीर | क्या हिन्दुओं के ब्रह्मा, विष्णु, महेश, राम, कृष्ण, दुर्गा अथवा तैंतीस कोटि देवी- देवता शक्तिहीन हो चुकें हैं, क्या उनमें एक भी ऐसा देवता नहीं जिसे हमारे मूर्ख हिन्दू अपना देवता मान सकें | हिन्दुओं के लिए शव(कब्र) पूजा का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति | किसी भी शव की पूजा चाहे वह मजार का हो या शिर्डी साई का, उसे पूजने वाले की कभी सदगति नहीं हो सकती | हिंदू समाज को इन मजार, कब्रों, पीरों की पूजा बंद करनी चाहिए | उस परमपिता परमेश्वर की पूजा करनी चाहिए जो सभी के दिलों में बसता है |


प्रश्न - विनाश काले विपरीत पूजा क्या है?
उत्तर - हिन्दुओं द्वारा परमात्मा को भूलकर
पीर,
फकीर, साई की पूजा की जा
रही है, पिशाच
संस्कृति के राक्षसों को हिंदू मंदिरों व
घरों में
स्थापित किया जा रहा है, पूजा जा रहा है,
फिर
भी पूछते हो कि विनाश काले विपरीत पूजा
क्या
है? कब्र या मजार मरे हुए आदमी की
होती है | हिंदू
समाज में अगर कोई व्यक्ति मरने वाले के
पीछे चार
कदम भी रखता है तो उसे घर आ कर स्नान करना
पडता है | फिर हम मजार पर चढ़ावा प्रसाद
बच्चों
को क्यों खिलाते है क्या वह अपवित्र नहीं
है !
सभी
कब्र उन मुसलमानों की हैं जो हमारे पूर्वजो
से लड़ते
हुए मारे गए थे, इस हालत में उनकी कब्रों पर
जाकर
मन्नत मांगना क्या हमारे उन वीर पूर्वजो
का अपमान नहीं हैं जिन्होंने अपने धर्म
की रक्षा करते हुए खुशी-
खुशी अपने प्राणों को बलि वेदी पर
समर्पित कर दिया था ?
बहराइच उत्तर प्रदेश में गाजी मियाँ की
मजार है
जिसको पूजने के लिए देश के कोने कोने से
हिंदू आते है |
इतिहास का थोडा सा भी जानकार व्यक्ति
जानता है कि महमूद गजनवी के उत्तर भारत को
बुरी तरह से लूटने बर्बाद करने के बाद सन्
1030 में
उसके भांजे सालार गाजी ने भारत को दारूल
इस्लाम बनाने
के उद्देश्य से भारत पर आक्रमण किया |
सिन्ध, पंजाब, हरियाणा
को रौंदता हुआ उत्तर प्रदेश के बहराइच तक
जा पहुँचा | रास्ते
में लाखों हिंदुओं का कत्लेआम किया,
लाखो हिंदुओं को इस्लाम में
धर्मांतरित किया और लाखों हिंदू ओरतों के
बलात्कार हुए, हजारों
मंदिरों- गुरुकुलों का विध्वंस कर दिया
गया तथा इस्लाम के जिहाद
की आंधी तेज चलने लगी |
ऐसे संकट के समय में बहराइच के राजा सुहेल
देव
पासी ने गाजी मियाँ की सेना का
सामना किया जिसमें सालार गाजी मारा गया
| सलार
गाजी के सेनापति ने वही
उसकी कब्र बनवा दी | आज हिंदू उसे
अपने कुल देवता मानकर पूजते है | अगर गाजी
जिंदा
रहता तो वह हिंदुओं का ओर कत्लेआम करता |
कुछ ऐसा ही चरित्र अजमेर ख्वाजा
मोइनुद्दीन
चिश्ती का है, ख्वाजा मोहम्मद गौरी के
साथ
भारत आया था, ख्वाजा ने छल कपट से
हिंदुओं को मुसलमान बनाया
तथा हिंदुओं के मंदिरों को नष्ट कर आया
था | ऐसे ही
कार्य दिल्ली में पीर
निजामुद्दीन ओलिया ने किया था | जिसने
जितना ज्यादा
हिंदुओं का कत्लेआम किया, हिंदुओं को
इस्लाम में धर्मांतरित किया
वो उतना बड़ा पीर |
क्या हिन्दुओं के ब्रह्मा, विष्णु, महेश,
राम, कृष्ण, दुर्गा अथवा
तैंतीस कोटि देवी- देवता
शक्तिहीन हो चुकें हैं, क्या उनमें एक
भी ऐसा देवता नहीं जिसे हमारे मूर्ख
हिन्दू अपना देवता मान सकें | हिन्दुओं के
लिए शव(कब्र) पूजा
का अर्थ है प्रेत योनि की दुर्गति | किसी
भी शव की पूजा चाहे वह मजार का हो
या शिर्डी साई का, उसे पूजने वाले की
कभी सदगति नहीं हो सकती
| हिंदू समाज को इन मजार, कब्रों, पीरों की
पूजा बंद करनी चाहिए | उस परमपिता परमेश्वर
की पूजा करनी चाहिए जो
सभी के दिलों में बसता है |

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Twinkle . Is anybody responsible. How this will stop

🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥* *तीन बरस की गुड़िया तिल तिल मरके आखिर चली गयी,* *आज अली के गढ़ में बिटिया राम कृष्ण की छली गयी,* नन्हे नन्हे पंख उखाड़े, मज़हब के मक्कारों ने, देखो कैसे ईद मनाई,दो दो रोज़ेदारों ने, *कोमल अंग काट कर खाये, कुत्तों ने इफ्तारों में,* *नोच कुचल कर लाश फेंक दी रमजानी बाज़ारो में* आस्तीन में खंज़र रखकर कलियों से गुलफाम मिले, हमको देखो कैसे भाई चारे के परिणाम मिले, *आओ थोड़ा शोर मचा लें,हम अपनी लाचारी पे,* *चार दिवस हो हल्ला कर लें,उस ज़ाहिद व्यभिचारी पर,* लेकिन हम कब समझेंगे,मज़हब के कुटिल इरादों को, तहज़ीबें जो सीखा गयी हैं दहशत कत्ल फसादों को, *पूछ रहा हूँ,कहाँ मर गए कठुआ पर रोने वाले,* *शर्मिंदा होने की तख्ती छाती पर ढोने वाले,* बॉलीवुड के बेशर्मो की टोली आखिर कहां गयी, और दोगलों की वो सूरत भोली आखिर कहां गयी, *स्वरा भास्कर कहाँ मर गयी,कहाँ गया वो ददलानी,* *तैमूरी अम्मा गायब है,कहाँ गयी सोनम रानी,* टीवी वाले वो रवीश क्या जीभ कटाने चले गए, डी जे वाले बाबू भी क्या बेस घटाने चले गए, *कहाँ गया बेगूसराय का किशन कन्हैया ढूंढों तो,* *और आसिफा पर रोता वो राहुल भैया ढूंढो तो,* कोई नही मिलेगा,सबने पट्टी आंख लपेटी है, क्योंकि अभागिन ट्विंकल देखो इक हिन्दू की बेटी है, *और किसी हिन्दू की बेटी इसी हश्र को पाएगी,* *अरबी आयत पढ़ के देखो,समझ तुम्हे आ जायेगी,* सोच रहा था योगी जैसा हिन्दू शेर दहाड़ेगा, मोदी अपना जेहादी गुर्गों के जबड़े फाडेगा, *लेकिन ये भी जब्त हो गए वोट बैंक के बक्से में,* *पाकिस्तान नज़र आता है अब भारत के नक्से में,* ईद सवेरे देखो बस में तोड़ फोड़ की जाती है, सड़कों पर होती नमाज़ फिर जाम रोड हो जाती है, *सोच था छुटकारा होगा अब जेहादी रोगी से,* *सन्नाटे की आस नही थी हमको मोदी योगी से,* ये कौमी भेड़िये,बुझेगी इन सबकी ना प्यास कभी, जीत नही पाओगे मोदी इन सबका विश्वास कभी, *ट्विंकल बिटिया चीख रही है,इंसाफी दरबारों में,* *कुछ ऐसा कर दो,भय भर दो इन दुष्टों गद्दारों में,* ऐसी आग लगा दो मोदी इस जेहादी जंगल को, कोई ज़ाहिद आंख उठाकर देख न पाए ट्विंकल को, *वरना यूँ ही सिर्फ आंसुओं से ज़ख्मो को धोएंगे,* *आज किसी ट्विंकल पर,कल सीता गीता पर रौएँगे,* 🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥🔥 *----------कवि गौरव चौहान(अगर सीने में आक्रोश हो तो कविता को भरपूर शेयर करें,रचनाकार का नाम न हटाएँ)*

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Oath ceremlony of parliament of India 2019 ivitation card


Invitation card of 0ath ceremony of lok sabha of Indian parliament 2019 at rashtrapati bhawan on 30th may 2019 sent to guruji Pandit Rakesh ojha of bikaner.

😊 सारे देश को मोदी जी की जीत पर बधाई👏

 चलो अब साडे 4 साल के लिए हमें भी चैन की नींद आएगी

 मोदी जी तो सोते ही नहीं है और

 विपक्ष को भी 4:30 साल के लिए चैन की नींद मिलेगी

 बस थोड़े दिन मिनिस्ट्री में कौन-कौन मिनिस्टर बनेंगे यह भी मनोरंजन होगा

 बीच-बीच में छुटपुट इलेक्शन होते रहेंगे और अच्छा मनोरंजन रहेगा और कोई प्रिंस पाइप में फंस गया तो भी टाइम पास हो जाएगा बाकी सब क्रिकेट के ऊपर निर्भर है

 साल में एक सर्जिकल स्ट्राइक तो बनती है

 बस भगवान करे देश में विकास की दर पहले जैसी ही बनी रहे 

गंगा जमुना साफ रहे शौचालय में और बढ़ोतरी हो व्हाट्सएप फ्री हो जाए बस हमें और कुछ नहीं चाहिए

 पर चलो हम पाकिस्तान से सुरक्षित तो रह रहे हैं अपने देश में क्या इतना काफी नहीं है

और साडे 4 साल के बाद 370 राम मंदिर इत्यादि फिर से शुरू हो जाएगा

 आइए तब तक चैन की नींद सोए
😴😴😴😴
जय श्री राम

हम कैसे हिंदू हैं क्या हम हिंदू हैं हिंदू किसको कहते हैं हिंदू क्या होता है

हिन्दूओं के सनातन धर्म के पतन के जिम्मेदार स्वंय हिन्दू हैं। आइये देखते हैं कैसे? हिन्दुओं ने


 1. चुटिया छोडी,
2. टोपी, पगडी छोडी,
3. तिलक, चंदन छोडा
 4. कुर्ता छोडा,धोती छोडी,
5. यज्ञोपवीत छोडा,
 6. संध्या वंदन छोडा।
7. रामायण पाठ गीता पाठ छोडा,
8. महिलाओं, लडकियों ने, साडी छोडी, बिंदिया छोडी, बिछिया छोडे, चूडी छोडीं, दुपट्टा, चुनरी छोडी, मांग बिन्दी छोडी।
9. पैसे के लिये, बच्चे छोडे (आया पालती है)
10. संस्कृत छोडी, हिन्दी छोडी,
11. श्लोक छोडे, लोरी छोडी।
12. बच्चों के सारे संस्कार (बचपन के) छोडे,
13. सुबह शाम मिलने पर राम राम छोडी,
14. पांव लागूं, चरण स्पर्श, पेर छुना छोडे,
15. घर परिवार छोडे ( अकेले सुख की चाह में संयुक्त परिवार)।

 अब कोई रीति या परंपरा बची है?
ऊपर से नीचे तक गौर करो, तुम कहां पर हिन्दू हो, भारतीय हो, सनातनी हो, ब्राह्मण हो, क्षत्रिय हो, वैश्य हो ?

 कहीं पर भी उंगली रखकर बता दो कि हमारी परंपरा को मैने ऐसे जीवित रखा हैं। केबल लाउडस्पीकर पर बजते शोर में हम जिन्दा हैं, क्या हमारा वजूद है? सडक पर किसी उद्देश्य की पूर्ति के लिये इकट्ठे होकर ओम या मंत्र कहने में हम डरते हैं?

 हिन्दुओं मत जागो । जिस तरह से हम धीरे धीरे बदल रहे हैं- जल्दी समाप्त भी हो जाएंगे।

 !! जय श्रीराम !!

Devine plan works and our plans just give us frustration. देवी योजना काम करती है ना कि हमारी कल्पनाएं

जंगल में एक गर्भवती हिरनी बच्चे को जन्म देने को थी । वो एकांत जगह की तलाश में घुम रही थी , कि उसे नदी किनारे ऊँची और घनी घास दिखी । उसे वो उपयुक्त स्थान लगा शिशु को जन्म देने के लिये । वहां पहुँचते ही उसे प्रसव पीडा शुरू हो गयी । उसी समय आसमान में घनघोर बादल वर्षा को आतुर हो उठे और बिजली कडकने लगी । उसने दाये देखा , तो एक शिकारी तीर का निशाना , उस की तरफ साध रहा था । घबराकर वह दाहिने मुड़ी , तो वहां एक भूखा शेर, झपटने को तैयार बैठा था । सामने सूखी घास आग पकड चुकी थी और पीछे मुड़ी , तो नदी में जल बहुत था। मादा हिरनी क्या करती ? वह प्रसव पीडा से व्याकुल थी। अब क्या होगा ? क्या हिरनी जीवित बचेगी ? क्या वो अपने शावक को जन्म दे पायेगी ? क्या शावक जीवित रहेगा ? क्या जंगल की आग सब कुछ जला देगी ? क्या मादा हिरनी शिकारी के तीर से बच पायेगी ?क्या मादा हिरनी भूखे शेर का भोजन बनेगी ? वो एक तरफ आग से घिरी है और पीछे नदी है। क्या करेगी वो ? हिरनी अपने आप को शून्य में छोड़ , अपने बच्चे को जन्म देने में लग गयी । कुदरत का कारिष्मा देखिये । बिजली चमकी और तीर छोडते हुए , शिकारी की आँखे चौंधिया गयी । उसका तीर हिरनी के पास से गुजरते , शेर की आँख में जा लगा , शेर दहाडता हुआ इधर उधर भागने लगा । और शिकारी , शेर को घायल ज़ानकर भाग गया । घनघोर बारिश शुरू हो गयी और जंगल की आग बुझ गयी । हिरनी ने शावक को जन्म दिया । *हमारे जीवन में भी कभी कभी कुछ क्षण ऐसे आते है , जब हम चारो तरफ से समस्याओं से घिरे होते हैं और कोई निर्णय नहीं ले पाते । तब सब कुछ नियति के हाथों सौंपकर अपने उत्तरदायित्व व प्राथमिकता पर ध्यान केन्द्रित करना चाहिए । अन्तत: यश , अपयश , हार , जीत , जीवन , मृत्यु का अन्तिम निर्णय ईश्वर करता है । हमें उस पर विश्वास कर उसके निर्णय का सम्मान करना चाहिए ।* कुछ लोग हमारी *सराहना* करेंगे , कुछ लोग हमारी *आलोचना* करेंगे । दोनों ही मामलों में हम *फायदे* में हैं , एक हमें *प्रेरित* करेगा और दूसरा हमारे भीतर *सुधार* लाएगा ।। *_अच्छा सोचें_*👌 *_सच्चा सोचें_*

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Following are some video clips regarding import you can get an idea from them.

Here is a series of 5 videos of a interview about import business :

https://youtu.be/wXDj6WOXbbM 
https://youtu.be/99IuKTUluUg 
https://youtu.be/cQxNbJOHZAk 
https://youtu.be/GHDulktLxcY 
https://youtu.be/40v3VkbbsC0

This is a 30 min. interview at tatasky about srimadbhagwad gita ki by ashok Gupta.
https://youtu.be/RaKE9WsI908

Ship loading
This video is about scrap metal loading in a ship at a UK sea port
https://youtu.be/HMATN61PkJc


How to save from common frauds in Imports:
https://youtu.be/U33XW0vB5lk

Workshops
One sample workshop about Imports:
https://youtu.be/YTdJK87Lh5g

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गेहूं की रोटी खाने से बचें

*चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाले है।* एक बहुत ही प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक समझाते है के, *गेहूं खाना बंद करने से आपकी सेहत को कितना अधिक लाभ हो सकता है।* हृदय-चिकित्सक Dr. विलियम डेविस, MD ने अपने पेशे की शुरुवात, हृदय रोग के उपचार के लिए 'अंजीओ प्लास्टी' और 'बाईपास सर्जरी' से किया था। वे बताते है के, "मुझे वो ही सब सिखाया गया था, और शुरू शुरू में तो, मैं भी वोही सब करना चाहता था।" लेकिन, जब उनकी अपनी माताजी का निदन साल 1995 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ , जो उन्हें बहतरीन इलाज उपलब्ध कराने के बावाजूद हुआ, तब उनके मन में अपने ही पेशे को लेकर चिंता और परेशान कर देने वाले प्रश्न उठने लगे। वे कहते है के, "मैं रोगीयों के हृदय का इलाज कर तो देता था, लेकिन वे कुछ ही दिनों में उसी समस्या को लेकर मेरे पास फिर लौट आते थे। वो इलाज तो मात्र 'बैंड-ऐड' लगाकर छोड़ देने के समान था, जिसमें बीमारी का मूल कारण पकड़ने का तो प्रयास भी नहीं किया जाता था।" इसलिए उन्होंने अपने अभ्यास को एक उच्च स्तर और क्वचित ही उपयोग में लाये हुए दिशा की ओर मोड़ा- जो था 'बीमारी को होने ही नही देना'। फिर उन्होंने अपने जीवन के अगले 15 सालों को इस हृदय रोग के मूल कारणों को जानने, समझने में व्यतीत किया। जिसके परिणाम स्वरूप जो आविष्कार हुए, वो उन्होंने 'न्यू यॉर्क टाइम्स' के सबसे अधिक बिकने वाली किताब "Wheat Belly"(गेहूं की तोंद) में प्रकाशित किया है। जिसमें हमारे बहुत से रोग, जैसे के हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापे का संबंध गेहूं के सेवन करने के कारण बताया गया है। गेहूं का सेवन बंद कर देना हमारे सम्पूर्ण जीवन को ही बदल सकता है। *“Wheat Belly”(गेहूं की तोंद) क्या है?* गेहूं के सेवन करने से, शरीर में चीनी की मात्रा आश्चर्यजनक पूर्वक बढ़ जाती है। सिर्फ दो गेहूं की बनी ब्रेड स्लाइस खाने मात्र से ही हमारे शरीर में चीनी की मात्रा इतनी अधिक बढ़ जाती है जितना तो एक स्नीकर्स बार(चॉकलेट, चीनी और मूंगफली से बनी) खाने से भी नहीं होता। उन्होंने आगे बताया के, "जब मेरे पास आने वाले रोगियों ने गेहूं का सेवन रोक दिया था, तो उनका वजन भी काफी घटने लगा था, खास तौर पर उनकी कमर की चरबी घटने लगी थी। एक ही महीने के अंदर अंदर उनके कमर के कई इंच कम हो गए थे।" "गेहूं का हमारे कई सारे रोगों से संबंध है ऐसा जानने में आया है। मेरे पास आने वाले कई रोगियों को डायबिटीज की समस्या थी या वे डायबिटीज के करीब थे। मैं जान गया था के गेहूं शरीर में चीनी की मात्रा को बढ़ा देता है, जो किसी भी अन्य पदार्थ के मुकाबले अधिक था, इसलिए, मैंने कहा के, "गेहूँ का सेवन बंद करके देखते है, के इसका असर शरीर में चीनी की मात्रा पे किस तरह होता है" 3 से 6 महीनों से अंदर अंदर ही उन सब के शरीर में से चीनी की मात्रा बहुत कम हो गई थी। इसके साथ साथ वे मुझसे आकर यह भी कहते थे, के मेरा वजन 19 किलो घट गया है, या मेरी अस्थमा की समस्या से मुझे निवारण मिल गया, या मैंने अपने दो इन्हेलर्स फेंक दिए है, या 20 सालों से जो मुझे माइग्रेन का सिरदर्द होता रहा है, वो मात्र 3 दिनों के अंदर ही बिल्कुल बंद हो गया है, या मेरे पेट में जो एसिड रिफ्लक्स की समस्या थी वो बंद हो गई है, या मेरा IBS अब पहले से बेहतर हो गया है, या मेरा उलसरेटिव कोलाइटिस, मेरा रहेउमाटोइड आर्थराइटिस, मेरा मूड, मेरी नींद... इत्यादि इत्यादि। *गेहूं की बनावट को देखा जाए तो इसमें,* 1)अमलोपेक्टिन A, एक रसायन जो सिर्फ गेहूं में ही पाया जाता है, जो खून में LDL के कणों को काफी मात्रा में जगा देता है, जो ह्रदय रोग का सबसे मुख्य कारण पाया गया है। गेहूं का सेवन बन्द कर देने से LDL कणों की मात्रा 80 से 90 % तक घट जाती है। 2) गेहूं में बहुत अधिक मात्रा में ग्लैडिन भी पाया जाता है, यह एक प्रोटीन है जो भूक बढ़ाने का काम करती है, इस कारण से गेहूं का सेवन करने वाला व्यक्ति एक दिन में अपनी ज़रूरत से ज़्यादा, कम से कम 400 कैलोरी अधिक सेवन कर जाता है। ग्लैडिन में ओपीएट के जैसे गुण भी पाए गए है जिसके कारण इसका सेवन करने वाले को इसकी लत लग जाती है, नशे की तरह। खाद्य वैज्ञानिक इस बात को 20 सालों से जानते थे। 3) क्या गेंहू का सेवन बंद कर देने से हम ग्लूटेन मुक्त हो जाते है? ग्लूटेन तो गेहूं का सिर्फ एक भाग है। ग्लूटेन को निकाल कर भी गेंहू को देखे, तो वो फिर भी घातक ही कहलायेगा क्योंकि इसमें ग्लैडिन, अमलोपेक्टिन A के साथ साथ और भी अनेक घातक पदार्थ पाए गए है। ग्लूटेन मुक्त पदार्थ बनाने के लिए, मकई की मांडी, चावल की मांडी, टैपिओका की मांडी ओर आलू की मांडी का उपयोग किया जाता है। और इन चारों का जो पाउडर है, वो तो शरीर में चीनी की मात्रा को और भी अधिक बढ़ा जाते है। मैं आप लोगों से आग्रह करता हुँ के सच्चा आहार लेना आरंभ करें: कच्चा आहार लेना आरम्भ करे । जैसे के फल, सब्जियां, दाने, बीज, घर का बना पनीर, इत्यादि। साल 1970 और 1980 के अंतर्गत, गेहूं के उपज जो बढ़ाने के लिए जिन आधुनिक विधियों को और यंत्रों को उपयोग में लाया गया था, उनसे गेंहू अंदर से बिल्कुल बदल गया है। गेहूं की उपज छोटी और मोटी होने लगी, जिसमें ग्लैडिन(भूक बढ़ाने वाली पदार्थ) की मात्रा भी बहुत अधिक हो गई है। 50 वर्ष पूर्व जो गेहूं सेवन में लिया जाता था वो अब वैसा नही रहा। ब्रेड, पास्ता, चपाती इत्यादि का सेवन बंद करके यदि सच्चे आहार का सेवन करना शुरू कर दिया जाए, जैसे के चावल, फल और सब्जियां है तो भी वजन घटाने में मदद ही होगी क्योंकि चावल चीनी की मात्रा को इतना नही बढ़ता है जितना गेहूं बढ़ाता है और चावल में अमलोपेक्टिन A और ग्लैडिन (जो भूक बढ़ता है )भी नही पाया जाता है। चावल खाने से आप ज़रूरत से अधिक कैलोरीस का सेवन भी नहीं करेंगे, जैसे गेंहू में होता है। इसीलिए तो वो सारे पश्चिमी देश जहाँ गेहूं का सेवन नहीं किया जाता वे ज़्यादा पतले और तंदुस्र्स्त होते है। 'न्यू यॉर्क टाइम्स' के सबसे अधिक बिकने वाली किताब "Wheat Belly"(गेहूं की तोंद) में से लिया गया अंश लेखक: प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक Dr. विलियम डेविस, MD
*चपातियां बहुत जल्द ही विलुप्त होने वाले है।* एक बहुत ही प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक समझाते है के, *गेहूं खाना बंद करने से आपकी सेहत को कितना अधिक लाभ हो सकता है।* हृदय-चिकित्सक Dr. विलियम डेविस, MD ने अपने पेशे की शुरुवात, हृदय रोग के उपचार के लिए 'अंजीओ प्लास्टी' और 'बाईपास सर्जरी' से किया था। वे बताते है के, "मुझे वो ही सब सिखाया गया था, और शुरू शुरू में तो, मैं भी वोही सब करना चाहता था।" लेकिन, जब उनकी अपनी माताजी का निदन साल 1995 में दिल का दौरा पड़ने से हुआ , जो उन्हें बहतरीन इलाज उपलब्ध कराने के बावाजूद हुआ, तब उनके मन में अपने ही पेशे को लेकर चिंता और परेशान कर देने वाले प्रश्न उठने लगे। वे कहते है के, "मैं रोगीयों के हृदय का इलाज कर तो देता था, लेकिन वे कुछ ही दिनों में उसी समस्या को लेकर मेरे पास फिर लौट आते थे। वो इलाज तो मात्र 'बैंड-ऐड' लगाकर छोड़ देने के समान था, जिसमें बीमारी का मूल कारण पकड़ने का तो प्रयास भी नहीं किया जाता था।" इसलिए उन्होंने अपने अभ्यास को एक उच्च स्तर और क्वचित ही उपयोग में लाये हुए दिशा की ओर मोड़ा- जो था 'बीमारी को होने ही नही देना'। फिर उन्होंने अपने जीवन के अगले 15 सालों को इस हृदय रोग के मूल कारणों को जानने, समझने में व्यतीत किया। जिसके परिणाम स्वरूप जो आविष्कार हुए, वो उन्होंने 'न्यू यॉर्क टाइम्स' के सबसे अधिक बिकने वाली किताब "Wheat Belly"(गेहूं की तोंद) में प्रकाशित किया है। जिसमें हमारे बहुत से रोग, जैसे के हृदय रोग, डायबिटीज और मोटापे का संबंध गेहूं के सेवन करने के कारण बताया गया है। गेहूं का सेवन बंद कर देना हमारे सम्पूर्ण जीवन को ही बदल सकता है। *“Wheat Belly”(गेहूं की तोंद) क्या है?* गेहूं के सेवन करने से, शरीर में चीनी की मात्रा आश्चर्यजनक पूर्वक बढ़ जाती है। सिर्फ दो गेहूं की बनी ब्रेड स्लाइस खाने मात्र से ही हमारे शरीर में चीनी की मात्रा इतनी अधिक बढ़ जाती है जितना तो एक स्नीकर्स बार(चॉकलेट, चीनी और मूंगफली से बनी) खाने से भी नहीं होता। उन्होंने आगे बताया के, "जब मेरे पास आने वाले रोगियों ने गेहूं का सेवन रोक दिया था, तो उनका वजन भी काफी घटने लगा था, खास तौर पर उनकी कमर की चरबी घटने लगी थी। एक ही महीने के अंदर अंदर उनके कमर के कई इंच कम हो गए थे।" "गेहूं का हमारे कई सारे रोगों से संबंध है ऐसा जानने में आया है। मेरे पास आने वाले कई रोगियों को डायबिटीज की समस्या थी या वे डायबिटीज के करीब थे। मैं जान गया था के गेहूं शरीर में चीनी की मात्रा को बढ़ा देता है, जो किसी भी अन्य पदार्थ के मुकाबले अधिक था, इसलिए, मैंने कहा के, "गेहूँ का सेवन बंद करके देखते है, के इसका असर शरीर में चीनी की मात्रा पे किस तरह होता है" 3 से 6 महीनों से अंदर अंदर ही उन सब के शरीर में से चीनी की मात्रा बहुत कम हो गई थी। इसके साथ साथ वे मुझसे आकर यह भी कहते थे, के मेरा वजन 19 किलो घट गया है, या मेरी अस्थमा की समस्या से मुझे निवारण मिल गया, या मैंने अपने दो इन्हेलर्स फेंक दिए है, या 20 सालों से जो मुझे माइग्रेन का सिरदर्द होता रहा है, वो मात्र 3 दिनों के अंदर ही बिल्कुल बंद हो गया है, या मेरे पेट में जो एसिड रिफ्लक्स की समस्या थी वो बंद हो गई है, या मेरा IBS अब पहले से बेहतर हो गया है, या मेरा उलसरेटिव कोलाइटिस, मेरा रहेउमाटोइड आर्थराइटिस, मेरा मूड, मेरी नींद... इत्यादि इत्यादि। *गेहूं की बनावट को देखा जाए तो इसमें,* 1)अमलोपेक्टिन A, एक रसायन जो सिर्फ गेहूं में ही पाया जाता है, जो खून में LDL के कणों को काफी मात्रा में जगा देता है, जो ह्रदय रोग का सबसे मुख्य कारण पाया गया है। गेहूं का सेवन बन्द कर देने से LDL कणों की मात्रा 80 से 90 % तक घट जाती है। 2) गेहूं में बहुत अधिक मात्रा में ग्लैडिन भी पाया जाता है, यह एक प्रोटीन है जो भूक बढ़ाने का काम करती है, इस कारण से गेहूं का सेवन करने वाला व्यक्ति एक दिन में अपनी ज़रूरत से ज़्यादा, कम से कम 400 कैलोरी अधिक सेवन कर जाता है। ग्लैडिन में ओपीएट के जैसे गुण भी पाए गए है जिसके कारण इसका सेवन करने वाले को इसकी लत लग जाती है, नशे की तरह। खाद्य वैज्ञानिक इस बात को 20 सालों से जानते थे। 3) क्या गेंहू का सेवन बंद कर देने से हम ग्लूटेन मुक्त हो जाते है? ग्लूटेन तो गेहूं का सिर्फ एक भाग है। ग्लूटेन को निकाल कर भी गेंहू को देखे, तो वो फिर भी घातक ही कहलायेगा क्योंकि इसमें ग्लैडिन, अमलोपेक्टिन A के साथ साथ और भी अनेक घातक पदार्थ पाए गए है। ग्लूटेन मुक्त पदार्थ बनाने के लिए, मकई की मांडी, चावल की मांडी, टैपिओका की मांडी ओर आलू की मांडी का उपयोग किया जाता है। और इन चारों का जो पाउडर है, वो तो शरीर में चीनी की मात्रा को और भी अधिक बढ़ा जाते है। मैं आप लोगों से आग्रह करता हुँ के सच्चा आहार लेना आरंभ करें: कच्चा आहार लेना आरम्भ करे । जैसे के फल, सब्जियां, दाने, बीज, घर का बना पनीर, इत्यादि। साल 1970 और 1980 के अंतर्गत, गेहूं के उपज जो बढ़ाने के लिए जिन आधुनिक विधियों को और यंत्रों को उपयोग में लाया गया था, उनसे गेंहू अंदर से बिल्कुल बदल गया है। गेहूं की उपज छोटी और मोटी होने लगी, जिसमें ग्लैडिन(भूक बढ़ाने वाली पदार्थ) की मात्रा भी बहुत अधिक हो गई है। 50 वर्ष पूर्व जो गेहूं सेवन में लिया जाता था वो अब वैसा नही रहा। ब्रेड, पास्ता, चपाती इत्यादि का सेवन बंद करके यदि सच्चे आहार का सेवन करना शुरू कर दिया जाए, जैसे के चावल, फल और सब्जियां है तो भी वजन घटाने में मदद ही होगी क्योंकि चावल चीनी की मात्रा को इतना नही बढ़ता है जितना गेहूं बढ़ाता है और चावल में अमलोपेक्टिन A और ग्लैडिन (जो भूक बढ़ता है )भी नही पाया जाता है। चावल खाने से आप ज़रूरत से अधिक कैलोरीस का सेवन भी नहीं करेंगे, जैसे गेंहू में होता है। इसीलिए तो वो सारे पश्चिमी देश जहाँ गेहूं का सेवन नहीं किया जाता वे ज़्यादा पतले और तंदुस्र्स्त होते है। 'न्यू यॉर्क टाइम्स' के सबसे अधिक बिकने वाली किताब "Wheat Belly"(गेहूं की तोंद) में से लिया गया अंश लेखक: प्रसिद्ध हृदय-चिकित्सक Dr. विलियम डेविस, MD

Wheat not good for health

*Chappaties will soon become EXTINCT*

A renowned cardiologist explains how eliminating wheat can IMPROVE your health.

Cardiologist William Davis, MD, started his career repairing damaged hearts through angioplasty and bypass surgeries.

“That’s what I was trained to do, and at first, that’s what I wanted to do,” he explains. But when his own mother died of a heart attack in 1995, despite receiving the best cardiac care, he was forced to face nagging concerns about his profession.

"I’d fix a patient’s heart, only to see him come back with the same problems. It was just a band-aid, with no effort to identify the *cause* of the disease.”

So he moved his practice toward highly uncharted medical territory
– prevention – and spent the next 15 years examining the causes of heart disease in his patients.

The resulting discoveries are revealed in
"Wheat Belly", his New York Times best-selling book, which attributes many of our physical problems, including heart disease, diabetes and obesity, to our consumption of wheat.
Eliminating wheat can “transform our lives.”

*What is a “Wheat Belly”?*
Wheat raises your blood sugar dramatically. In fact, two slices of wheat bread raise your blood sugar more than a Snickers bar.

"When my patients give up wheat, weight loss was substantial, especially from the abdomen. People can lose several inches in the first month."
You make connections between wheat and a host of other health problems.

Eighty percent of my patients had diabetes or pre-diabetes.

I knew that wheat spiked blood sugar more than almost anything else, so I said, “Let’s remove wheat from your diet and see what happens to your blood sugar.” They’d come back 3 to 6 months later, and their blood sugar would be dramatically reduced.
But they also had all these other reactions:
“I removed wheat and I lost 38 pounds.” Or, “my asthma got so much better, I threw away two of my inhalers.”
Or “the migraine headaches I’ve had every day for 20 years stopped within three days.” “My acid reflux is now gone.”
“My IBS is better, my ulcerative colitis, my rheumatoid arthritis, my mood, my sleep . . .” and so on, and so on".

When you look at the makeup of wheat, Amylopectin A, a chemical unique to wheat, is an incredible trigger of small LDL particles in the blood – the number one cause of heart disease.

When wheat is removed from the diet, these small LDL levels plummet by 80 and 90 percent.

Wheat contains high levels of Gliadin, a protein that actually stimulates appetite. Eating wheat increases the average person’s calorie intake by 400 calories a day.   

Gliadin also has opiate-like properties which makes it "addictive".
Food scientists have known this for almost 20 years.

Is eating a wheat-free diet the same as a gluten-free diet?
Gluten is just one component of wheat.
If we took the gluten out of it, wheat will still be bad since it will still have the Gliadin and the Amylopectin A, as well as several other undesirable components.

Gluten-free products are made with 4 basic ingredients: corn starch, rice starch, tapioca starch or potato starch.
And those 4 dried, powdered starches are some of the foods that raise blood sugar even higher.

I encourage people to return to REAL food:
Fruits
Vegetables
and nuts and seeds, Unpasteurized cheese ,
Eggs and meats

Wheat really changed in the 70s and 80s due to a series of techniques used to increase yield, including hybridization. It was bred to be shorter and sturdier and also to have more Gliadin, (a potent appetite stimulant)

The wheat we eat today is not the wheat that was eaten 100 years ago.

If you stop eating breads/pasta/chapatis every day, and start eating rice with chicken and vegetables, you still lose weight because rice doesn’t raise blood sugar as high as wheat, and it also doesn’t have the aAmylopectin A or the Gliadin that stimulates appetite. You won’t have the same increase in calorie intake that wheat causes.
That’s part of the reason why foreign cultures that don’t consume wheat tend to be slenderer and healthier.


◆◆◆◆◆◆◆Excerpts from New york Times best selling book~
"WHEAT BELLY" written by Cardiologist Dr William Davis..

बासी रोटी खाने के ये 4 बड़े फायदें जानकर हैरान रह जाएंगे आप bassi roti kidney

बासी रोटी खाने के ये 4 बड़े फायदें जानकर हैरान रह जाएंगे आप
DR. MUNISH KHANNA
M. D
GOLD MEDALIST
AMRITSAR
919646766777
नमस्कार दोस्तों, अक्सर घरों में बासी रोटी बच जाती है और घर के सदस्य इसे खाने से इनकार कर देते हैं। ज्यादातर घरों का यही हाल रहता है। पर क्या आप जानते हैं बासी रोटी खाने से हमारे शरीर को बहुत फायदे मिलते हैं। आपको यह सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा पर यह बिल्कुल आजमाया हुआ एक पुराना नुस्खा है। तो आइए, जान लेते हैं इसके हैरान कर देने वाले फायदों के बारे में

(1) बासी रोटी को दूध के साथ मिलाकर खाने से डायबिटीज की समस्या दूर हो जाती है। जिन लोगों के खून में शुगर का लेवल बढ़ा हुआ है उन्हें हर सुबह दूध में बासी रोटी मिलाकर जरूर खाना चाहिए। इससे इस बीमारी के इलाज में काफी मदद मिलती है।

(2) आजकल लोगों में तेजी से ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ती जा रही है। हर तीसरा आदमी इस समस्या से ग्रस्त है साथ ही इसके कारण अन्य कई तरह की बीमारियां भी उत्पन्न हो रही है। पर यदि दूध के साथ बासी रोटी का सेवन किया जाए तो ब्लड प्रेशर समस्या दूर हो जाएगी और यह सामान्य बना रहेगा।

(3) कोई कितना भी बाहर का खाना क्यों ना खा ले। पर जब तक रोटी ना खाए पेट भरने का एहसास नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। बासी रोटी खाने से पेट संबंधित समस्याएं जैसे कि एसिडिटी, अनपच, गैस, बदहजमी नहीं होती।

(4) बासी रोटी खाने से शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है और इससे हृदय संबंधित बीमारियों का भी खतरा काफी हद तक कम हो जाता है।
DR. KHANNA
M. D
GOLD MEDALIST
AMRITSAR
919646766777
❇ *इस मेसेज को अधिक से अधिक शेयर करके आप लाखो लोगो की फिडनी सुरक्षित करके किडनी फैल होने से बचा सकते है*  ❇
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आजकल हम देखते है की लाखो लोगो की किडनी फैल हो रही है | रोज हजारो लोग किडनी रोगी बनते जा रहे है | क्योकी शुगर वं हाइब्लडप्रेशर वं हार्ट की ज्यादातर दवाइयां किडनी पर बुरा असर करके किडनी को फैल कर देती है | जबकी इनसे बचा भी जा सकतां है |

☘ *क्यां आप चाहते है की आपकी किडनीमे सालो से जमां हुवा कचरा सिर्फ पांच दिनो मे निकल जाए* ☘

संजीवनी हैल्थकेयर वं डॉ.प्रयाग डाभी द्वारा सालो के तजुर्बे वं कडी महेनत आैर कइ लोगो पर आजमाकर आैर पोजिटीव रीजल्ट लेकर आपके सामने यह फार्मुला हम प्रस्तुत करते है | आपको यह प्रयोग केवल पांच दिनो तक करनां है आप पांच दिनो मे खूद महसुस करेंगे की आपकी किडनी पहले से ज्यादा काम कर रही है | मूञ-पेशाब ठिक से आ रहां है | शरीररमे जो पहले अधिक पसीनां आतां था वह बहोत कम होतां महसुस करेंगे | शरीरकी अतिरीक्त गर्मी को भी आप कम होतां हुवां अपने आप देखेंगे | आैर इस प्रयोग दरम्यान आप देखेंगे की आपको पेशाब की माञा बहोत ही बढ़ जायेगी आेर सालो से किडनी मे जमां हुवा टोक्सीक( जहर ) युरीन के द्वारा बहार निकल जायेगा | आैर 70% किडनी फैल होने के चान्स नही रहेंगे क्योकी आपकी किडनी को खराब करने वाला (टोक्सीक) जहर को पुरी तरह ही बहार निकाल देगा यह प्रयोग |

☘ *क्यां है केवल पांच दिनो मे किडनी मे जमां हुवां कचरा को पूरी तरह साफ करने वाला प्रयोग* ☘

40 ग्राम फ्रेश हरां धनियां लिजिए आैर २ ग्लास पानी के साथ मिक्स करके मिक्षर मे ज्युस बनां लिजिए आैर सुबह खालीपेट सेवन करीए | यह एक खूराक है | इसी तरहां पांच दिनो तक इसी प्रकार प्रयोग करे | फीर जरुरत नही है इस प्रयोग की | _नोंध:- यह प्रयोग जिसकी  किडनी फैल्योर हो चूकी है उनके लिए नही है_

*कृपयां यह जानकारी अपने सभी दोस्तो, रीश्तेदार वं सगे-सम्बंधी के साथ शेयर करें ताकी कीसीकी भी किडनी खराब नां हो |*

डॉ.प्रयाग डाभी
संजीवनी हैल्थकैयर
भावनगर, गुजरात

〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰जाएंगे आप DR. MUNISH KHANNA M. D GOLD MEDALIST AMRITSAR 919646766777 नमस्कार दोस्तों, अक्सर घरों में बासी रोटी बच जाती है और घर के सदस्य इसे खाने से इनकार कर देते हैं। ज्यादातर घरों का यही हाल रहता है। पर क्या आप जानते हैं बासी रोटी खाने से हमारे शरीर को बहुत फायदे मिलते हैं। आपको यह सुनकर थोड़ा अटपटा जरूर लग रहा होगा पर यह बिल्कुल आजमाया हुआ एक पुराना नुस्खा है। तो आइए, जान लेते हैं इसके हैरान कर देने वाले फायदों के बारे में (1) बासी रोटी को दूध के साथ मिलाकर खाने से डायबिटीज की समस्या दूर हो जाती है। जिन लोगों के खून में शुगर का लेवल बढ़ा हुआ है उन्हें हर सुबह दूध में बासी रोटी मिलाकर जरूर खाना चाहिए। इससे इस बीमारी के इलाज में काफी मदद मिलती है। (2) आजकल लोगों में तेजी से ब्लड प्रेशर की समस्या बढ़ती जा रही है। हर तीसरा आदमी इस समस्या से ग्रस्त है साथ ही इसके कारण अन्य कई तरह की बीमारियां भी उत्पन्न हो रही है। पर यदि दूध के साथ बासी रोटी का सेवन किया जाए तो ब्लड प्रेशर समस्या दूर हो जाएगी और यह सामान्य बना रहेगा। (3) कोई कितना भी बाहर का खाना क्यों ना खा ले। पर जब तक रोटी ना खाए पेट भरने का एहसास नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें भरपूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। बासी रोटी खाने से पेट संबंधित समस्याएं जैसे कि एसिडिटी, अनपच, गैस, बदहजमी नहीं होती। (4) बासी रोटी खाने से शरीर का तापमान सामान्य बना रहता है और इससे हृदय संबंधित बीमारियों का भी खतरा काफी हद तक कम हो जाता है। DR. KHANNA M. D GOLD MEDALIST AMRITSAR 919646766777 ❇ *इस मेसेज को अधिक से अधिक शेयर करके आप लाखो लोगो की फिडनी सुरक्षित करके किडनी फैल होने से बचा सकते है* ❇ 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰 आजकल हम देखते है की लाखो लोगो की किडनी फैल हो रही है | रोज हजारो लोग किडनी रोगी बनते जा रहे है | क्योकी शुगर वं हाइब्लडप्रेशर वं हार्ट की ज्यादातर दवाइयां किडनी पर बुरा असर करके किडनी को फैल कर देती है | जबकी इनसे बचा भी जा सकतां है | ☘ *क्यां आप चाहते है की आपकी किडनीमे सालो से जमां हुवा कचरा सिर्फ पांच दिनो मे निकल जाए* ☘ संजीवनी हैल्थकेयर वं डॉ.प्रयाग डाभी द्वारा सालो के तजुर्बे वं कडी महेनत आैर कइ लोगो पर आजमाकर आैर पोजिटीव रीजल्ट लेकर आपके सामने यह फार्मुला हम प्रस्तुत करते है | आपको यह प्रयोग केवल पांच दिनो तक करनां है आप पांच दिनो मे खूद महसुस करेंगे की आपकी किडनी पहले से ज्यादा काम कर रही है | मूञ-पेशाब ठिक से आ रहां है | शरीररमे जो पहले अधिक पसीनां आतां था वह बहोत कम होतां महसुस करेंगे | शरीरकी अतिरीक्त गर्मी को भी आप कम होतां हुवां अपने आप देखेंगे | आैर इस प्रयोग दरम्यान आप देखेंगे की आपको पेशाब की माञा बहोत ही बढ़ जायेगी आेर सालो से किडनी मे जमां हुवा टोक्सीक( जहर ) युरीन के द्वारा बहार निकल जायेगा | आैर 70% किडनी फैल होने के चान्स नही रहेंगे क्योकी आपकी किडनी को खराब करने वाला (टोक्सीक) जहर को पुरी तरह ही बहार निकाल देगा यह प्रयोग | ☘ *क्यां है केवल पांच दिनो मे किडनी मे जमां हुवां कचरा को पूरी तरह साफ करने वाला प्रयोग* ☘ 40 ग्राम फ्रेश हरां धनियां लिजिए आैर २ ग्लास पानी के साथ मिक्स करके मिक्षर मे ज्युस बनां लिजिए आैर सुबह खालीपेट सेवन करीए | यह एक खूराक है | इसी तरहां पांच दिनो तक इसी प्रकार प्रयोग करे | फीर जरुरत नही है इस प्रयोग की | _नोंध:- यह प्रयोग जिसकी किडनी फैल्योर हो चूकी है उनके लिए नही है_ *कृपयां यह जानकारी अपने सभी दोस्तो, रीश्तेदार वं सगे-सम्बंधी के साथ शेयर करें ताकी कीसीकी भी किडनी खराब नां हो |* डॉ.प्रयाग डाभी संजीवनी हैल्थकैयर भावनगर, गुजरात 〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰〰

Lehenga Business Earn Lakhs and crores by Start-up India Academy Delhi. लहंगा व्यापार सीखिए

We as Start-up India Academy Delhi Trains the new start-up and old in National and international business. लहंगा व्यापार फैशन बिजनेस का एक बहुत बड़ा हिस्सा है और हमारी स्टार्टअप अकैडमी के द्वारा आप इस बिजनेस से लाखों और करोड़ों रुपया महीना कमा सकते हैं जानकारी के लिए आप हमें फोन पर संपर्क करें यह अपने लिए लहंगा खरीदना हो तो भी हमारी कंसलटेंसी से आप लाखों रुपए बचा सकते हैं पूरी शादी का इवेंट भी हम मैनेज करते हैं
We also manage the whole Shadi Event for every Budget. Having Big Bollywood Star in Your function etc.

https://youtu.be/PUpXZqgk_nM

Pulwama attack is Murder of Army Personnel by their own government

शहादत नहीं, सरकारी हत्या है!


https://aajtak.intoday.in/story/pulwama-attack-bjp-leader-subramanian-swamy-check-point-government-order-1-1061902.html

See this video also

https://youtu.be/ST8auVNEna4

✍✍✍... अमेरिका, इंग्लैंड, जर्मनी व फ्रांस का रक्षा बजट 2-3% होता है और भारत-पाकिस्तान का रक्षा बजट 7-8% होता है। यही कारण है कि उन देशों में शिक्षित व वैज्ञानिक सोच वाले नागरिक पैदा होते है और भारत-पाक में धार्मिक उन्मादयुक्त आतंकी/चरमपंथी पैदा होते है।

भारत का रक्षा बजट लगभग 4 लाख करोड़ रुपये है और हालात देखिये एक स्थानीय धार्मिक उन्मादयुक्त आतंकी उठता है और 42 जवानों की हत्या कर देता और तकरीबन 4 दर्जन जवानों को अस्पताल पहुंचा देता है!

प्रधानमंत्री कड़ी निंदा करता है, गृहमंत्री कड़ी निंदा करता है, तमाम सत्ता पक्ष कड़ी निंदा करता है, विपक्ष निंदा करता है, जनता मातम विशेषज्ञ बनकर तात्कालिक विलाप कर रही है, कवि कविता लिख रहे है, शायर दो-चार शेर लिख रहे है, कुछ युवा वीर रस की कविताओं के छंद बोल रहे है और मीडिया विस्फोटक रूप अख्तियार करके पाकिस्तान के साथ युध्द के लिए उकसा रहा है। शहरी मध्यम वर्ग मरने-मारने की चर्चा कर रहा है लेकिन मर कौन रहा है ? खेत मे फांसी पर लटककर किसान मरता है और सीमा पर उसका बेटा मरता है। इसलिए मैं कहता हूँ कि यह शहादत नहीं सरकारी हत्या है!

जवानों की शहादत शांतिकाल में नहीं, बैटल फील्ड अर्थात जंग के मैदान में होती है। शांतिकाल में जवानों की हत्या नीच व घटिया स्तर की राजनीति के कारण होती है।

✍✍✍... इस देश की राजनीतिक जमात अपने ही देश के जवानों व नागरिकों के साथ अघोषित युद्ध लड़ रही है! बच्चे कुपोषण से काल-कवलित हो रहे है, नागरिक इलाज के अभाव में दम तोड़ रहे है, किसान आत्महत्या कर रहा है, युवाओं को धार्मिक उन्माद में धकेला जा रहा है, शिक्षा व्यवस्था चौपट हो गई है और राजनेता रक्षा बजट बढ़ाते हुए अपने मोटे कमीशन का इंतजाम कर रहे है।उम्दा तकनीक से लैस मिसाइल बनाने वाला व परमाणु बम बनाने वाला देश लड़ाकू विमान नहीं बना सकता क्योंकि नेताओं की कमीशनखोरी खत्म हो जायेगी!

✍✍✍... देश की ताकतवर सत्ता सर्जिकल स्ट्राइक को विश्वयुद्ध जीत की तरह ढोल पीटकर बता रही थी और उधर से एक आतंकी हाफिज सईद ने कहा था कि असली सर्जिकल स्ट्राइक हम करेंगे और दुनियां देखेगी और कल खुलेआम करके दिखा दिया और दुनियां देख रही है। कोई फोटो/वीडियो नहीं मांग रहा है! सबकुछ सामने है। उरी अटैक व सर्जिकल स्ट्राइक पर फ़िल्म बन ही गई तो पुलवामा अटैक पर भी एक फ़िल्म बना लीजिए! यह देश मुर्दों का देश बन चुका है! यह मातम मना सकता है और कुछ नहीं कर सकता है!

130 करोड़ नागरिकों की सेना का नेता बेईमान, बे-गैरत हो, गृह विभाग का मुख्या इस्तीफा देने के बजाय घटना स्थल पर जाने की बात कहे और मुख्यधारा के मीडिया इसे बड़ा कदम बताने लगे तो समझिए इस देश की सत्ता नपुसंक होकर बेईमानी के गड्ढे में बैठ चुकी है।

हमले के तुरंत बाद मीडिया जन-आक्रोश की डोर थाम चुका है।चौबीस घंटे युद्ध की धमकी, सबक, खून का बदला खून, मुंहतोड़ जवाब सरीखे शब्दों में जन भावना को हांकता है व उसके बाद धीरे-धीरे शांति प्रिय तर्क विशेषज्ञ आते है और जंग के नफे-नुकसान की पोथियाँ खोलकर सत्ता को इस माहौल से निकलने का रास्ता दे जाते है। मध्यम वर्ग का सोफे पर बैठकर जो खून खोल रहा होता है वो धीरे-धीरे ठंडा पड़ने लग जाता है और फिर उनमें पक्ष-विपक्ष बन जाता है। कुछ लोग सत्ता को जायज ठहराने लग जाते है व कुछ लोग गलत!

✍✍✍... इस घटना पर कड़ी निंदा का दौर थम रहा है! अब देश शहादत को सलाम करने का नाटक करेगा! तमाम नेता कहेंगे कि हम शहीद परिवार के साथ खड़े है! जब तक सूरज चाँद रहेगा, शहीद तेरा नाम रहेगा सरीखे नारे लगाकर किसानों के 24-24, 25-25 साल के नौजवान पुत्रों को तिरंगे के साथ विदा कर दिया जाएगा! किसी के कलेजे का टुकड़ा गया है! किसी का सिंदूर उजड़ा है, किसी राखी वाली कलई खोई है! कुछ जीवनभर के लिए अनाथ हो गए है! ये ऐसे जख्म है जो कभी भुलाये नहीं जा सकते! मगर ये जख्म, ये चीत्कारें, ये लाशें देशभक्ति के नारों के बीच सिर्फ और सिर्फ किसानों के घरों से निकलती है इसलिए यह सिर्फ कड़ी निंदा मंत्रालय के हवाले होकर बॉलीवुड की तरफ निकल जाती है!

यह ऐसा देश है जहां के नागरिक अपने ही देश की सियासत के खिलाफ युद्ध लड़ रहे है! यह ऐसा देश है जहां की सत्ता के हाथ खुद के नागरिकों के खून से सन्ने है! याद रखिये कुछ दिनों पहले सत्ताधारी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने चुनावों को पानीपत के युद्ध की तरह लड़ने का बखान किया था! गरीबी, अशिक्षा,बेरोजगारी, नक्सलवाद, आतंकवाद, किसान आत्महत्या आदि के लिए जंग का एलान हमारे सियासतदां-हुक्मरान नहीं करते!

रक्षा मंत्रालय व गृहमंत्रालय का कुल मिलाकर बजट 7 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा है और राज्य सरकारों का जोड़ दिया जाए तो लगभग 15 लाख करोड़ रुपये सालाना हो जाता है! कुल मिलाकर यह बजट कड़ी निंदा, कमीशन व धार्मिक-जातीय नफरत पैदा करने के मद में खर्च किया जा रहा है! जिस दिन भगतसिंह को फांसी हुई थी उसी दिन देश की जवानी मर गई थी! देश मे इतने युवा बेरोजगार बैठे है कि दिल्ली की तरफ कूच कर दें तो सत्ता पर काबिज बेईमान बुढ़े खुद बंदूक उठाकर कश्मीर की तरफ चल देंगे! मगर वो भगतसिंह की सोच वाले युवा कहाँ? किसी का इस्लाम खतरे में है तो किसी का हिंदुत्व खतरे में है! किसी की कुर्सी खतरे में है तो किसी की मूर्ति खतरे में है! असल मे यह देश व इसका वजूद खतरे में है!
🙏🏻🙏🏻

Scrap business consultancy from Start-up India Academy Delhi from Dubai sharjah China USA ~2

You can call me personally for any queries:

Ashok Gupta
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Procedures to import Metallic waste and scrap





This post explains about import of Metallic waste and scrap in India.



Import of any form of metallic waste, scrap will be subject to the condition that it will not contain hazardous, toxic waste, radioactive contaminated waste / scrap containing radioactive material, any type of arms, ammunition, mines, shells, live or used cartridge or any other explosive material in any form either used or otherwise.



Import of following types of metallic waste and scrap will be free subject to conditions detailed below:

Sl. No. Exim Code Item description

1. 72041000 Waste and scrap of cast iron

2. 72042190 Other

3. 72042920 Of High speed steel

4. 72042990 Other

5. 72043000 Waste and scrap of tinned iron or Steel

6. 72044100 Turnings, shavings, chips, milling waste, saw dust, fillings, trimmings and stampings, whether or not in bundles.

7. 72044900 Other

8. 72045000 Re-melting scrap ingots

9. 74040010 Copper scrap

10. 74040022 Brass scrap

11. 75030010 Nickel scrap

12. 76020010 Aluminium scrap

13. 79020010 Zinc scrap

14. 80020010 Tin scrap

15. 81042010 Magnesium scrap

‘Freely’ Importable metallic waste and scraps (shredded) as listed above shall be permitted through all ports of India subject to following conditions:

At the time of the clearance of goods, importer shall furnish to the Customs pre-shipment inspection certificate as per the format to Appendix 2H from any of the Inspection & Certification agencies given in Appendix-2G, to the effect that the consignment was checked for radiation level and scrap does not contain radiation level (gamma and neutron) in excess of natural background. The certificate shall give the value of background radiation level at that place as also the maximum radiation level on the scrap; and

Importer shall also furnish copy of the contract with the exporter stipulating that the consignment does not contain any radioactive contaminated material in any form.

(c) Import from Hodaideh, Yemen and Bandar Abbas, Iran will be in shredded form only.

(d) Import of un-shredded compressed and loose form of metallic waste, scrap listed in paragraph 2.54(a) above in shall be subject to the following conditions:-

At the time of the clearance of goods, importer shall furnish to the Customs pre-shipment inspection certificate as per the format in Appendix 2H from any of the Inspection& Certification agencies given in Appendix-2G to the effect that the consignment does not contain any type of arms, ammunition, mines, shells, cartridges, or any other explosive material in any form either used or otherwise, and that the consignment was checked for radiation level and it does not contain radiation level (gamma and neutron) in excess of natural background. The certificate shall give the value of background radiation level at that place as also the maximum radiation level on the scrap.

The imported item (s) is actually a metallic waste/ scrap /seconds /defective as per the internationally accepted parameters for such a classification.

Copy of the contract between the importer and the exporter stipulating that the consignment does not contain any type of arms, ammunition, mines, shells, cartridges, radioactive contaminated, or any other explosive material in any form either used or otherwise.

Import of scrap would take place only through following designated ports and no exceptions would be allowed even in case of EOUs, SEZs:-

“1. Chennai, 2.Cochin, 3.Ennore, 4.JNPT, 5.Kandla, 6.Mormugao, 7.Mumbai, 8.New Mangalore, 9.Paragraphdip, 10.Tuticorin, 11.Vishakhapatnam, 12.ICD Loni, Ghaziabad, 13.Pipava, 14.Mundra, 15.Kolkata, 16.ICD Ludhiana, 17.ICD Dadri (Greater Noida), 18.ICD Nagpur, 19.ICD Jodhpur, 20.ICD Jaipur, 21.ICD Udaipur, 22. CFS Mulund, 23. ICD Kanpur, 24.ICDAhmedabad, 25.ICD Pitampur and 26.ICD Malanpur”.



The above post explains about import of Metallic waste and scrap in India. If you would like to add more information about import of metallic waste and scrap to India, express below.





 

The above information is a part of Export Import Training online




6 digit HS codes Chapter 47 PULP OF WOOD, WASTE and SCRAP OF PAPER



Requirements to import Pulp of wood, waste and scrap of paper



Product code for zinc waste and scrap



Commodity code to export import magnesium waste and scrap, unwrought, powders, turning and granules and articles



Product code for cobalt mattes, unwrought, waste and scrap, powders and articles of cobalt



Goods HS code for zirconium unwrought, waste and scrap, powders and articles thereof



Export commodity code for cullet and other waste and scrap glass, glass in mass



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Types of export containers
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Foreign Trade Policy of India 2015-2020
MEIS, Merchandise Exports from India Scheme
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Click here to know HS code of your product
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12 Major risks and solutions in Imports and Exports
Different types of export containers
What is said to contain in Bill of Lading.
What is Manifest Hold by US customs on import
What is MET exam in US import customs clearance
What is legalization of documents by embassy?
What is LET EXPORT order in export trade?
What is Line number in IGM
What does ECGC do on default of payment of any overseas buyer?
Import of milk,cheese,curd, Kephir and other milk products
Importation processes of Fish and crustaceans
How to import Meat and Edible meat offal
Bank Packing credit to exporters of Floriculture, Grapes and Other Agro-based Products
How is packing credit/pre shipment finance be liquidated?
Bank Pre shipment Finance to exporters


Comments


Pranab Das: On 04 July 2015Dear Sir, Please confirm Copper Wire Scrap Mill Berry are import allowed India or restricted. H.S.Code : 7404.00.00
VIMAL MEHTA: On 21 July 2015Dear Sir we wish to import copper wire and will seperate pvc and wire here in delhi/ncr or we can stripp out of india and import only copper and pvc waste here. what are the formalities required and how you can help in. we want to do clear business. pls brief your terms and conditions.we hv all arrangements for urchase of raw material and sale here in delhi. thanks
Aditi Jain: On 09 August 2015Dear Sir, Supplier didn't provide a PSIC


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Scrap business consultancy from Start-up India Academy Delhi from Dubai sharjah China USA

THE UAE SCRAP INDUSTRY AN INSIDE ACCOUNT

17 February, 2017

By: Apurva Agrawal
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CATEGORY: SCRAP

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UAE, an economy dependent on oil first, and then on tourism for the last few years, is surprisingly well into the ferrous scrap business. Perhaps, it is the massive, technology-forward infrastructure projects that keep demand for steel reasonably strong. Consider Burj Khalifa.

The domestic steel production in the country only amounts to about 3 mnt and the industry runs short of indications of any expansions in the short or long term. Factors such as unavailability of raw materials & land, strict pollution norms have kept the domestic steel industry from growing.

However, the scrapyards in Sharjahan are spectacular. In fact, UAE gets credit for being the 10th largest global exporter of ferrous scrap, given the sheer small size of the country and the corresponding population, which also leads to the conclusion that scrap generation in the country is high.

However, the scrapyards in Sharjahan are spectacular. In fact, UAE gets credit for being the 10th largest global exporter of ferrous scrap, given the sheer small size of the country and the corresponding population, which also leads to the conclusion that scrap generation in the country is high.

What is Driving Scrap Generation in UAE?

The scrap recycling industry in UAE has steadily become organized over the years and the industry is expected to grow by 5-6% in the next five years. As the per capita income of the country is high, the spending power is strong, largely exhibited by expenditure in the infrastructure and construction sector for a thriving tourism industry and luxury living. Modernization leads to demolitions of old buildings and houses, and thus generation of ferrous scrap.

Second hand cars and machines from Africa and Egypt are routed to UAE for scrapping. It is safe to say that as sanctions & embargoes on Iran and other neighboring countries are eased, UAE’s metal recycling industry will witness a steep growth.

Also, for a country practically driven by the oil business, the amount of steel used in fabrications and subsequent scrap generation is sizeable.

Why are Exports High?

90% of scrap exported from UAE reaches the Indian shores because of the zero container freight realization on export to India. Also, DRI plants are the trend in the country, which leads to low domestic scrap consumption for steel production.

In a recent visit to UAE, Steel 360 met up with Sharif Al Salam, Director, Salam Metal, President of BMR and with Shabbir Malik, Director SM International, Board member of BMR. The conversation centered around the topic at hand. Excerpts follow.

Sharif Al Salam, Director, Salam Metal; President of BMR " data-medium-file="https://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3-188x300.jpg" data-large-file="https://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3-188x300.jpg" class="wp-image-5919 alignright" src="http://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3.jpg" alt="Feb-2017_Cover-Story_img3" width="303" height="485" srcset="https://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3.jpg 944w, https://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3-188x300.jpg 188w, https://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3-768x1228.jpg 768w, https://news.steel-360.com/wp-content/uploads/2017/02/Feb-2017_Cover-Story_img3-600x960.jpg 600w" sizes="(max-width: 303px) 100vw, 303px" style="background: transparent; border: 0px; margin: 0px 0px 0px 1.5em; padding: 0px; vertical-align: baseline; display: inline; float: right;">Q. How is the recycling market in the Middle East, specifically in UAE? What is the total scrap generation, ferrous and non-ferrous?

A. I may not give you exact quantities because it is related to different statistics available at the customs and different materials are collected within the UAE. Some are imported and some may be, to be more precise, declared as per the specifications of the metals and some may not be declared in the similar specifications so it may not be something very accurate. But I can tell you that the non-ferrous scrap generation in UAE is about 1 million tonne a year.

Q. How much this is exported and how much is used domestically?

A. 90% is exported and 10% remains for local recycling. Local recycling, I mean, it’s all recycled somehow, by means of collection and preparations. But some of it is re-melted for foundry alloys and some of it is re-melted for some other raw materials for the foundries for further production of finished products.

Q. What does non-ferrous include – copper, aluminium?

A. Copper, aluminium, zinc, nickel, lead.

Q. What are the sources of scrap?

A. Consumer scrap ie everybody who is able to consume some of the household, refrigerators, home appliances, industrial wastes. I mean that is generated after the construction or destruction. The construction source will generate scrap during the production line and as you are a fabricator, you bought your raw material, finished goods; you want to apply and manufacture the item. During that, there is about 5 to 21% waste. It depends on what industry you are in and how efficient it is. The second source is the post consumer and demolishing. The buildings that are there for 30-40 years may be, it is not feasible to maintain the same buildings. You have a building of 3-4 stories on a plot which now costs 4-5 times more. So you rather demolish that building and make a high-rise structure; so that is generation of scrap of copper, aluminium and different items related.

Q. Like in developed countries, is there any policy in UAE that regards vehicles obsolete or not fit for use after a certain period, say 8- 10 years?

A. In UAE, it is not applied yet. Not like in Europe or Japan. So you can drive your car for 15 years. I don’t think there is anybody who will tell you why you are able to keep the same car as long as it passes the traffic control department. Nobody can prevent you from driving your car. There is a traffic approval department for renewing your registration. If it goes through the mechanical and the environmental tests, you can drive it.

Q. However, are cars one of the sources for generating scrap in Middle East?

A. Yes, of course. The end-of-life vehicles may go to shredders where they shred them and separate the ferrous and non- ferrous scrap. The ferrous scrap goes to steel mills and the non- ferrous goes for either alloying and re-melting or for further exports.

Q. Why is Middle East such a big market for recycling? Why not any other country? Also, why a lot of scrap comes from Africa and Australia gets processed here and is sold to other parts of the world?

A. First of all, there is a 2nd hand automotive spare parts hub in the Middle East and in Dubai, in particular. It comes from Japan, from far-east, since in Japan a vehicle more than 5 years old cannot be driven on the road. These vehicles are declared obsolete and come into UAE as spare parts. You need a motor, you need a transmission or spare parts, you go to junkyards. Why to go to the showroom and pay 1000 Dirhams for a piece? In the junkyard, you may find a good piece for 200 Dirhams that is from a car only 2-3 years old that has been either brought from Japan or has been through an accident. If it has been through an accident, the insurance will say ok, you cannot drive it any longer. If the chassis breaks, the insurance will pay you. So that is the source.

The other thing is the traffic. After it lands here, it goes to Africa. Africa is such a country that they prefer to buy affordable spare parts. So there is a big hub of collections and segregation. For UAE, there is a big market in Africa. The second thing is that Dubai has one of the world’s largest seaports. It has the facility that people bring cargo via Dubai from African ports that can be shipped, shored and shipped again. It can also be landed here for some of the logistics reasons. So, Dubai is a gateway for Middle East, a lot of connections.

Q. Does scrap come to Dubai from Australia for processing?

A. Australia, I don’t know but sometimes from USA and Africa and other neighboring countries. I have not heard about Australia.

Q. Does all the scrap that comes from US or any other part of the world gets re- processed and re-exported?

A. Some is locally consumed. If you find a cheaper source of raw material from USA, why not buy it and leverage on that cost rather than having to buy from an expensive source? So that is possible. But this is very small volume. I don’t think it’s a huge volume but for it to re-process and re-export, the claim is gone. If it’s an Indian outlet market, you rather bring it from America directly to India. Why to bring it here? I bring some because I consume it – iron, aluminium, alloy and there is a purpose for it. So it’s over here in UAE.

Q. We were listening to Emirates Steel yesterday. They were saying that steel and scrap consumption will be increasing in domestic market. There is an export levy of 250 Dirhams per tonne. Is there any chance that the government may impose import or export tax?

A. I have no comments on that jurisdiction. I don’t know how it works at the customs. It’s not my area.

Q. I was looking at the numbers. India is one of the largest importers of scrap from UAE. Has demonetization affected the market?

A. There have been some regulations on that front. Export is now mainly focused on the consumers and the actual users of scrap rather than the traders. So it has eliminated the brokers and traders from the middle.

Q. India is a big market because there is also zero freight from Dubai to India? But this is not the case in any other part of the world?

A. It’s a traffic control of the logistics of the containers. Though it’s zero freight but you still pay for the transportation locally to move the container, you pay for the terminal handling charges, you pay for the stevedoring. You still pay something. But as sea freight may be zero and why they prefer to have it zero or even a token amount is because there main sector is to re-position the container, bring the import cargo. That’s their money making sector but sending the container back if there is no cargo like scrap which is available to stuff in the container and take it to India, they may have to pay from their pocket. There will be negative revenue. So they prefer to get scrap and load it out there.

Q. In that sense, if India reduces import or India takes some time to stabilize after demonetization, do you think that Middle East will be catering to other markets like Bangladesh, Pakistan, Indonesia, Vietnam?

A. Yeah, it’s an open market. It could be Far East. It could be Europe, or anywhere else. We are still sending to India. It’s not that it has stopped. But it is going to the right hands to the consumers and not to the traders and brokers. So there has been a limitation and regulation to the flow of raw material.

Q. Recently ferrous and non- ferrous scrap prices have increased sharply, especially copper. Do you think that these prices are sustainable or there is a speculation of dollar getting stronger?

A. I don’t think it is fundamentally supported. I think it is a question of political and exchange related factors to the copper hike. Why copper would pick up by 30% in these 10 days from USD 4,500 to 6,000. Again it went back to USD 5500-5400. Fundamentally speaking, especially when Chinese have slowed down their imports, I think it’s driven by different factors.


Shabbir Malik, Director SM International, Board member of BMR.

Q. Is Dubai a big export market?

A. Dubai started in about 1990s, exporting to India against import license with restrictions on size, quality etc. That time UAE was a very small market with only 2-3 players exporting the material. We were among the first ones to export to India. The only ICD in India was Pragati Maidan. That time shipping cost was also high. North India was the only market for imported scrap.

Q. Why not to Pakistan?

A. Export to Pakistan was in very small quantity. Back then, India was also small. Indian market expanded gradually and exports began to Ludhiana ICD and gradually to Nhava Sheva and South India.

Q. What is the source of scrap generation here?

A. Scrap is generated from the construction industry,oil industry. There are many fabricators here. There are many companies here which are making truck bodies etc. Many companies supply material to the Middle East for re-export. That is also a big source. Auto industry is the biggest source from where scrap is generated.

Q. Are these domestic obsolete vehicles or do they come from outside?

A. These are domestic vehicles that are dismantled and spare parts separated. Vehicle bodies go to shredding plants.

Q. What happens with the auto parts?

A. Auto parts are sold more in African countries. Those which are not saleable here, go to scrap.

Q. Do vehicles come from Japan, specifically for scrapping?

A. Vehicles come from Japan for resale, not for being scrapped. Cars damaged in accidents are sent here for refurbishing and then sold locally or in African countries etc. Here we have a very big market for right hand vehicles and these vehicles are exported from here. We have a free zone here.

Q. Is there any rule by the government to declare vehicles obsolete in, say, 10 years?

A. There is no rule as such. Here, if the vehicle is not fit, it will not be renewed, be as new or as old. Here, we have to get the vehicles renewed every year. It is checked thoroughly like its tyres, chassis etc.

Q. If the vehicle is not fit then what do you do with it?

A. If the vehicle is not fit, then you can’t even export the vehicle.

Q. What about the steel mills in UAE?

A. There are 2-3 big mills in Abu Dhabi. Emirates, Arab Gulf, Quality Steel in Dubai; and Shattaf Steel in Sharjahan.

Q. Are these rolling mills or inductions?

A. These are furnaces. Emirates’ is DRI. Other local mills focus more on scrap.

Q. How much ferrous scrap is generated approximately?

A. It’s very difficult to quantify. For eg, it goes from small vendor to big exporter. From big exporter to traders. But I think 0.12 mnt per month is generated for export and local use.

Q. Our records show that export from Middle East to India is about 0.9-0.95 mnt per year. Which are the other major nations for export?

A. 0.12 mnt per month means 1.44 mnt per year. It is largely export oriented. This is not a recorded data. I think 20-25% is domestic consumption. Rest goes to export. It was earlier 70% to India, 30% to Pakistan. In the current scenario, more is exported to Pakistan.0.3 mnt goes to Pakistan. At present, demonetization in India is an issue, but it is largely because Pakistan market is high. New projects and requirements in the Indian market have been very slow since May 2016. Material is also exported to Oman, Far East. It also goes to Vietnam, Indonesia. We did a lot of shipments in the past to Far East, Malaysia, Singapore. But, as far as realization is concerned, the best available immediate markets from UAE are India and Pakistan.

Q. In India, it is zero freight. Is it zero freight for Pakistan too?

A. In Pakistan, there are two ports. One is Karachi Port and the other one is Port Quasim. Both ports attract zero freight charges, but India local charges are also less. Exporting to Pakistan costs USD 5-6 higher than India.

Q. In India, Ludhiana is big market or Mumbai? Which is the largest consumer?

A. Earlier, Mandi, Ludhiana were the biggest markets. It has gradually shifted to Nhava Sheva.

South India is a big market but freight workability doesn’t suit there at times.

Q. What is the freight for the container from Dubai to Mumbai and Dubai to Chennai?

A. To India, freight is always zero. Here, local TSC is about 1000 Dirham. Nhava Sheva is zero. Chennai is 1000 Dirham plus USD 20-50. Therefore, material is only exported to Chennai when the market has shot up.

Q. What kinds of material are available?

A. HMS 1 – 25 tonne loading and the other one is HMS 2 (80-20) – 23 tonne loading. Blue steel ie fresh cutting material is also available. Shredded material is less here. HMS 1 is more popular is India. In Nhava Sheva – HMS 2 is more popular. In Mandi – HMS 1 is preferred.

Q. Do you feel domestic consumption will increase here? Will there be more furnaces?

A. Yes, the numbers are increasing.

Q. Which are the other big export driven markets in Middle East?

A. In Middle East, next big market is Kuwait. Much is generated in Kuwait but there are many restrictions there. Export from Qatar is banned. About 10,000- 15,000 tonne is exported from Bahrain.

Q. If you have a scrapyard and mill is in India, then how is the work done? Are there any middlemen for the deal? Or is it direct deal?

A. Here deals are done both ways, through agents or direct. Though, agents are preferred, both by buyers and suppliers for timely transactions. Payment terms are flexible here and shipments are in small quantities. Numbers of shipments are more, so dealing with agents is easy for exporters also.

Q. How is the taxation system here in Dubai? Is there duty on export?

A. We have no income tax. There is 5% duty on import. There is no duty on export. Here we have different kinds of charges, not taxes.

Challenges & Opportunities One of the issues that may concern the export of scrap to India is demonetization. As with all commodities, a drop in demand of scrap is expected following demonetization. Since 90% of UAE’s scrap export is to India, an impact may be felt. Yet, a larger concern remains the demand of the domestic steelmakers to levy export duty on scrap of up to USD 68. This can be a major impediment to the scrap export business in UAE.

Although, growth opportunities are far more concrete. The Dubai World Expo 2020 is expected to considerably increase demand for steel as well as lead to high volumes of scrap generation. Also, the Football World Cup 2019, to be hosted by Qatar will increase steel demand. Lastly, the stabilization in oil prices will be supportive for the econ

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