what non-hindu says about sri bhagavad-gita ji

  

Praise for Bhagavad Gita

Before learning "What is Bhagavad Gita" and "What is its relevance to our life and the universe"let us hear what the great people have said about Bhagavad Gita,

"Here is the most comprehensive statement of perennial philosophy. If you want a book which assists humanity in striving for it,its eternal, here is the book, the most systematic statement of spiritual evolution of enduring value to mankind........ The most beautiful , perhaps the only true philosophical song existing in any known tongue"
                                        
                           -  Aldous Huxley

So have I read this wonderful and spirit-thrilling speech,
By Krishna and Prince Arjun held, discoursing each with each,
So have I writ its wisdom here,-its mystery,
For England: O our India! as dear to me as She!

                          - Sir Edwin Arnold, Author of "Bhagvad Gita, The Song Celestial"

"When I read the Bhagavad Gita and reflect about how God created this universe everything else seems so superfluous." 

                          - Albert Einstein
"The Bhagavad Gita has a profound influence on the spirit of mankind by its devotion to God which is manifested by actions." 
                          - Dr. Albert Schweizer
"In the morning I bathe my intellect in the stupendous and cosmogonal philosophy of the Bhagavad Gita, in comparison with which our modern world and its literature seems puny and trivial." 
                          - Henry David Thoreau
"The marvel of the Bhagavad Gita is its truly beautiful revelation of lifes wisdom which enables philosophy to blossom into religion." 
                          - Herman Hesse
"The Bhagavad Gita calls on humanity to dedicate body, mind and soul to pure duty and not to become mental voluptuaries at the mercy of random desires and undisciplined impulses."
"When doubts haunt me, when disappointments stare me in the face, and I see not one ray of hope on the horizon, I turn to Bhagavad Gita and find a verse to comfort me; and I immediately begin to smile in the midst of overwhelming sorrow. Those who meditate on the Gita will derive fresh joy and new meanings from it every day."                              
                            - Mahatma Gandhi

परम आदरणीय राधास्वरूप मेहता जी ,

आप के श्री गीता जी के विषय में विचार पढ़े . 
आप जैसे विद्वान् तो अकिंचन होते ही हैं . 
रहिमन हीरा कब कहे लाख ताका मेरो मोल. 

में भी गीता जी का एक विद्यार्थी हूँ . इसलिए एक अनुभव प्रेषित कर रहा हूँ कि 
श्री गीता जी जैसा सरल ग्रन्थ कोई नहीं , 
श्री गीता जी को समझने के लिए बस श्री कृष्ण को समझ ली जिए , गीता स्वयं समझ आ जयेगि. 
हम गीता जी का एक ओन लाइन निशुल्क  कोर्से चलते हैं , 
आप या कोई भी इस पते पर मेल दाल कर या फोन कर के , जानकारी प्राप्त कर सकते हैं 

richmond.intel@gmail.com
09810890743

दासानुदास 
श्री कृष्णा दास किंकर 
दिल्ली, भारत 



मत जगाओ , प्लीज़ मत जगाओ हिन्दुओं को सोने दो ,

प्रिय विशाल भैया ,

मत जगाओ , 
प्लीज़ मत जगाओ 

हिन्दुओं को सोने दो , 

कमाने दो , 
बच्चों को बड़े स्कूलों में पढ़ाने दो 
नोकरी लगने दो 
एक करोड़ की शादी हो जाने दो 
जगराता करने दो 
तीर्थ करने दो , 
वोट देने दो , 

हि*रे जग कर भी क्या करेंगे .
करवट लेंगे और सो जायेंगे 


        Not to harm any one’s feeling……….!
       You may send it to others if you wish
 
 
    
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This is NOT London, NOT Singapore, Not any other foreign city.
 
THIS IS IN OUR OWN COUNTRY INDIA and in a STATE Called GUJARAT. This is in AHMEDABAD City and this model is a "SUCCESSFUL" BRTS (Bus Rapid Transport System) and this is recognized by international organizations as well..!
 
2014 Central Govt Elections, The choice is yours.
 
It is CORRUPT Congress Versus Sustainable, Efficient & Honest Development by Mr Narendra Modi.
 
 
 
 
 
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If a muslim says " Insah Allah ", he is secular.
 
If a Christian says " I love Jesus Christ ", he is secular.
 
But if a hindu says " Jai Shree Ram ", he is communal?
 
 
 
If a muslim says " I am Muslim ", he is secular.
 
If a Christian Says " I am Christian ", he is secular.
 
But if a hindu says " I am Hindu ", he is Communal??
 
                                      ?
 
To hell with Pseudo-secularism.
 
I am a Hindu and i am proud of my Dharm, my culture, my moral values, my history, my way of living and every thing that my Dharm has taught me...
 
 
 
Proudly feel & say, "I AM A HINDU"
 
 
 
 
                           We must understand
 
 
 
 
 
 
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Since partition, the rate at which the muslims flourish in India is quite remarkable.
 
Split our country into 3 and gave them 2 separate countries pakistan and Bangladesh, which had a 80-20 muslim-hindu population then and now has been reduced to a mere 2%?
 
 
 
Same thing with Kashmir, where are the hindus,? why article 370? you pump them with subsidies and reservations .
 
We are the 2nd largest muslim populated country in the world and they are still called minorities? Where is the uniform civil code?
 
Why is there so much partiality in spite of all the terrorism?
 
If this continues ,one day our country will be consumed just like how the other muslim countries were consumed.
 
I seriously feel like a hindu in pakistan already.
 
 
                                                            We all should admit
                                                                             
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A Nation’s progress or development stems from the Media
 
Instead of strengthening and following about the nation’s progressiveness is focusing on unwanted vested interests of personal nature .
 
Has any one National media focusing on the above.
 
Shabby and Shameful.
 
 
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Kerala Police confirms our worst fears -
 

some thing on which the whole india has a proud;


 
the link of the good film

भजन जिन्हें फ़िल्मी गाने के रूप में सुना जाता है

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हम तेरे प्यार में सारा आलम - Hum Tere Pyar Mein Sara Aalam (Lata Mangeshkar)

Movie/Album : दिल एक मंदिर (1963)
Music By : शंकर-जयकिशन
Lyrics By : हसरत जयपुरी
Performed By : लता मंगेशकर

हम तेरे प्यार में सारा आलम खो बैठे हैं
तुम कहते हो कि ऐसे प्यार को भूल जाओ, भूल जाओ
हम तेरे...

पंछी से छुड़ाकर उसका घर, तुम अपने घर पर ले आये
ये प्यार का पिंजरा मन भाया, हम जी भर-भर कर मुस्काये
जब प्यार हुआ इस पिंजरे से, तुम कहने लगे आज़ाद रहो
हम कैसे भुलायें प्यार तेरा, तुम अपनी ज़ुबाँ से ये न कहो
अब तुमसा जहां में कोई नहीं है, हम तो तुम्हारे हो बैठे
तुम कहते...

इस तेरे चरण की धूल से हमने, अपनी जीवन मांग भरी
जब ही तो सुहागन कहलाई, दुनिया के नज़र में प्यार बनीं
तुम प्यार की सुन्दर मूरत हो, और प्यार हमारी पूजा है
अब इन चरणों में दम निकले, बस इतनी और तमन्ना है
हम प्यार के गंगाजल से बलम जी, तनमन अपना धो बैठे
तुम कहते...

सपनों का दर्पण देखा था, सपनों का दर्पण तोड़ दिया
ये प्यार का आँचल हमने तो, दामन से तुम्हारे बाँध लिया
ये ऐसी गाँठ है उल्फत की, जिसको न कोई भी खोल सका
तुम आन बसे जब इस दिल में, दिल फिर तो कहीं ना डोल सका
ओ प्यार के सागर हम तेरी लहरों में नांव डुबो बैठे
तुम कहते...
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तेरा मेरा प्यार अमर
तेरा मेरा प्यार अमर
फिर क्यों मुझको लगता है डर
मेरे जीवनसाथी बता
क्यों दिल धड़के रह-रह कर 
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SATURDAY, JUNE 18, 2011

दाता एक राम-गैर फ़िल्मी भजन- हरिओम शरण

आज सुनते हैं एक भजन। गायक हैं हरिओम शरण।
बहुत प्रसिद्ध भजन है ये। आपने अवश्य ही इसे एक ना
एक बार सुना होगा।




भजन के बोल:

दाता एक राम
दाता एक राम
दाता एक राम

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया,
राम एक देवता पुजारी सारी दुनिया
पुजारी सारी दुनिया

द्वारे पे उसके जा के कोई भी पुकारता,
द्वारे पे उसके जा के कोई भी पुकारता
परम कृपा दे अपनी भव से उबारता
परम कृपा दे अपनी भव से उबारता
ऐसे दीनानाथ पे
ऐसे दीनानाथ पे बलिहारी सारी दुनिया
बलिहारी सारी दुनिया

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम

दो दिन का जीवन, प्राणी कर ले विचार तू
कर ले विचार तू
प्यारे प्रभु को अपने मन में निहार तू
प्यारे प्रभु को अपने मन में निहार तू
मन में निहार तू
बिना हरि नाम के
बिना हरि नाम के दुखियारी सारी दुनिया
दुखियारी सारी दुनिया

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम

नाम का प्रकाश जब अंदर जगाएगा
नाम का प्रकाश जब अंदर जगाएगा
प्यारे श्रीराम का तू दर्शन पाएगा
प्यारे श्रीराम का तू दर्शन पाएगा
ज्योति से जिसकी है
ज्योति से जिसकी है उजियारी सारी दुनिया
उजियारी सारी दुनिया

दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम
दाता एक राम भिखारी सारी दुनिया
दाता एक राम
दाता एक राम
दाता एक राम
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हसरत जयपुरी - ऐहसान तेरा होगा मुझपर, दिल चाहता है वो कहने दो (रफ़ी साहब)

गीतकार : हसरत जयपुरीराग : यमन कल्याण
चित्रपट : जंगली (१९६१)संगीतकार : शंकर जयकिशन
भाव : समर्पणगायन : मोहम्मद रफ़ी
ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥स्थायी॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।
ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

तुमने मुझको हँसना सिखाया,ओऽ
तुमने मुझको हँसना सिखाया,
रोने कहोगे रो लेंगे अब,
रोने कहोगे रो लेंगे।

आँसू का हमारे ग़म ना करो,
वो बहते तो बहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥१॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
मर भी गये तो देंगे दुआयें,
मर भी गये तो देंगे दुआयें।

उड़-उड़ के कहेंगी ख़ाक सनम,
ये दर्द-ए-मुहब्बत सहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥२॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।
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भरत व्यास - ऐ मालिक तेरे बंदे हम, ऐसे हों हमारे करम (लता दी)

गीतकार : भरत व्यासराग :
चित्रपट : दो आँखें बारह हाथ (१९५८)संगीतकार : वसंत देसाई
भाव : प्रार्थनागायन : लता मङ्केश्कर
ऐ मालिक तेरे बंदे हम,
ऐसे हों हमारे करम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकि हँसते हुए निकले दम॥स्थायी॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम।

ये अँधेरा घना छा रहा,
तेरा इंसान घबरा रहा।
हो रहा बेखबर, कुछ-ना आता नज़र,
सुख का सूरज छुपा जा रहा।

है तेरी रोशनी में जो दम,
तू अमावस को कर दे पूनम,
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकि हँसते हुए निकले दम॥१॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम।

जब जुल्मों का हो सामना,
तब तू ही हमें थामना।
वो बुराई करें, हम भलाई करें,
नहीं बदले की हो कामना।

बढ उठे प्यार का हर कदम,
और मिटे बैर का ये भरम।
नेकी पर चले और बदी से टले,
ताकि हँसते हुए निकले दम॥२॥

ऐ मालिक तेरे बंदे हम।





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हसरत जयपुरी - ऐहसान तेरा होगा मुझपर, दिल चाहता है वो कहने दो (रफ़ी साहब)

गीतकार : हसरत जयपुरीराग : यमन कल्याण
चित्रपट : जंगली (१९६१)संगीतकार : शंकर जयकिशन
भाव : समर्पणगायन : मोहम्मद रफ़ी
ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥स्थायी॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।
ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

तुमने मुझको हँसना सिखाया,ओऽ
तुमने मुझको हँसना सिखाया,
रोने कहोगे रो लेंगे अब,
रोने कहोगे रो लेंगे।

आँसू का हमारे ग़म ना करो,
वो बहते तो बहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥१॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।

चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
चाहे बना दो, चाहे मिटा दो,
मर भी गये तो देंगे दुआयें,
मर भी गये तो देंगे दुआयें।

उड़-उड़ के कहेंगी ख़ाक सनम,
ये दर्द-ए-मुहब्बत सहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो॥२॥

ऐहसान तेरा होगा मुझपर,
दिल चाहता है वो कहने दो,
मुझे तुमसे मुहब्बत हो गई है,
मुझे पलकों की छाँव में रहने दो।

ऐहसान तेरा होगा मुझपर।




मे
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राजेन्द्र कृष्ण - तुम ही मेरे मंदिर, तुम ही मेरी पूजा (लता दी)

गीतकार : राजेन्द्र कृष्णराग : यमन
चित्रपट : खानदान (१९६५)संगीतकार : रवि
भाव : समर्पणगायन : लता मङ्गेश्कर
तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो॥स्थायी॥

कोई मेरी आँखों से,
देखे तो समझे,
कि तुम मेरे क्या हो,
कि तुम मेरे क्या हो।

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

जिधर देखती हूँ,
उधर तुम ही तुम हो।
ना जाने मगर,
किन ख्यालों में गुम हो।
जिधर देखती हूँ,
उधर तुम ही तुम हो।
ना जाने मगर,
किन ख्यालों में गुम हो।

मुझे देखकर तुम,
ज़रा मुस्कुरा दो,
नहीं तो मैं समझूँगी,
मुझसे ख़फ़ा हो॥१॥

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

तुम ही मेरी माथे की,
बिंदिया की झिलमिल।
तुम ही मेरे हाथों के,
गजरों के मंजिल।
तुम ही मेरी माथे की,
बिंदिया की झिलमिल।
तुम ही मेरे हाथों के,
गजरों के मंजिल।

मैं हूँ एक छोटी-सी,
माटी की गुड़िया,
तुम ही प्राण मेरे,
तुम ही आत्मा हो॥२॥

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

बहुत रात बीती,
चलो मैं सुला दूँ।
पवन छेड़े सरगम,
मैं लोरी सुना दूँ।
हममऽऽ
हममऽऽ

बहुत रात बीती,
चलो मैं सुला दूँ।
पवन छेड़े सरगम,
मैं लोरी सुना दूँ।
तुम्हे देखकर ये,
ख्याल आ रहा है,
कि जैसे फ़रिश्ता,
कोई सो रहा हो॥३॥

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।

तुम ही मेरे मंदिर,
तुम ही मेरी पूजा,
तुम ही देवता हो,
तुम ही देवता हो।
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हंगामा है क्यों बड़पा,, थोङी-सी जो पी ली है

ग़ज़ल - ग़ुलाम अली

हंगामा है क्यों बड़पा,
थोड़ी-सी जो पी ली है ।
डाका तो नहीं डाला,
चोरी तो नहीं की है ।।

उस मय से नहीं मतलब,
दिल जिस्से हो बेगाना ।
मकसूद है उस मय से,
दिल ही में जो खिंचती है ।।

सूरज में लगे धब्बा,
फितरत के करिश्मे हैं ।
बुत हमको कहें काफिर,
अल्लाह की मरज़ी है ।।

ना तजुर्बाकारी से,
वायज़ की ये बातें हैं ।
इस रंग को क्या जाने,
पूछो तो कभी पी है ।।

हर ज़र्रा चमकता है,
अनवर-ऐ-ईलाही से ।
हर साँस ये कहती है,
हम हैं तो ख़ुदा भी है ।।

हंगामा है क्यों बड़पा,
थोड़ी-सी जो पी ली है ।
डाका तो नहीं डाला,
चोरी तो नहीं की है ।।
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