*32 साल बाद डीडी पर महाभारत की वापसी हुई है, इस प्रतिष्ठित शो के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य क्या हैं?*
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त्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री वी एन गाडगिल और दूरदर्शन के चेयर मैन भास्कर घोष(सागारिका घोष के पिता) नहीं चाहते थे कि रामायण अथवा महाभारत जैसे धार्मिक सीरियल का प्रसारण नैशनल टेलीविजन पर हो। प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आगे बढ़ कर दूरदर्शन के अधिकारियों से बात कर उन्हें कहा कि भारतीय पौराणिक ग्रंथों पर सीरियल बनाए जाएं। एक मीटिंग का आयोजन दूरदर्शन के मंडी हाउस में किया गया जिसमें तमाम दूरदर्शन के निर्माता और प्रायोजकों को बुलाया गया और उन्हें बतलाया गया कि रामायण महाभारत पर सीरियल बनाने की योजना है । लोगों ने दावे पेश किए किन्तु कॉन्ट्रेक्ट सागर साहब और बी आर चोपड़ा साहब को मिला क्योंकि यह दोनों निर्माता विक्रम वेताल दादा दादी की कहानियां और बहादुर शाह जफर तथा बुनियाद जैसे सुपरहिट सीरियल बना चुके थे और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता भी थे। महाभारत के डॉयलॉग डॉक्टर राही मासूम रजा ने लिखे थे । महाभारत की पटकथा पण्डित नरेंद्र शर्मा जी ने लिखी थी वहीं रामायण से जुड़ी रिसर्च और पटकथा स्वयं रामानन्द सागर जी ने लिखी थी , निर्देशन के साथ वह निर्माता और पटकथा लेखक की भूमिका भी निभा रहे थे । सागर साहब संस्कृत और फारसी के विद्वान थे लाहौर युनिवर्सिटी से उन्होंने इसमें डिग्री प्राप्त की थी । सागर साहब एक सफल पत्रकार भी रहे। महाभारत के सिने मेटोग्राफर बी आर चोपड़ा के भाई साहब धर्म चोपड़ा साहब थे । शकुनि बने गुफी पेंटल साहब कास्टिंग डायरेक्टर थे। गुफी पैंटल साहब ने हाल ही में महाभारत से जुड़ी हुई याद एक इंटरव्यू में शेयर किया । हुआ यह कि एक बार गुफी पेंटाल साहब और भीष्म की भूमिका निभाने वाले मुकेश खन्ना जी एक बार ट्रेन से रात को कहीं जा रहे थे । ट्रेन पहले से भरी हुई आ रही थी , उस भीड़ में भी किसी सद गृहस्थ ने मुकेश खन्ना जी को बैठने के लिए जगह दी किन्तु गुफी पेटल साहब को किसी ने बैठने कि जगह नहीं दी वह पूरी यात्रा उनको खड़े खड़े करनी पड़ी। और एक याद गुफी साहब साझा करते हुए कहते हैं कि जिन् दिनों महाभारत प्रसारित होती थी उसने लोकप्रियता के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए थे , एक बार उनको एक महाभारत के दर्शक का पत्र आया और उसमे शकुनि के लिए चुन चुन कर गालियां और धमकियां लिखी हुईं थीं। युधिष्ठिर की भूमिका में गजेन्द्र चौहान साहब थे जो आगे चल कर फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक बने। वह श्री कृष्ण कि भूमिका निभाना चाहते थे किन्तु उन्हें युधिष्ठिर कि भूमिका मिली नीतीश भारद्वाज जी का चुनाव पहले विदुर की भूमिका में किया गया था। रामायण और महाभारत दोनों के दो सीजन बने , रामायण का अगला सीजन जहां उत्तर रामायण था वहीं महाभारत का अगला सीजन महाभारत कथा के नाम से बना। दारा सिंह अकेले ऐसे कलाकार थे जिन्होंने दोनों सीरियलों में भूमिका निभाई। समीर राज़दा जो रामायण में शत्रुघ्न बने, महाभारत में विराट नरेश के पुत्र उत्तर बने और उनके पिता मूलराज राज़दा जो रामायण में महाराज जनक बने, महाभारत में गन्धर्व बने जिन्होंने दुर्योधन (पुनीत इस्सर) को बंदी बना लिया था। बीबीसी के अनुसार रामायण को ५६ देशों में ६५ करोड़ लोगों ने देखा , वहीं महाभारत का प्रसारण स्वयं बीबीसी ने ब्रिटन में चैनल फोर पर किया था। मुकेश खन्ना साहब जिन्होंने भीष्म पितामह की भूमिका निभाई वह कहते हैं कि पहले भीष्म पितामह की भूमिका में विजयेन्द्र घादगे साहब नजर आने वाले थे किन्तु उन्होंने यह भूमिका नहीं की और मुकेश खन्ना साहब ने यह भूमिका दी गई। मुकेश खन्ना साहब को दुर्योधन की भूमिका ऑफर हुई थी वह दुर्योधन जैसा नकारत्मक किरदार नहीं निभाना चाहते थे उन्होंने गुफी पेंतल से इस बाबत कहा किंतु चोपड़ा साहब को मना करने का साहस उनमें नहीं था । तब पुनीत इस्सर ने खुद से हो कर चोपड़ा साहब से दुर्योधन की भूमिका निभाने के लिए कहा , उनका ऑडिशन हुआ और इस भूमिका के लिए उनका चयन हो गया। मुकेश खन्ना साहब का एक यूटयूब चॅनेल हैं जिसमें एक वीडियों के डोआरन वह महाभारत सीरियल में फ़िल्माई गयी शर शय्या को शो केस में रखा दिखलाते हैं , मुकेश खन्ना साहब को मेक अप करने में और शर शय्या पर लेटने के लिए रोजाना मेहनत करनी पड़ती थी जब सीरियल क़ी शूटिंग समाप्त हो गयी तो उन्होने चोपड़ा साहब से ब्टौर याद गार बाणों की शर शैया की माँग की जिसे चोपड़ा साहब ने सहर्ष दे दिया | महाराज भरत का रोल तत्कालीन सुपरस्टार राज बब्बर साहब ने निभाया था। राज बब्बर बी आर फिल्म्स में (१) इन्साफ की पुकार, (२) निक़ाह, (३) मज़दूर, (४) आज की आवाज़ और (५) दहलीज़ में एक्टिंग की थी। ऋषभ शुक्ला जी जो एक मशहूर थियेटर कलाकार और वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं उन्होंने महाभारत में राजा शांतनु और महाभारत कथा में श्री कृष्ण की भूमिका निभायी थी। महाभारत के अगले सीजन महाभारत कथा क्योंकि १९९६ के चुनावों के दौरान आया था तो नीतीश भरद्वाज जी के उपलब्ध न होने के कारण ऋषभ शुक्ला जी ने है महाभारत कथा में श्री कृष्ण का रोल अदा किया। चोपड़ा साहब और सागर साहब से दूरदर्शन के अधिकारियों के सम्बन्ध खिंचे हुए रहे दूरदर्शन के सरकारी अधिकारियों को लगता था कि इन सीरियलों से हिन्दू संगठित हो रहे हैं। सागर साहब की आत्मकथा में यह वर्णन है कि उन्हें कई बार यह अहसास हुआ कि रामायण के निर्माण में कोई दैवीय योजना है। उदाहरण के लिए फिल्म ललकार की शूटिंग के लिए लोकेशन तलाशने सागर साहब अपने बेटे प्रेम सागर साहब संग गुवाहाटी असम आए थे । जब वह कामाख्या स्थित सुप्रसिद्ध मन्दिर में देवी के दर्शन करने के बाद परिक्रमा कर रहे तो एक छोटी बच्ची उनके पास आई और उनसे कहा कि पेड़ के तले साधु महाराज आपको बुला रहे हैं । जब सागर साहब अपने बेटे संग उधर निकले तो प्रेम सागर ने पीछे मुड़ कर उस बच्ची को देखा कि वह किधर जाती है तो वह गायब हो चुकी थी जब सागर साहब उस पेड़ के तले आए तो वहां कई साधु एक अन्य साधु महाराज जो चबूतरे पर बैठे हुए थे उनके इर्द गिर्द बैठे हुए थे । सागर साहब ने प्रयोजन पूछा परन्तु वे शांत रहे , सागर साहब ने कोई सेवा अथवा मदद के लिए पूछा किंतु साधुओं में से किसी ने कुछ नहीं कहा तो वे विनम्रता से आज्ञा लेे कर वापस चले आए। वे और प्रेम सागर जी इस घटना को भूल चुके थे किन्तु सन अस्सी इक्कयासी के लगभग जब वह हिमालय में शूटिंग कर रहे थे तो अचानक मौसम खराब हो गया । पास ही एक साधु की कुटिया थी सो उन्होंने यूनिट के महिलाओं और पुरुषों के लिए शरण मांगने हेतु एक व्यक्ति को साधु महाराज के पास भेजा। लोग उनकी कुटिया में आना चाहते हैं यह सुनते ही साधु महाराज आग बबूला हो गए और उन्होंने उस व्यक्ति को चिल्ला कर बाहर निकाल दिया , किन्तु जब साधु ने उससे पूछा कि कौन डायरेक्टर है तो उन्हें उत्तर मिला रामानन्द सागर यह सुनते ही साधु के व्यवहार में परिवर्तन हुआ । वह साधु सबको स सम्मान कुटिया में लेे आया और जड़ी बूटी का काढ़ा दिया । फिर सागर साहब से गुवाहाटी की घटना के बारे में पूछा , सागर साहब आश्चर्य चकित हो गए कि इस साधु को उस घटना से क्या प्रयोजन । किन्तु साधु ने कहा कि जिस बच्ची ने उन्हें पेड़ के तले साधु महाराज के पास भेजा वह स्वयं देवी थी और वह साधु महाराज महावतार बाबाजी हैं जो किसी को दर्शन नहीं देते , सागर साहब को दर्शन इसलिए दिए क्योंकि वह आगे चलकर रामायण का निर्माण करने वाले हैं । यह घटना अस्सी इक्यासी की होगी और इसके बाद ही सागर साहब ने फिल्मों से निकल कर टीवी पर जाने की सोची। उदाहरण के लिए जब नवम्बर १९८६ में वी एन गाडगिल और भास्कर घोष ने रामानन्द सागर जी के बनाए पायलट एपिसोड को देख इस धारावाहिक को मंजूरी न देने का फैसला किया तो अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री ने मंत्री मंडल में फेर बदल कर दिया। वी एन गाडगिल सूचना प्रसारण मंत्रालय से हटाए गए और नए मंत्री बने अजित कुमार पांजा जो रामायण के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखते थे फिर भी दूरदर्शन के सरकारी बाबू और क्लर्कों ने तीन महीना फायले लटकाई। तब सागर साहब बेहद निराश हो गए उनका नियम था कि मुंबई स्थित घर सागर विला में छत पर कबूतरों और पक्षियों को सुबह दाना डालते थे , एक दिन सुबह परेशान सागर साहब भविष्य कि अनिश्चितता में घिरे हुए छत पर खड़े हो कर पक्षियों को दाना खिला रहे थे कि एक साधु का उनके विला में आगमन हुआ , प्रेम सागर साहब इस घटना को लिखते हुए कहते हैं कि वह साधु अत्यन्त तेजस्वी दिखाई पड़ रहा था और साधुओं का दान मांगने आना सागर परिवार के लिए कोई नई बात नहीं थी मगर सागर साहब के अनुनय करने पर भी इस साधु ने कुछ दान नहीं लिया और उन्हें संबोधित कर कहा कि " मैं हिमालय स्थित अपने गुरु की आज्ञा से तुम्हे यह सूचित करने आया हूं कि व्यर्थ चिंता करना छोड़ दो , तुम रामायण नहीं बना रहे हो , स्वर्ग में बैठी दिव्य शक्तियां तुमसे यह कार्य करवा रहीं है " इतना कह कर वह साधु वहां से बिना कुछ लिए चला गया इस घटना ने सागर साहब के मन में उत्साह का संचार किया। इस घटना के दस बारह दिन बाद ही सागर साहब को फोन पर पूछा गया कि क्या वह २५ जनवरी १९८७ को रामायण का पहला एपिसोड दिखाने हेतु दूरदर्शन को कैसेट भेज पाएंगे । सागर साहब ने थोड़ा वक्त मांगा और अपने पांचों बेटों से मशविरा किया सबने कहा कि नहीं दस दिन का समय बहुत कम है । तब प्रेम सागर साहब ने अपने मित्र पटेल साहब जो पौराणिक फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर थे उनको फोन पर इस दुविधा के बारे में बतलाया तो उन्होंने सुखद आश्चर्य देते हुए उत्साह के साथ कहा कि गुजरात के उमारगम में एक पुरानी पौराणिक फिल्म हेतु उन्होंने स्टूडियो में सेट लगाया था किन्तु फिल्म डिब्बा बन्द हो गई , तो वहीं सेट रामायण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। कास्टिंग के लिए पहले से प्रसारित विक्रम वेताल के कलाकारों को प्रमुख भूमिकाएं निभाने हेतु अनुबंधित कर लिया गया । दूरदर्शन के भास्कर घोष ( जो प्रसिद्ध न्यूज एंकर सागरिका घोष के पिता और राजदीप सरदेसाई के ससुर हैं) वह हर एपिसोड में हिंदुत्व कंटेंट की काट छांट को करने के लिए दबाव बनाते थे , इसका तोड़ सागर साहब ने यह निकाला कि प्रसारण के एक घंटा पौने घंटे पहले ही दूरदर्शन तक रामायण का टेप मिले । जिससे दूरदर्शन के अधिकारी अपने सेकुलर आकाओ को प्रसन्न करने के उल्टे सीधे मौके न ढूंढ पाएं। रामायण को दिखाने हेतु २६ एपिसोड का एक्सटेंशन रामानन्द सागर जी को दूरदर्शन ने दिया था जिसे बाद ने भास्कर घोष साहब की शह पर रद्द किया गया। फलत: युद्ध के दृश्यों में कथा को अधिक विस्तार से दिखलाया न जा सका । रामानन्द सागर जी अपने मूल सीरियल कि कथा रावण के अंत और श्री राम के पुनारागमन के साथ ही समाप्त करना चाहते थे किन्तु दर्शकों और वाल्मीकि समाज की विशेष मांग पर स्वयं प्रधानमंत्री कार्यालय से सागर साहब को उत्तर रामायण की कथा दिखलाने हेतु अनुरोध किया गया। रामायण सीरियल में विजय कविश नाम के कलाकार ने तीन भूमिकाएं सीरियल में निभाई हैं यह भूमिकाएं है शिव जी की , वाल्मीकि जी की और मय दानव की । इसी प्रकार अरविंद त्रिवेदी जी ने रावण के साथ साथ विश्रवा मुनि की भी भूमिका निभाई है । दशरथ की भूमिका निभाने वाले बाळ धुरी और कौशल्या की भूमिका निभाने वाली जयश्री गड़कर वास्तविक जीवन में पति पत्नी हैं इसलिए अभिनय इतना सहज लगता है। कैकैयी की भूमिका निभाने वाली पद्मा खन्ना जी एक फिल्म (राजश्री फिल्म्स की सौदागर) में अमिताभ बच्चन साहब की हीरोइन रह चुकी हैं । बीते जमाने की चरित्र भूमिकाएं करने वाली और खलनायिका की भूमिका करने वाली ललिता पवार जी मंथरा बनी थीं| लक्ष्मण के किरदार में पहले पंजाबी फिल्मों के अभिनेता शशि पूरी जी दिखने वाले थे किन्तु किसी कारणवश उन्होंने रोल छोड़ दिया फलत: यह रोल सुनील लहरी साहब को मिला। सुनील लहरी जी ने लक्ष्मण की भूमिका निभाई थी वह फिल्मों में आने से पहले विल्सन कॉलेज मुंबई में पड़ते थे। लहरी साहब के बड़े भाई हमारे भोपाल में पड़ोसी रहे हैं । उनसे जुड़ी नब्बे के दशक की एक घटना मुझे याद आती है कि एक बार सुनील लहरी जी दिवाली के एक दो रोज अपने बड़े भाई के यहां आए और उनके घर के बाहर ' लक्ष्मण ' जी के दर्शन करने हेतु भीड़ लग गई । शायद सुनील लहरी जी के लिए यह उन दिनों आम बात हो मगर मेरे लिए यह नई बात थी कि हमारे पड़ोसी के भाई सेलिब्रिटी हैं , यूं भी तब मै बच्चा था और यह घटना याद रह गई। उत्तर रामायण में शिशु लव कुश की भूमिकाएं निभाने वाले बच्चे असल में रामानन्द सागर साहब के टैक्सी ड्राइवर के शिशु थे । सीरियल के किशोर लव कुश की भूमिकाएं स्वप्निल जोशी और मयूरेश क्षेत्र माडे ने निभाई । इनमे से स्वप्निल जोशी ने आगे चल कर सागर साहब के है श्री कृष्ण सीरियल में किशोर श्रीबकृष्ण का रोल अदा किया। स्वप्निल जोशी आज मराठी और हिंदी इंडस्ट्री में जाना माना नाम है । दूरदर्शन के छप्पर फाड़ कर कमाई करने वाले सीरियल रामायण के रचियता रामानन्द सागर जी से दूरदर्शन के बाबुओं और सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने बहुत अपमान जनक व्यवहार किया। प्रेम सागर इस बारे में लिखते हैं कि श्री कृष्ण सीरियल को दूरदर्शन पर दिखाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत एवं पापड़ बेलने पड़े। यही नहीं जब सन १९९६ में श्री कृष्ण को नैशनल नेटवर्क पर दिखाने की बात हुई तो सागर साहब चाहते थे कि सुबह नौ बजे ही सीरियल दिखाया जाए लेकिन उस स्लॉट में चन्द्रकान्ता दिखलाया का रहा था । बात तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्रालय तक जा पंहुचाई गई और वहां से सागर साहब को मीटिंग के लिए बुलवाया गया मीटिंग में तत्कालीन मंत्री प्रमोद महाजन साहब ने सागर साहब से अत्यन्त अपमानजनक तरीके से बात की और पच हत्तर वर्ष की आयु में उन्हें बैठने हेतु कुर्सी तक ऑफर नहीं की गई। आहत सागर साहब ने अपना सीरियल जी टीवी पर शिफ्ट कर दिया । तत्कालीन गृह मंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने महाजन को समझाइश दी। और इसके बाद ही सागर साहब के नए सीरियल जय गंगा मैया को नैशनल नेटवर्क पर प्रसारित किया गया। अपमानित होने का सागर साहब का पहला प्रसंग नहीं था एक बार उनके अभिन्न मित्र में ही उनका एक फिल्म के रोल को लेकर अपमान लिया था वाकया सन १९६८-६९ का हैं जब सागर साहब फिल्म आंखे लिख रहे थे हुआ यह था कि फिल्म के नायक के रूप में कास्टिंग की बात आई तो उन्होंने अपने मित्र राजकुमार को अप्रोच किया , राजकुमार ने स्क्रिप्ट पढ़ कर यह कह कर फिल्म को मना कियाा कि ऐसे रोल तो उनका पालतू कुत्ता भी नहीं बनेगा । इस घटना के बाद सागर साहब और राजकुमार साहब के बीच सम्बन्धों में कुछ खिंचे से रहे फिर भी जब रामायण के डायलॉग लिखे जा रहे थे तो रावण के संवाद लिखते समय उन्होंने अपने मित्र को ध्यान में रख कर ही लिखे रहे । एक बार फिर सागर साहब राजकुमार के यहां आए किन्तु राजकुमार जी ने यह कह कर प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने से मना किया कि रावण कि भूमिका करने वाला श्रीराम कि भूमिका पर हावी नहीं पड़ना चाहिए । दूसरे वह इतनी शुद्ध हिंदी नहीं बोल पाएंगे , तीसरे वह नकारत्मक रोल करते ही नहीं अंत में उन्होंने रावण कि भूमिका हेतु उपेन्द्र त्रिवेदी का नाम सुझाया जो गुजराती फिल्म और रंग मंच के बड़े कलाकार है , उन उपेन्द्र त्रिवेदी जी ने भी यह रोल अपने छोटे भाई अरविंद त्रिवेदी के लिए छोड़ा । अरविंद त्रिवेदी ने है यह भूमिका आगे निभाई। श्री कृष्ण के समाप्त होने के बाद रामायण के दोबारा प्रसारण हेतु दर्शकों में मांग उठाई गई किन्तु राज्य सभा में सरकार ने कहा कि दूरदर्शन की नीति अनुसार पौराणिक जॉनर में एक ही धार्मिक सीरियल दिखा सकते हैं , उस समय ॐ नम शिवाय दिखाया जा रहा था। रामायण के पुन प्रसारण की मांग यूं तैंतीस साल बाद जा कर पूरी हुई। मुकेश खन्ना साहब ने आगे चलकर अपना स्वतंत्र प्रोडक्षन हाउस बनाया जिसका उन्होने नाम रखा भीष्म इंटेरनेशनल जिसका पहला सीरियल था ' शक्तिमान ' इसमें उनके महाभारत के सह कलाकार सुरेंद्र पाल साहब ( जिन्होने आचार्य द्रोण की भूमिका निभाई थी ) खलनायक बने थे | रामायण से जुड़ी और एक दिलचस्प बात आपसे साझा करने का अवसर मिल रहा है , हाल ही में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक रामायण के पायलट एपीसोड तीन दफे बने थे और दो बार विभिन्न कारणों से इन्हें दूरदर्शन के अधिकारियों ने रिजेक्ट किए थे | एपीसोड रिशूट करने में उन दिनों ख़ासी मेहनत लगती थी क्योंकि एडिटिंग का काम मॅन्यूयल होता था आज की तरफ एडिटिंग टूल्स और सॉफ़्टवरेस नहीं होते थे , इसमें कलाकारों को लाना ले जाना वेश भूषा , केश भूषा कॅमरा सेटिंग और तमाम झंझट होते थे | एक बार यह कहा गया कि इसमें धार्मिक प्रवचन बहुत अधिक हैं दर्शक बोर हो जाएँगे तो एक बार सीता जी की भूमिका करने वाली दीपिका चिखलिया के काट स्लिवस दिखाने पर अधिकारी भड़क गये | दोनो दफे सागर साहब ने बड़े यत्न और परिश्रम से अगला पायलट एपीसोड बनाया और वह अधिकारियों ने अप्प्रूव किया प्रेम सागर साहब की किताब प्रकाशित होने के बाद जब लोगों ने दूरदर्शन से इस बाबत सवाल जवाब किया तो दूरदर्शन के अधिकारियों ने अपने पूर्व चेयारमन भास्कर घोष साहब का बचाव करते हुए कहा कि चूँकि यह भारतीय टीवी इतिहास का पहला धार्मिक धारावाहिक था तो किसी को समझ नहीं थी कि इसका प्रारूप कैसा हो , वैसे भी भगवान का किरदार निभाने वालों का ग़लत चित्रण करने पर एक बड़े समूह की धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती थी इसलिए कारण बतला कर दो दफे पायलट एपीसोड रिजेक्ट किए गये हर एपीसोड के प्रसारण पर दूरदर्शन ने १९८७ में पच्चीस हज़ार रॉयल्टी तय किए थे जो निर्माता को मिलने थे , एक खबर के मुताबिक सागर साहब के बेटे बहू को भी यह रकम दूरदर्शन ने ऑफर की मगर उन्होने कहा कि कोरोना की महामारी के समय उनका भी देश के प्रति कर्तव्य बनता है तो उन्होने एपीसोड नि:शुल्क प्रसारण हेतु दूरदर्शन को दे दिए | वास्तव में रामायण और महाभारत भारतीय टेलीविजञ और दूरदर्शन के इतिहास में सफलतम धारावाहिक थे और अभूतपूर्ब् लोकप्रियता पाई वैसे ही इतिहास शक्तिमान ने रचा , लेकिन खेद जनक बात यह है कि जैसे दूरदर्शन के बाबुओं ने सागर साहब और चोपड़ा साहब को परेशन कर उन्हें अपमानित किया वैसे ही उन्होने मुकेश खन्ना साहब जैसे अत्यंत सफल और वरिष्ठ कलाकार को भी अपमानित किया | मुकेश खन्ना साहब ने खुद अपने यू ट्यूब चॅनेल में दूरदर्शन के अधिकारियों , सूचना प्रसारण मंत्रियों की कार गुज़ारियों के बारे में बतलाया है | पुरानी बातें बताते हुए वे भावुक हो जाते हैं | रामायण के कलाकार जहाँ कुछ एक टीवी सीरियलों तक ही सीमित रह गये वहीं महाभारत के कलाकारों को खूब काम मिला और उन्होने सफलता अर्जित की कई कलाकारों ने तो फिल्में की | द्रौपदी बनीं रूपाली गांगुली जी बंगाली फिल्मों की मशहूर अदाकारा है उन्होने एक हिन्दी फिल्म बाहर आने तक भी की थी | श्री कृष्ण बने नीतीश भारद्वाज ने कुछ एक हिन्दी फिल्में की और हाल ही में में समांतर नाम की MX प्लेयर की वेबसिरीज़ में स्वप्निल जोशी के साथ दिखाई दिए स्वप्निल जोशी व्ह हैं जिंगोने रामायण के लव कुश वाले एपीसोड में कुश की भूमिका निभाई और सागर साहब के ही सीरियल श्री कृष्णा में किशोर कृष्ण बने थे | रामायण के अरविंद त्रिवेदी , अरुण गोविल जी और मूल राज राज्दा जी ने महाभारत के मुकेश खन्ना के संग एक पौराणिक सीरियल किया था जिसका नाम था विश्वामित्र यह यू ट्यूब पर उपलब्ध है महाभारत के धृतराष्ट्र बने गिरिजा शंकर साहब पंजाबी फिल्मों के कलाकार हैं उन्होने आगे चल कर सागर साहब के साथ अलिफ लैला में भी काम किया | सुरेंद्र पाल जो गुरु द्रोना चार्य बने थे उन्होने अनेक हिट टीवी सीर्याल और फिल्मों में चरित्र भूमिकाएँ निभाई | गजेंद्र चौहान जो युधिष्ठिर बने थे , फ़िरोज़ ख़ान जो अर्जुन बने थे , पुनीत इस्सर जो दुर्योधन बने थे और पंकज धीर बने थे उन्होने शाहरुख ख़ान , सलमान ख़ान अजय देवगन के साथ कई बड़ी फिल्में की जैसे करण अर्जुन , जिगर , ज़मीन , बादशाह , बाग़बान , सनम बेवफा , गर्व प्राइड एंड ओनर इत्यादि |
त्कालीन सूचना प्रसारण मंत्री वी एन गाडगिल और दूरदर्शन के चेयर मैन भास्कर घोष(सागारिका घोष के पिता) नहीं चाहते थे कि रामायण अथवा महाभारत जैसे धार्मिक सीरियल का प्रसारण नैशनल टेलीविजन पर हो। प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने आगे बढ़ कर दूरदर्शन के अधिकारियों से बात कर उन्हें कहा कि भारतीय पौराणिक ग्रंथों पर सीरियल बनाए जाएं। एक मीटिंग का आयोजन दूरदर्शन के मंडी हाउस में किया गया जिसमें तमाम दूरदर्शन के निर्माता और प्रायोजकों को बुलाया गया और उन्हें बतलाया गया कि रामायण महाभारत पर सीरियल बनाने की योजना है । लोगों ने दावे पेश किए किन्तु कॉन्ट्रेक्ट सागर साहब और बी आर चोपड़ा साहब को मिला क्योंकि यह दोनों निर्माता विक्रम वेताल दादा दादी की कहानियां और बहादुर शाह जफर तथा बुनियाद जैसे सुपरहिट सीरियल बना चुके थे और प्रसिद्ध फिल्म निर्माता भी थे। महाभारत के डॉयलॉग डॉक्टर राही मासूम रजा ने लिखे थे । महाभारत की पटकथा पण्डित नरेंद्र शर्मा जी ने लिखी थी वहीं रामायण से जुड़ी रिसर्च और पटकथा स्वयं रामानन्द सागर जी ने लिखी थी , निर्देशन के साथ वह निर्माता और पटकथा लेखक की भूमिका भी निभा रहे थे । सागर साहब संस्कृत और फारसी के विद्वान थे लाहौर युनिवर्सिटी से उन्होंने इसमें डिग्री प्राप्त की थी । सागर साहब एक सफल पत्रकार भी रहे। महाभारत के सिने मेटोग्राफर बी आर चोपड़ा के भाई साहब धर्म चोपड़ा साहब थे । शकुनि बने गुफी पेंटल साहब कास्टिंग डायरेक्टर थे। गुफी पैंटल साहब ने हाल ही में महाभारत से जुड़ी हुई याद एक इंटरव्यू में शेयर किया । हुआ यह कि एक बार गुफी पेंटाल साहब और भीष्म की भूमिका निभाने वाले मुकेश खन्ना जी एक बार ट्रेन से रात को कहीं जा रहे थे । ट्रेन पहले से भरी हुई आ रही थी , उस भीड़ में भी किसी सद गृहस्थ ने मुकेश खन्ना जी को बैठने के लिए जगह दी किन्तु गुफी पेटल साहब को किसी ने बैठने कि जगह नहीं दी वह पूरी यात्रा उनको खड़े खड़े करनी पड़ी। और एक याद गुफी साहब साझा करते हुए कहते हैं कि जिन् दिनों महाभारत प्रसारित होती थी उसने लोकप्रियता के तमाम रिकार्ड तोड़ दिए थे , एक बार उनको एक महाभारत के दर्शक का पत्र आया और उसमे शकुनि के लिए चुन चुन कर गालियां और धमकियां लिखी हुईं थीं। युधिष्ठिर की भूमिका में गजेन्द्र चौहान साहब थे जो आगे चल कर फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया के निदेशक बने। वह श्री कृष्ण कि भूमिका निभाना चाहते थे किन्तु उन्हें युधिष्ठिर कि भूमिका मिली नीतीश भारद्वाज जी का चुनाव पहले विदुर की भूमिका में किया गया था। रामायण और महाभारत दोनों के दो सीजन बने , रामायण का अगला सीजन जहां उत्तर रामायण था वहीं महाभारत का अगला सीजन महाभारत कथा के नाम से बना। दारा सिंह अकेले ऐसे कलाकार थे जिन्होंने दोनों सीरियलों में भूमिका निभाई। समीर राज़दा जो रामायण में शत्रुघ्न बने, महाभारत में विराट नरेश के पुत्र उत्तर बने और उनके पिता मूलराज राज़दा जो रामायण में महाराज जनक बने, महाभारत में गन्धर्व बने जिन्होंने दुर्योधन (पुनीत इस्सर) को बंदी बना लिया था। बीबीसी के अनुसार रामायण को ५६ देशों में ६५ करोड़ लोगों ने देखा , वहीं महाभारत का प्रसारण स्वयं बीबीसी ने ब्रिटन में चैनल फोर पर किया था। मुकेश खन्ना साहब जिन्होंने भीष्म पितामह की भूमिका निभाई वह कहते हैं कि पहले भीष्म पितामह की भूमिका में विजयेन्द्र घादगे साहब नजर आने वाले थे किन्तु उन्होंने यह भूमिका नहीं की और मुकेश खन्ना साहब ने यह भूमिका दी गई। मुकेश खन्ना साहब को दुर्योधन की भूमिका ऑफर हुई थी वह दुर्योधन जैसा नकारत्मक किरदार नहीं निभाना चाहते थे उन्होंने गुफी पेंतल से इस बाबत कहा किंतु चोपड़ा साहब को मना करने का साहस उनमें नहीं था । तब पुनीत इस्सर ने खुद से हो कर चोपड़ा साहब से दुर्योधन की भूमिका निभाने के लिए कहा , उनका ऑडिशन हुआ और इस भूमिका के लिए उनका चयन हो गया। मुकेश खन्ना साहब का एक यूटयूब चॅनेल हैं जिसमें एक वीडियों के डोआरन वह महाभारत सीरियल में फ़िल्माई गयी शर शय्या को शो केस में रखा दिखलाते हैं , मुकेश खन्ना साहब को मेक अप करने में और शर शय्या पर लेटने के लिए रोजाना मेहनत करनी पड़ती थी जब सीरियल क़ी शूटिंग समाप्त हो गयी तो उन्होने चोपड़ा साहब से ब्टौर याद गार बाणों की शर शैया की माँग की जिसे चोपड़ा साहब ने सहर्ष दे दिया | महाराज भरत का रोल तत्कालीन सुपरस्टार राज बब्बर साहब ने निभाया था। राज बब्बर बी आर फिल्म्स में (१) इन्साफ की पुकार, (२) निक़ाह, (३) मज़दूर, (४) आज की आवाज़ और (५) दहलीज़ में एक्टिंग की थी। ऋषभ शुक्ला जी जो एक मशहूर थियेटर कलाकार और वॉइस ओवर आर्टिस्ट हैं उन्होंने महाभारत में राजा शांतनु और महाभारत कथा में श्री कृष्ण की भूमिका निभायी थी। महाभारत के अगले सीजन महाभारत कथा क्योंकि १९९६ के चुनावों के दौरान आया था तो नीतीश भरद्वाज जी के उपलब्ध न होने के कारण ऋषभ शुक्ला जी ने है महाभारत कथा में श्री कृष्ण का रोल अदा किया। चोपड़ा साहब और सागर साहब से दूरदर्शन के अधिकारियों के सम्बन्ध खिंचे हुए रहे दूरदर्शन के सरकारी अधिकारियों को लगता था कि इन सीरियलों से हिन्दू संगठित हो रहे हैं। सागर साहब की आत्मकथा में यह वर्णन है कि उन्हें कई बार यह अहसास हुआ कि रामायण के निर्माण में कोई दैवीय योजना है। उदाहरण के लिए फिल्म ललकार की शूटिंग के लिए लोकेशन तलाशने सागर साहब अपने बेटे प्रेम सागर साहब संग गुवाहाटी असम आए थे । जब वह कामाख्या स्थित सुप्रसिद्ध मन्दिर में देवी के दर्शन करने के बाद परिक्रमा कर रहे तो एक छोटी बच्ची उनके पास आई और उनसे कहा कि पेड़ के तले साधु महाराज आपको बुला रहे हैं । जब सागर साहब अपने बेटे संग उधर निकले तो प्रेम सागर ने पीछे मुड़ कर उस बच्ची को देखा कि वह किधर जाती है तो वह गायब हो चुकी थी जब सागर साहब उस पेड़ के तले आए तो वहां कई साधु एक अन्य साधु महाराज जो चबूतरे पर बैठे हुए थे उनके इर्द गिर्द बैठे हुए थे । सागर साहब ने प्रयोजन पूछा परन्तु वे शांत रहे , सागर साहब ने कोई सेवा अथवा मदद के लिए पूछा किंतु साधुओं में से किसी ने कुछ नहीं कहा तो वे विनम्रता से आज्ञा लेे कर वापस चले आए। वे और प्रेम सागर जी इस घटना को भूल चुके थे किन्तु सन अस्सी इक्कयासी के लगभग जब वह हिमालय में शूटिंग कर रहे थे तो अचानक मौसम खराब हो गया । पास ही एक साधु की कुटिया थी सो उन्होंने यूनिट के महिलाओं और पुरुषों के लिए शरण मांगने हेतु एक व्यक्ति को साधु महाराज के पास भेजा। लोग उनकी कुटिया में आना चाहते हैं यह सुनते ही साधु महाराज आग बबूला हो गए और उन्होंने उस व्यक्ति को चिल्ला कर बाहर निकाल दिया , किन्तु जब साधु ने उससे पूछा कि कौन डायरेक्टर है तो उन्हें उत्तर मिला रामानन्द सागर यह सुनते ही साधु के व्यवहार में परिवर्तन हुआ । वह साधु सबको स सम्मान कुटिया में लेे आया और जड़ी बूटी का काढ़ा दिया । फिर सागर साहब से गुवाहाटी की घटना के बारे में पूछा , सागर साहब आश्चर्य चकित हो गए कि इस साधु को उस घटना से क्या प्रयोजन । किन्तु साधु ने कहा कि जिस बच्ची ने उन्हें पेड़ के तले साधु महाराज के पास भेजा वह स्वयं देवी थी और वह साधु महाराज महावतार बाबाजी हैं जो किसी को दर्शन नहीं देते , सागर साहब को दर्शन इसलिए दिए क्योंकि वह आगे चलकर रामायण का निर्माण करने वाले हैं । यह घटना अस्सी इक्यासी की होगी और इसके बाद ही सागर साहब ने फिल्मों से निकल कर टीवी पर जाने की सोची। उदाहरण के लिए जब नवम्बर १९८६ में वी एन गाडगिल और भास्कर घोष ने रामानन्द सागर जी के बनाए पायलट एपिसोड को देख इस धारावाहिक को मंजूरी न देने का फैसला किया तो अप्रत्याशित रूप से प्रधानमंत्री ने मंत्री मंडल में फेर बदल कर दिया। वी एन गाडगिल सूचना प्रसारण मंत्रालय से हटाए गए और नए मंत्री बने अजित कुमार पांजा जो रामायण के प्रति कोई पूर्वाग्रह नहीं रखते थे फिर भी दूरदर्शन के सरकारी बाबू और क्लर्कों ने तीन महीना फायले लटकाई। तब सागर साहब बेहद निराश हो गए उनका नियम था कि मुंबई स्थित घर सागर विला में छत पर कबूतरों और पक्षियों को सुबह दाना डालते थे , एक दिन सुबह परेशान सागर साहब भविष्य कि अनिश्चितता में घिरे हुए छत पर खड़े हो कर पक्षियों को दाना खिला रहे थे कि एक साधु का उनके विला में आगमन हुआ , प्रेम सागर साहब इस घटना को लिखते हुए कहते हैं कि वह साधु अत्यन्त तेजस्वी दिखाई पड़ रहा था और साधुओं का दान मांगने आना सागर परिवार के लिए कोई नई बात नहीं थी मगर सागर साहब के अनुनय करने पर भी इस साधु ने कुछ दान नहीं लिया और उन्हें संबोधित कर कहा कि " मैं हिमालय स्थित अपने गुरु की आज्ञा से तुम्हे यह सूचित करने आया हूं कि व्यर्थ चिंता करना छोड़ दो , तुम रामायण नहीं बना रहे हो , स्वर्ग में बैठी दिव्य शक्तियां तुमसे यह कार्य करवा रहीं है " इतना कह कर वह साधु वहां से बिना कुछ लिए चला गया इस घटना ने सागर साहब के मन में उत्साह का संचार किया। इस घटना के दस बारह दिन बाद ही सागर साहब को फोन पर पूछा गया कि क्या वह २५ जनवरी १९८७ को रामायण का पहला एपिसोड दिखाने हेतु दूरदर्शन को कैसेट भेज पाएंगे । सागर साहब ने थोड़ा वक्त मांगा और अपने पांचों बेटों से मशविरा किया सबने कहा कि नहीं दस दिन का समय बहुत कम है । तब प्रेम सागर साहब ने अपने मित्र पटेल साहब जो पौराणिक फिल्मों के आर्ट डायरेक्टर थे उनको फोन पर इस दुविधा के बारे में बतलाया तो उन्होंने सुखद आश्चर्य देते हुए उत्साह के साथ कहा कि गुजरात के उमारगम में एक पुरानी पौराणिक फिल्म हेतु उन्होंने स्टूडियो में सेट लगाया था किन्तु फिल्म डिब्बा बन्द हो गई , तो वहीं सेट रामायण के लिए उपयोग में लाया जा सकता है। कास्टिंग के लिए पहले से प्रसारित विक्रम वेताल के कलाकारों को प्रमुख भूमिकाएं निभाने हेतु अनुबंधित कर लिया गया । दूरदर्शन के भास्कर घोष ( जो प्रसिद्ध न्यूज एंकर सागरिका घोष के पिता और राजदीप सरदेसाई के ससुर हैं) वह हर एपिसोड में हिंदुत्व कंटेंट की काट छांट को करने के लिए दबाव बनाते थे , इसका तोड़ सागर साहब ने यह निकाला कि प्रसारण के एक घंटा पौने घंटे पहले ही दूरदर्शन तक रामायण का टेप मिले । जिससे दूरदर्शन के अधिकारी अपने सेकुलर आकाओ को प्रसन्न करने के उल्टे सीधे मौके न ढूंढ पाएं। रामायण को दिखाने हेतु २६ एपिसोड का एक्सटेंशन रामानन्द सागर जी को दूरदर्शन ने दिया था जिसे बाद ने भास्कर घोष साहब की शह पर रद्द किया गया। फलत: युद्ध के दृश्यों में कथा को अधिक विस्तार से दिखलाया न जा सका । रामानन्द सागर जी अपने मूल सीरियल कि कथा रावण के अंत और श्री राम के पुनारागमन के साथ ही समाप्त करना चाहते थे किन्तु दर्शकों और वाल्मीकि समाज की विशेष मांग पर स्वयं प्रधानमंत्री कार्यालय से सागर साहब को उत्तर रामायण की कथा दिखलाने हेतु अनुरोध किया गया। रामायण सीरियल में विजय कविश नाम के कलाकार ने तीन भूमिकाएं सीरियल में निभाई हैं यह भूमिकाएं है शिव जी की , वाल्मीकि जी की और मय दानव की । इसी प्रकार अरविंद त्रिवेदी जी ने रावण के साथ साथ विश्रवा मुनि की भी भूमिका निभाई है । दशरथ की भूमिका निभाने वाले बाळ धुरी और कौशल्या की भूमिका निभाने वाली जयश्री गड़कर वास्तविक जीवन में पति पत्नी हैं इसलिए अभिनय इतना सहज लगता है। कैकैयी की भूमिका निभाने वाली पद्मा खन्ना जी एक फिल्म (राजश्री फिल्म्स की सौदागर) में अमिताभ बच्चन साहब की हीरोइन रह चुकी हैं । बीते जमाने की चरित्र भूमिकाएं करने वाली और खलनायिका की भूमिका करने वाली ललिता पवार जी मंथरा बनी थीं| लक्ष्मण के किरदार में पहले पंजाबी फिल्मों के अभिनेता शशि पूरी जी दिखने वाले थे किन्तु किसी कारणवश उन्होंने रोल छोड़ दिया फलत: यह रोल सुनील लहरी साहब को मिला। सुनील लहरी जी ने लक्ष्मण की भूमिका निभाई थी वह फिल्मों में आने से पहले विल्सन कॉलेज मुंबई में पड़ते थे। लहरी साहब के बड़े भाई हमारे भोपाल में पड़ोसी रहे हैं । उनसे जुड़ी नब्बे के दशक की एक घटना मुझे याद आती है कि एक बार सुनील लहरी जी दिवाली के एक दो रोज अपने बड़े भाई के यहां आए और उनके घर के बाहर ' लक्ष्मण ' जी के दर्शन करने हेतु भीड़ लग गई । शायद सुनील लहरी जी के लिए यह उन दिनों आम बात हो मगर मेरे लिए यह नई बात थी कि हमारे पड़ोसी के भाई सेलिब्रिटी हैं , यूं भी तब मै बच्चा था और यह घटना याद रह गई। उत्तर रामायण में शिशु लव कुश की भूमिकाएं निभाने वाले बच्चे असल में रामानन्द सागर साहब के टैक्सी ड्राइवर के शिशु थे । सीरियल के किशोर लव कुश की भूमिकाएं स्वप्निल जोशी और मयूरेश क्षेत्र माडे ने निभाई । इनमे से स्वप्निल जोशी ने आगे चल कर सागर साहब के है श्री कृष्ण सीरियल में किशोर श्रीबकृष्ण का रोल अदा किया। स्वप्निल जोशी आज मराठी और हिंदी इंडस्ट्री में जाना माना नाम है । दूरदर्शन के छप्पर फाड़ कर कमाई करने वाले सीरियल रामायण के रचियता रामानन्द सागर जी से दूरदर्शन के बाबुओं और सूचना प्रसारण मंत्रालय के अधिकारियों ने बहुत अपमान जनक व्यवहार किया। प्रेम सागर इस बारे में लिखते हैं कि श्री कृष्ण सीरियल को दूरदर्शन पर दिखाने के लिए उन्हें काफी मशक्कत एवं पापड़ बेलने पड़े। यही नहीं जब सन १९९६ में श्री कृष्ण को नैशनल नेटवर्क पर दिखाने की बात हुई तो सागर साहब चाहते थे कि सुबह नौ बजे ही सीरियल दिखाया जाए लेकिन उस स्लॉट में चन्द्रकान्ता दिखलाया का रहा था । बात तत्कालीन सूचना प्रसारण मंत्रालय तक जा पंहुचाई गई और वहां से सागर साहब को मीटिंग के लिए बुलवाया गया मीटिंग में तत्कालीन मंत्री प्रमोद महाजन साहब ने सागर साहब से अत्यन्त अपमानजनक तरीके से बात की और पच हत्तर वर्ष की आयु में उन्हें बैठने हेतु कुर्सी तक ऑफर नहीं की गई। आहत सागर साहब ने अपना सीरियल जी टीवी पर शिफ्ट कर दिया । तत्कालीन गृह मंत्री श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को जब यह बात पता चली तो उन्होंने महाजन को समझाइश दी। और इसके बाद ही सागर साहब के नए सीरियल जय गंगा मैया को नैशनल नेटवर्क पर प्रसारित किया गया। अपमानित होने का सागर साहब का पहला प्रसंग नहीं था एक बार उनके अभिन्न मित्र में ही उनका एक फिल्म के रोल को लेकर अपमान लिया था वाकया सन १९६८-६९ का हैं जब सागर साहब फिल्म आंखे लिख रहे थे हुआ यह था कि फिल्म के नायक के रूप में कास्टिंग की बात आई तो उन्होंने अपने मित्र राजकुमार को अप्रोच किया , राजकुमार ने स्क्रिप्ट पढ़ कर यह कह कर फिल्म को मना कियाा कि ऐसे रोल तो उनका पालतू कुत्ता भी नहीं बनेगा । इस घटना के बाद सागर साहब और राजकुमार साहब के बीच सम्बन्धों में कुछ खिंचे से रहे फिर भी जब रामायण के डायलॉग लिखे जा रहे थे तो रावण के संवाद लिखते समय उन्होंने अपने मित्र को ध्यान में रख कर ही लिखे रहे । एक बार फिर सागर साहब राजकुमार के यहां आए किन्तु राजकुमार जी ने यह कह कर प्रोजेक्ट का हिस्सा बनने से मना किया कि रावण कि भूमिका करने वाला श्रीराम कि भूमिका पर हावी नहीं पड़ना चाहिए । दूसरे वह इतनी शुद्ध हिंदी नहीं बोल पाएंगे , तीसरे वह नकारत्मक रोल करते ही नहीं अंत में उन्होंने रावण कि भूमिका हेतु उपेन्द्र त्रिवेदी का नाम सुझाया जो गुजराती फिल्म और रंग मंच के बड़े कलाकार है , उन उपेन्द्र त्रिवेदी जी ने भी यह रोल अपने छोटे भाई अरविंद त्रिवेदी के लिए छोड़ा । अरविंद त्रिवेदी ने है यह भूमिका आगे निभाई। श्री कृष्ण के समाप्त होने के बाद रामायण के दोबारा प्रसारण हेतु दर्शकों में मांग उठाई गई किन्तु राज्य सभा में सरकार ने कहा कि दूरदर्शन की नीति अनुसार पौराणिक जॉनर में एक ही धार्मिक सीरियल दिखा सकते हैं , उस समय ॐ नम शिवाय दिखाया जा रहा था। रामायण के पुन प्रसारण की मांग यूं तैंतीस साल बाद जा कर पूरी हुई। मुकेश खन्ना साहब ने आगे चलकर अपना स्वतंत्र प्रोडक्षन हाउस बनाया जिसका उन्होने नाम रखा भीष्म इंटेरनेशनल जिसका पहला सीरियल था ' शक्तिमान ' इसमें उनके महाभारत के सह कलाकार सुरेंद्र पाल साहब ( जिन्होने आचार्य द्रोण की भूमिका निभाई थी ) खलनायक बने थे | रामायण से जुड़ी और एक दिलचस्प बात आपसे साझा करने का अवसर मिल रहा है , हाल ही में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक रामायण के पायलट एपीसोड तीन दफे बने थे और दो बार विभिन्न कारणों से इन्हें दूरदर्शन के अधिकारियों ने रिजेक्ट किए थे | एपीसोड रिशूट करने में उन दिनों ख़ासी मेहनत लगती थी क्योंकि एडिटिंग का काम मॅन्यूयल होता था आज की तरफ एडिटिंग टूल्स और सॉफ़्टवरेस नहीं होते थे , इसमें कलाकारों को लाना ले जाना वेश भूषा , केश भूषा कॅमरा सेटिंग और तमाम झंझट होते थे | एक बार यह कहा गया कि इसमें धार्मिक प्रवचन बहुत अधिक हैं दर्शक बोर हो जाएँगे तो एक बार सीता जी की भूमिका करने वाली दीपिका चिखलिया के काट स्लिवस दिखाने पर अधिकारी भड़क गये | दोनो दफे सागर साहब ने बड़े यत्न और परिश्रम से अगला पायलट एपीसोड बनाया और वह अधिकारियों ने अप्प्रूव किया प्रेम सागर साहब की किताब प्रकाशित होने के बाद जब लोगों ने दूरदर्शन से इस बाबत सवाल जवाब किया तो दूरदर्शन के अधिकारियों ने अपने पूर्व चेयारमन भास्कर घोष साहब का बचाव करते हुए कहा कि चूँकि यह भारतीय टीवी इतिहास का पहला धार्मिक धारावाहिक था तो किसी को समझ नहीं थी कि इसका प्रारूप कैसा हो , वैसे भी भगवान का किरदार निभाने वालों का ग़लत चित्रण करने पर एक बड़े समूह की धार्मिक भावनाएँ आहत हो सकती थी इसलिए कारण बतला कर दो दफे पायलट एपीसोड रिजेक्ट किए गये हर एपीसोड के प्रसारण पर दूरदर्शन ने १९८७ में पच्चीस हज़ार रॉयल्टी तय किए थे जो निर्माता को मिलने थे , एक खबर के मुताबिक सागर साहब के बेटे बहू को भी यह रकम दूरदर्शन ने ऑफर की मगर उन्होने कहा कि कोरोना की महामारी के समय उनका भी देश के प्रति कर्तव्य बनता है तो उन्होने एपीसोड नि:शुल्क प्रसारण हेतु दूरदर्शन को दे दिए | वास्तव में रामायण और महाभारत भारतीय टेलीविजञ और दूरदर्शन के इतिहास में सफलतम धारावाहिक थे और अभूतपूर्ब् लोकप्रियता पाई वैसे ही इतिहास शक्तिमान ने रचा , लेकिन खेद जनक बात यह है कि जैसे दूरदर्शन के बाबुओं ने सागर साहब और चोपड़ा साहब को परेशन कर उन्हें अपमानित किया वैसे ही उन्होने मुकेश खन्ना साहब जैसे अत्यंत सफल और वरिष्ठ कलाकार को भी अपमानित किया | मुकेश खन्ना साहब ने खुद अपने यू ट्यूब चॅनेल में दूरदर्शन के अधिकारियों , सूचना प्रसारण मंत्रियों की कार गुज़ारियों के बारे में बतलाया है | पुरानी बातें बताते हुए वे भावुक हो जाते हैं | रामायण के कलाकार जहाँ कुछ एक टीवी सीरियलों तक ही सीमित रह गये वहीं महाभारत के कलाकारों को खूब काम मिला और उन्होने सफलता अर्जित की कई कलाकारों ने तो फिल्में की | द्रौपदी बनीं रूपाली गांगुली जी बंगाली फिल्मों की मशहूर अदाकारा है उन्होने एक हिन्दी फिल्म बाहर आने तक भी की थी | श्री कृष्ण बने नीतीश भारद्वाज ने कुछ एक हिन्दी फिल्में की और हाल ही में में समांतर नाम की MX प्लेयर की वेबसिरीज़ में स्वप्निल जोशी के साथ दिखाई दिए स्वप्निल जोशी व्ह हैं जिंगोने रामायण के लव कुश वाले एपीसोड में कुश की भूमिका निभाई और सागर साहब के ही सीरियल श्री कृष्णा में किशोर कृष्ण बने थे | रामायण के अरविंद त्रिवेदी , अरुण गोविल जी और मूल राज राज्दा जी ने महाभारत के मुकेश खन्ना के संग एक पौराणिक सीरियल किया था जिसका नाम था विश्वामित्र यह यू ट्यूब पर उपलब्ध है महाभारत के धृतराष्ट्र बने गिरिजा शंकर साहब पंजाबी फिल्मों के कलाकार हैं उन्होने आगे चल कर सागर साहब के साथ अलिफ लैला में भी काम किया | सुरेंद्र पाल जो गुरु द्रोना चार्य बने थे उन्होने अनेक हिट टीवी सीर्याल और फिल्मों में चरित्र भूमिकाएँ निभाई | गजेंद्र चौहान जो युधिष्ठिर बने थे , फ़िरोज़ ख़ान जो अर्जुन बने थे , पुनीत इस्सर जो दुर्योधन बने थे और पंकज धीर बने थे उन्होने शाहरुख ख़ान , सलमान ख़ान अजय देवगन के साथ कई बड़ी फिल्में की जैसे करण अर्जुन , जिगर , ज़मीन , बादशाह , बाग़बान , सनम बेवफा , गर्व प्राइड एंड ओनर इत्यादि |
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