राम-सेतु पर राम-हनुमान का रोचक संवाद



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Sunday 14 October 2007

राम-सेतु पर राम-हनुमान का रोचक संवाद

Ram Hanuman Dialogue on Ramsetu

भगवान महाप्रभु ने “राम-सेतु” का अवलोकन किया और भक्त हनुमान से कहा – हे पवनपुत्र, तुमने और तुम्हारी वानर सेना ने किस खूबसूरती और मजबूती से हजारों वर्ष पूर्व इस सेतु का निर्माण किया है, यह देखकर मैं बहुत खुश हूँ। मुझे तुम्हें शाबाशी देना चाहिये कि तमाम पर्यावरणीय और पारिस्थितिकीय दबावों के बावजूद यह पुल सुरक्षित रहा और इसने सुनामी को भी रोके रखा। हनुमान, वाकई यह तुम्हारा एक स्तुत्य कार्य है, खासकर तब जबकिहैदराबाद में “गैमन” जैसी विशालकाय कम्पनी का बनाया हुआ पुल उद्‌घाटन से पहले ही गिर गया है।

हनुमान ने कहा – प्रभु यह सब आपकी कृपा के कारण सम्भव हुआ था, हम तुच्छ वानर तो सिर्फ़ आपका नाम लिखे हुए पत्थर समुद्र में डालते गये, ना ही हमने टाटा का स्टील लिया था और न ही अम्बुजा और एसीसी का सीमेंट वापरा था, लेकिन प्रभु वह तो बहुत पुरानी बात है, इस वक्त यह मुद्दा क्यों?

बात ही कुछ ऐसी है भक्त, वहाँ नीचे पृथ्वी पर कुछ लोग तुम्हारा बनाया हुआ वह पुल तोड़ना चाहते हैं, ताकि उसके बीच में से एक नहर निकाली जा सके। उस ठेके में अरबों रुपये का धन लगा है, करोड़ों का फ़ायदा होने वाला है, यहाँ तक कि उस पुल को तोड़ने में ही “कुछ लोग” करोड़ों कमा जायेंगे, नहर तो बाद में बनेगी....

हनुमान ने भक्ति से सिर नवाकर पूछा – तो प्रभु क्यों ना हम पुनः धरा पर जायें और उन्हें समझाइश देने की कोशिश करें...
राम बोले – नहीं वत्स, अब समय बहुत बदल चुका है। यदि हम धरती पर चले भी गये तो सबसे पहले वे लोग तुमसे तुम्हारा आयु का प्रमाण माँगेंगे, या फ़िर स्कूल छोड़ने का प्रमाणपत्र, जबकि हमारे पास तो जन्म प्रमाणपत्र भी नहीं है। हे अंजनीपुत्र, हम तो सदियों से पैदल ही चलते रहे हैं, कभी-कभार बैलगाड़ी में भी सफ़र किया है, सो हमारे पास ड्रायविंग लायसेंस भी नहीं है। जहाँ तक निवास का प्रमाणपत्र देने की बात है तो पहले हमने सोचा था कि “अयोध्या” का निवास प्रमाणपत्र दे देंगे, लेकिन वह पवित्र भूमि तो पिछले पचास साल से न्यायालय में अटकी पड़ी है। यदि मैं “अरुण गोविल” की तरह पारम्परिक धनुष-बाण लिये राम बन कर जाऊँ तो वे मुझे पहचानना तो दूर, कहीं मुझे किसी आदिवासी इलाके का समझकर नृत्य ना करवाने लगें या “भारत-भवन” भेज दें। ये भी हो सकता है कि अर्जुन सिंह मुझे आईआईटी में एक सीट दे दें। भगवान स्वयं थ्री-पीस सूट में जनता के पास जायें तो जनता में भारी भ्रम पैदा हो जायेगा....

हनुमान ने कहा- प्रभुवर मैं आपकी तरफ़ से जाता हूँ और लोगों को बताता हूँ कि यह पुल मैंने बनाया था।

ओह मेरे प्रिय हनुमान, राम बोले- इसका कोई फ़ायदा नहीं है, वे लोग तुमसे इस “प्रोजेक्ट” का “ले-आऊट प्लान”, प्रोजेक्ट रिपोर्ट, फ़ायनेन्शियल रिपोर्ट माँगेंगे। वे तुमसे यह भी पूछेंगे कि इतने बड़े प्रोजेक्ट के लिये पैसा कहाँ से आया था और समूचा रामसेतु कुल कितने लाख डॉलर में बना था, और यदि तुमने यह सब बता भी दिया तो वे इसका पूर्णता प्रमाणपत्र (Completion Certificate) माँग लेंगे, तब तुम क्या करोगे पवनपुत्र। फ़िलहाल तो धरती पर जब तक डॉक्टर लिखकर ना दे दे व्यक्ति बीमार नहीं माना जाता, यहाँ तक कि पेंशनर को प्रत्येक महीने बैंक के अफ़सर के सामने गिड़गिड़ाते हुये अपने जीवित होने का प्रमाण देना पड़ता है। तुम्हारी राह आसान नहीं है, हनुमान!

हनुमान बोले- हे राम, मैं इन इतिहासकारों को समझ नहीं पाता। सदियों-वर्षों तक आपने कई महान भक्तों जैसे सूरदास, तुलसीदास, सन्त त्यागराज, जयदेव, भद्राचला रामदास और तुकाराम को दर्शन दिये हैं, लेकिन फ़िर भी वे आप पर अविश्वास दर्शा रहे हैं? आपके होने ना होने पर सवाल उठा रहे हैं? अब तो एक ही उपाय है प्रभु... कि धरती पर पुनः एक रामायण घटित की जाये और उसका एक पूरा “डॉक्यूमेंटेशन” तैयार किया जाये।

प्रभु मुस्कराये (ठीक वैसे ही जैसे रामानन्द सागर के रामायण में करते थे), बोले- हे पवनपुत्र, अब यह इतना आसान नहीं रहा, अब तो रावण भी करुणानिधि के सामने आने में शर्मा जायेगा। मैंने उसके मामा यानी “मारीच” से भी बात की थी लेकिन अब वह भी “सुनहरी मृग” बनने की “रिस्क” लेने को तैयार नहीं है, जब तक कि सलमान जमानत पर बाहर छुट्टा घूम रहा हो। यहाँ तक कि शूर्पणखा भी इतनी “ब्यूटी कांशस” हो गई है कि वह नाक कटवाने को राजी नहीं है, बालि और सुग्रीव भी एक बड़ी कम्पनी में पार्टनर हो गये हैं सो कम ही झगड़ते हैं, फ़िर कहीं मैंने शबरी से बेर खा लिये तो हो सकता है मायावती वोट बैंक खिसकता देखकर नाराज हो जायें... तात्पर्य यह कि, हे गदाधारी, वहाँ समस्याएं ही समस्याएं हैं... बेहतर है कि अगले “युग” का इन्तजार किया जाये...
(एक ई-मेल पर आधारित)


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2 comments:

Ramdhari Dinkar said...

Theen devas thak panth mangtay ragupati sindhu kinaray jab ak naad bhe utha nahi sagar say uthe ag raam Kay sar say (utara khand) bas Karo raam raam sab may raam jaga do raam go ko rast mata bana lo raday sarkaar naked fakir kawe Google search 9955245028 naya ramayan saty garanath jay ho nand may go go may paaluga sankalp ramjanam par ho katha look sabha may nishit ho raam raam ha ray kisan raday jay sere radhay

Ramdhari Dinkar said...

Kiya kahu ghar ki aap ki dekha raha hi paap punay na samagh ko kaha aya kiya tha kaam laga naam kha sagar kiya tha kaam khon sa dhaam khon si pahachan Mani parasmai may nag a ferta bhagwaan pandit pita pariwaar aj bye bars brahaman to bagwan chareet man as ram ram