गीता जयंती : पर में गीता क्यों पढूं ?


गीता पढूं : क्या और कोई काम नहीं है मुझे और आपको भी


गीता जयंती : पर में गीता क्यों पढूं ?


क्या गीता नहीं पढूंगा तो में हिन्दू नहीं रहूंगा . 
मुझे सब पता है , 
गीता रामायण ये सब पंडितों के ढकोसले हैं 
मुझे पता है , भगवान् तो दिल में होते हैं . 
अरे क्या पता भगवान् है भी या नहीं 
बच्चों को बहकाने का तरीका है 
भाई कमाने खाने दो , और तुम भी खाओ 

happy gita jayanti to you 

6th december, 2011

but why ?


we should give our time to gita study !, this is my first question . 


i am doing my life good, trying to fight with the situation, as every-body,
trying to make use of opportunities arround me. 
i am trying to lead my life, smooth, and without problems, 

can gita do anything, to improove it, or it is just a relegious book like so many relegious books of hindu's , christians, muslims, sikhs, jains etc, praising for their relegious thoughts. 

how it is different !

answer : 

there is something different, that is why, so many scholors , who are not hindus, and who do not have enough free time, for these kind of relegious books , read it.  

one of the top personality was the father of first atomic bomb : robert oppenheimer. 

he was not hindu, (was a jew), not having much free time ( was a physicist, leading a team of 5000  scientists, working against time, for making the atomic bomb), never went to a hindu mandir, used to read gita from the age of 28 , and not in english, but in sanskrit. 

there are similar thousands of the known celebraties in different fields, from across the globe, who have praised the gita .  you can see some of them on the link :http://www.hinduwisdom.info/quotes1_20.htm

there has to be some reason in favour of its study by all  :  you can find yourself. 

but if by chance you want to learn basics of sri gita, one to one,personally, and free of any obligation  , from the comforts of your home, then write me back i would give you the link : 

some good links about gita jee: 


gita jee in 16 languages : 



ॐ 

The International Gita Society Wishes you and Your Family Happy sri gita jayanti .

Jaydeep Chaudhari
Vice President,
International Gita Society,
511 Lowell Place,
Fremont, CA 94536-1805 USA


Please visit our FREE e-satsang, and 24/7 Gita Radio, Bhajans at www.gita-society.com/esatsang.

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gita jayanti : 

this is  the day on which the gita was spoken by lord krishna to his friend arjun in the battle fields of kuruchetra (in haryana, india, some 200 km from delhi)

When is Gita Jayanti 2011 in 2011 ? 
Well, 2011 Gita Jayanti date is 
Tuesday, 6th December.
Gita Jayanti is a religious festival of Hindus which is celebrated to commemorate the birth day of ‘Srimad Bhagwat Gita’, the sacred scripture containing invaluable advises of Lord Krishna that he proffered to Arjuna, the third Pandava in the battlefield of Kurukshetra. Geeta Jayanthi is held on ‘Ekadashi’ (the eleventh day) during the bright half of month ‘Margashirsha’ (November- December).
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क्यों मनाते हैं गीता जयंती?

why we celebrate gita jayanti ?

this year Gita Jayanti date is :

Tuesday, 6th December.











विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं जबकि गीता का जन्म स्वयं श्रीभगवान के श्रीमुख से हुआ है-

या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता।।

श्रीगीताजी का जन्म धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को हुआ था। यह तिथि मोक्षदा एकादशी के नाम से विख्यात है। गीता एक सार्वभौम ग्रंथ है। यह किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसे स्वयं श्रीभगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर कहा है। इसलिए इस ग्रंथ में कहीं भी श्रीकृष्ण उवाच शब्द नहीं आया है बल्कि श्रीभगवानुवाच का प्रयोग किया गया है।इसके छोटे-छोटे अठारह अध्यायों में इतना सत्य, ज्ञान व गंभीर उपदेश भरे हैं जो मनुष्यमात्र को नीची से नीची दशा से उठाक देवताओं के स्थान पर बैठाने की शक्ति रखते हैं।
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भगवद्‍ गीता के पठन-पाठन श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बाँधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। 

ND
गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी। 

मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है। 

दुर्लभ मनुष्य जीवन हमें केवल भोग विलास के लिए नहीं मिला है, इसका कुछ अंश भक्ति और सेवा में भी लगाना चाहिए। गीता भक्तों के प्रति भगवान द्वारा प्रेम में गाया हुआ गीत है। अध्यात्म और धर्म की शुरुआत सत्य, दया और प्रेम के साथ ही संभव है। ये तीनों गुण होने पर ही धर्म फलेगा और फूलेगा। 

गीता मंगलमय जीवन का ग्रंथ है। गीता मरना सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है। यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
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गीता जयंती : शनिवार २८ नवम्बर २००९ के अवसर पर
गीता की रचनासुदर्शन

कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। कलि का प्रारंभ परीक्षित के राज्याभिशेष से माना जाता है, और महाभारत युद्ध के पश्चात तीस वर्ष राज्य करने के बाद युधिष्ठिर ने अर्जुन के पौत्र परीक्षित का राजतिलक किया था। इस समय कलि सम्वत ६०१० चल रहा है अत: गीता का उपदेश आज से ५१४० वर्ष पूर्व हुआ था यह बात गणित से सिद्ध है, और महीने तथा तिथि का विवरण तो महाभारत मे उल्लिखित है ही।
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कुरुक्षेत्र में गीता जयंती समारोह का आयोजन


एनबीटी न्यूज॥ कुरुक्षेत्र : धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में हर वर्ष आयोजित होने वाले गीता जयंती समारोह की रूपरेखा जिला प्रशासन, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने तैयार कर ली है। अबकी बार इस समारोह पर एक करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। इस बार प्रशासन ने समारोह में प्रख्यात नृत्यांगना व फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को भी आमंत्रित किया है। 

विशाल ब्रह्म सरोवर के मध्य में स्थित पुरुषोत्तमपुरा बाग में चारों ओर मंच लगाने का इस बार प्रावधान किया गया है। इस संबंध में एडीसी सुमेधा कटारिया ने बताया कि सूरजकुंड क्राफ्ट मेले की तर्ज पर देशभर से हस्त शिल्पकार बुलाए गए हैं। प्रतिदिन भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए देशभर से कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। 

देशभर की 600 ग्रामीण विकास एजेंसियों से जुुडे़ सेल्फ गु्रपों से 1200 प्रतिनिधि भाग लेंगे। जल्दी ही समारोह की तिथियों की घोषणा कर दी जाएगी और इस बार सरकार ने गीता जयंती समारोह का बजट 30 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपया कर दिया है। उन्होंने बताया कि देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक गीता जयंती समारोह में आते हैं। इसलिए बजट की धनराशि बढ़ जाने से कोशिश की जा रही है कि समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम और अच्छे स्तर के हांे।

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कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह की तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही है। समारोह स्थल ब्रह्मसरोवर को जाने वाली सभी सड़कों की मरम्मत करने के साथ-साथ डिवाइडरों पर रंगाई-पुताई का काम तेजी से किया जा रहा है। उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने बताया कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर सफेदी क ा काम किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर क्र ाफ्ट मेला  राज्यस्तरीय विकास प्रदर्शनी लगाने के साथ-साथ सरस मेला के भी राष्ट्रीय स्तर के स्वयं सहायता समूह के स्टाल लगाए जांएगे। देशभर से 450 स्वयं सहायता समूह इस सरस मेले में कला, हुनर और दस्तकारी के साथ पंहुचेंगे। आयोजन को अंतिम रुप देने के लिए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अधिकारियों ने केडीबी के कार्यालय में मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बंसल व जिला सूचना व जन संपर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल के साथ बैठक की। 
केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बंसल ने बताया कि ब्रह्मसरोवर में स्वच्छ जल भरने के साथ-साथ सफाई का काम चल रहा है। गीता जयंती समारोह के दौरान यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। इन पार्किंग स्थलों में केडीबी कार्यालय के सामने दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, रोड धर्मशाला, वीवीआईपी घाट ब्रह्मसरोवर के पश्चिम दिशा में सनहित सरोवर कालीकमली वाले भवन के सामने श्रीकृष्णा म्यूजियम के सामने के पार्किंग स्थल शामिल हैं। बंसल ने बताया कि क्राफ्ट मेले का उद्घाटन अंबाला मंडल के आयुक्त अनिल कु मार 1 दिसंबर को करेंगे। 2 दिसंबर को पुरुषोतमपुरा बाग में शाम को होने वाले गीता जयंती समारोह का उद्घाटन हरियाणा के राज्य श्री जग्गनाथ पहाडिय़ा करेंगे। 3 दिसंबर को दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा होगा, जिसमें मुख्यातिथि डा. शशि कालिया होंगे। 
4 दिसंबर को पुरुषोतमपुरा बाग में दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमएल रंगा मुख्यातिथि होंगे। 5 दिसंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मुख्यातिथि कुवि के कुलपति डा. डीडीएस संधू होंगे। 6 दिसंबर को दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम सूचना जनसंपर्क व सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मुख्यातिथि शाहाबाद के विधायक अनिल धंतौड़ी मुख्यातिथि होंगे।
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Why Namaste?

Here are two videos. How American people are turning to "Namaste." Just for your fun.



fdi ऍफ़ डी आई जिंदाबाद

  
एसा लगता है , की वाल मार्ट,  इंडिया की तरकी के लिए इतना जरुरी है की इसके बिना इंडिया तो गर्क में चला जायेगा . 


कमाल का उत्साह है प्रधान मंत्री सहित सरकार का . 

यदि बिल पास नहीं हुआ तो कमीशन वापिस करना परेगा , और हमारे नेताओं की परदेस में क्या इज्जत रह जाएगी . 

जब बैंक , इन्सुरांस सब बुला लिए तो यह भी सही. 

    

गीता जयंती समारोह का आयोजन


क्यों मनाते हैं गीता जयंती?

Gita Jayanti date is 
Tuesday, 
6th December.









विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं जबकि गीता का जन्म स्वयं श्रीभगवान के श्रीमुख से हुआ है-


या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता।।


श्रीगीताजी का जन्म धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को हुआ था। यह तिथि मोक्षदा एकादशी के नाम से विख्यात है। गीता एक सार्वभौम ग्रंथ है। यह किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसे स्वयं श्रीभगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर कहा है। इसलिए इस ग्रंथ में कहीं भी श्रीकृष्ण उवाच शब्द नहीं आया है बल्कि श्रीभगवानुवाच का प्रयोग किया गया है।इसके छोटे-छोटे अठारह अध्यायों में इतना सत्य, ज्ञान व गंभीर उपदेश भरे हैं जो मनुष्यमात्र को नीची से नीची दशा से उठाक देवताओं के स्थान पर बैठाने की शक्ति रखते हैं।
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भगवद्‍ गीता के पठन-पाठन श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बाँधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। 

ND
गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी। 

मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है। 

दुर्लभ मनुष्य जीवन हमें केवल भोग विलास के लिए नहीं मिला है, इसका कुछ अंश भक्ति और सेवा में भी लगाना चाहिए। गीता भक्तों के प्रति भगवान द्वारा प्रेम में गाया हुआ गीत है। अध्यात्म और धर्म की शुरुआत सत्य, दया और प्रेम के साथ ही संभव है। ये तीनों गुण होने पर ही धर्म फलेगा और फूलेगा। 

गीता मंगलमय जीवन का ग्रंथ है। गीता मरना सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है। यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
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गीता जयंती : शनिवार २८ नवम्बर २००९ के अवसर पर
गीता की रचनासुदर्शन

कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। कलि का प्रारंभ परीक्षित के राज्याभिशेष से माना जाता है, और महाभारत युद्ध के पश्चात तीस वर्ष राज्य करने के बाद युधिष्ठिर ने अर्जुन के पौत्र परीक्षित का राजतिलक किया था। इस समय कलि सम्वत ६०१० चल रहा है अत: गीता का उपदेश आज से ५१४० वर्ष पूर्व हुआ था यह बात गणित से सिद्ध है, और महीने तथा तिथि का विवरण तो महाभारत मे उल्लिखित है ही।
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कुरुक्षेत्र में गीता जयंती समारोह का आयोजन


एनबीटी न्यूज॥ कुरुक्षेत्र : धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में हर वर्ष आयोजित होने वाले गीता जयंती समारोह की रूपरेखा जिला प्रशासन, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने तैयार कर ली है। अबकी बार इस समारोह पर एक करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। इस बार प्रशासन ने समारोह में प्रख्यात नृत्यांगना व फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को भी आमंत्रित किया है। 

विशाल ब्रह्म सरोवर के मध्य में स्थित पुरुषोत्तमपुरा बाग में चारों ओर मंच लगाने का इस बार प्रावधान किया गया है। इस संबंध में एडीसी सुमेधा कटारिया ने बताया कि सूरजकुंड क्राफ्ट मेले की तर्ज पर देशभर से हस्त शिल्पकार बुलाए गए हैं। प्रतिदिन भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए देशभर से कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। 

देशभर की 600 ग्रामीण विकास एजेंसियों से जुुडे़ सेल्फ गु्रपों से 1200 प्रतिनिधि भाग लेंगे। जल्दी ही समारोह की तिथियों की घोषणा कर दी जाएगी और इस बार सरकार ने गीता जयंती समारोह का बजट 30 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपया कर दिया है। उन्होंने बताया कि देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक गीता जयंती समारोह में आते हैं। इसलिए बजट की धनराशि बढ़ जाने से कोशिश की जा रही है कि समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम और अच्छे स्तर के हांे।

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कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह की तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही है। समारोह स्थल ब्रह्मसरोवर को जाने वाली सभी सड़कों की मरम्मत करने के साथ-साथ डिवाइडरों पर रंगाई-पुताई का काम तेजी से किया जा रहा है। उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने बताया कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर सफेदी क ा काम किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर क्र ाफ्ट मेला  राज्यस्तरीय विकास प्रदर्शनी लगाने के साथ-साथ सरस मेला के भी राष्ट्रीय स्तर के स्वयं सहायता समूह के स्टाल लगाए जांएगे। देशभर से 450 स्वयं सहायता समूह इस सरस मेले में कला, हुनर और दस्तकारी के साथ पंहुचेंगे। आयोजन को अंतिम रुप देने के लिए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अधिकारियों ने केडीबी के कार्यालय में मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बंसल व जिला सूचना व जन संपर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल के साथ बैठक की। 
केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बंसल ने बताया कि ब्रह्मसरोवर में स्वच्छ जल भरने के साथ-साथ सफाई का काम चल रहा है। गीता जयंती समारोह के दौरान यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। इन पार्किंग स्थलों में केडीबी कार्यालय के सामने दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, रोड धर्मशाला, वीवीआईपी घाट ब्रह्मसरोवर के पश्चिम दिशा में सनहित सरोवर कालीकमली वाले भवन के सामने श्रीकृष्णा म्यूजियम के सामने के पार्किंग स्थल शामिल हैं। बंसल ने बताया कि क्राफ्ट मेले का उद्घाटन अंबाला मंडल के आयुक्त अनिल कु मार 1 दिसंबर को करेंगे। 2 दिसंबर को पुरुषोतमपुरा बाग में शाम को होने वाले गीता जयंती समारोह का उद्घाटन हरियाणा के राज्य श्री जग्गनाथ पहाडिय़ा करेंगे। 3 दिसंबर को दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा होगा, जिसमें मुख्यातिथि डा. शशि कालिया होंगे। 
4 दिसंबर को पुरुषोतमपुरा बाग में दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमएल रंगा मुख्यातिथि होंगे। 5 दिसंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मुख्यातिथि कुवि के कुलपति डा. डीडीएस संधू होंगे। 6 दिसंबर को दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम सूचना जनसंपर्क व सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मुख्यातिथि शाहाबाद के विधायक अनिल धंतौड़ी मुख्यातिथि होंगे।


gita jayanti : 

this is  the day on which the gita was spoken by lord krishna to his friend arjun in the battle fields of kuruchetra (in haryana, india, some 200 km from delhi)

When is Gita Jayanti 2011 in 2011 ? 
Well, 2011 Gita Jayanti date is Tuesday, 6th December.
Gita Jayanti is a religious festival of Hindus which is celebrated to commemorate the birth day of ‘Srimad Bhagwat Gita’, the sacred scripture containing invaluable advises of Lord Krishna that he proffered to Arjuna, the third Pandava in the battlefield of Kurukshetra. Geeta Jayanthi is held on ‘Ekadashi’ (the eleventh day) during the bright half of month ‘Margashirsha’ (November- December).

happy birthday to my sweet sweet daughter neha gupta , 25th november














the video links : 
neha birthday part 1


neha birthay part 2
http://youtu.be/GrEysz2EkyI
neha birthday 3





the distinguished family persons : 


and the absentee , whom we missed a lot her brother , manu in china 


please bless her by your good wishes :
ashok gupta

कहीं ये थप्पड़ किसी क्रांति का आगाज़ तो नहीं ? shahid harvinder singh jindaabaad

मेरे जानकारों का सुझाव है की हर मोहल्ले में इसे थप्पड़ क्लब बनाए जाए , और संभंधित अधिकारी को, सार्वजानिक तोर पर  केवल याद दिलाने के लिए धीरे से(अहिंसक ) थप्पड़ / चपत लगायी जाये , उसके कर्त्तव्य को याद दिलाने के लिए . 

harvinder-singh.jpg  


में हरविंदर सिंह की इस कोशिश का भरपूर समर्थन करता हूँ. 


मैंने युवा लोगों से इस विषय में विचार लिए . वो भी बहुत खुश थे . 
यदि सरकार रामलीला मैदान में सोते लोगों पर लाठी प्रहार से जनता को मार सकती है, लोगों की (राजबाला की ) हत्या कर सकती है, तो क्या एक जनता का आदमी सरकारी आदमी को थप्पड़ भी नहीं मार सकता 

अन्ना जैसे आदमी को बिना बात कैद कर सकते हैं.. 
शुरुआत सरकार ने की है . 

अफ़सोस की विपक्षी दल भी विरोध कर रहे हैं , क्योंकि वे भी इसी भ्रष्टाचारी व्यवस्था का हिस्सा हैं.

मेरे विचार से इन नेताओं को जिन्होंने जनता को लाठी से , व भूख से , प्यास से मारा हुआ है, उनको लाइन से खरा करके मीडिया के सामने जुटे लगाने चाहिए 



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कहीं ये थप्पड़ किसी क्रांति का आगाज़ तो नहीं ?
राजीव गुप्ता , लेखक        
 
जब खाने-पीने की चीजों के दामों में आग लग जाय और रसोई के चूल्हे की आग गैस सिलेंडर महंगा होने से बुझ जाय सरकार के मंत्री के घोटालो के चलते पूरी सरकार भ्रष्टाचार में डूबी हो विदेशों में जामा काले धन को स्वदेश में लाने के लिए सरकार टालमटोल का रवैया अपनाये तो ऐसा में जनता में आक्रोश होना लाजमी है ! अगर सरकार अब भी न चेती तो कही हालात नियंत्रण से बाहर न हो जाय जिसका आगाज़ एक शख्स  ने वर्तमान कृषि मंत्री शरद पावर जी पर थप्पड़ मार कर अपने आक्रोश का इजहार तो कर दिया जो कि बहुत ही निंदनीय है परन्तु सरकार को अब जागना ही होगा अन्यथा कही ये हालात और भड़क कर बेकाबू न हो जाय !  
 
फ़्रांस की 1756 की क्रांति का इतिहास साक्षी है जो कि कोई सुनियोजित न होकर जनता के आक्रोश का परिणाम थी !  जब जनता किंग लुईस के शासन में महंगाई और भ्रष्टाचार से परेशान होकर सडको पर उतरी और तो पूरे राजघराने को ही मौत के घाट उतारते हुए अपने साथियों को ब्रूस्सील ( Brusseel ) जेल को तोड़कर बाहर निकाल कर क्रांति  की शुरुआत की ! परिणामतः वहां  लोकतंत्र  के साथ - साथ  तीन नए शब्द  Liberty , Equality ,  Fraternity  अस्तित्व में आये ! वास्तव में उस समय राजघराने का जनता की तकलीफों से कोई सरोकार नहीं था ! इसका अंदाजा हम उस समय की महारानी मेरिया एंटोनियो के उस वक्तव्य से लगा सकते है जिसमे उन्होंने भूखमरी और महंगाई से बेहाल जनता से कहा था कि " अगर ब्रेड नहीं मिल रही तो केक क्यों नहीं खाते ! "
 
ऐसी ही एक और क्रांति सोवियत संघ में भी हुई थी ! जिसका परिणाम वहां की जारशाही का अंत के रूप में हुआ था ! कारण लगभग वहां भी वही थे जो कि फ़्रांस में थे जैसे खाने-पीने की वस्तुओं का आकाल भ्रष्टाचार में डूबी सत्ता और सत्ता के द्वारा जनता के अधिकारों का दमन ! सोवियत संघ में लोकतंत्र तो नहीं आया परन्तु वहां कम्युनिस्टों  की सरकार बनीं !
 
जब अर्थव्यवस्था ध्वस्त होने के कगार पर हो मंहगाई के साथ - साथ बेरोजगारी दिन - प्रतिदिन बढ़ रही हो और सरकार अपनी दमनकारी एवं गलत नीतियों से जनता की आवाज को दबाने कोशिश कर रही हो तो जनता सडको पर उतरकर अपना आक्रोश प्रकट करने लग जाती है और यदि समय रहते हालात को न संभाला गया तो यही जनता भयंकर रूप लेकर सत्ताधारियों को सत्ता से बेदखल करने से पीछे भी नहीं हटती जिसका गवाह इतिहास के साथ साथ अभी हाल हे में हुए कुछ देशों के घटनाचक्र है ! सत्ता - परिवर्तन करने के लिए लोग अपने शासक गद्दाफी का अंत करने से भी पीछे नहीं हटे ! एक तरफ  कभी अमेरिका और ब्रिटेन के लोग आर्थिक मंदी और बेरोजगारी के चलते प्रदर्शन करते है तो वही दूसरी तरफ मिस्र की जनता सड़कों पर हैजिसके चलते  मिस्र आज भी सुलग रहा है !
 
आंकड़ो की बजीगीरी सरकार चाहे जितनी कर ले पर वास्तविकता इससे कही परे है ! बाज़ार में रुपये की कीमत लगातार गिर रही है अर्थात विदेशी निवेशक लगातार घरेलू शेयर बाज़ार से पैसा निकाल रहे है ! गौरतलब है कि रुपये की कीमत गिरने का मतलब विदेशी भुगतान का बढ़ जाना है अर्थात पेट्रोलियम पदार्थो की कीमतें और बढ़ेगी ही जिससे कि अन्य वस्तुओ की कीमतों में भी इजाफा होगा ! महंगाई को सरकार पता नहीं क्यों आम आदमी की समस्या नहीं मानना चाहती एक तरफ जहां हमारे वर्तमान प्रधानमंत्री दुनिया के माने हुए अर्थशास्त्री है विदेशों में जाकर आर्थिक संकट से उबरने की सलाह देते है और अपने देश में मंहगाई से आम आदमी का कचूमर निकाल कर कहते है कि हमारे पास कोई जादू की छडी नहीं है तो दूसरी तरफ वित्त मंत्री जी महंगाई कम होने की तारीख पर तारीख देते रहते है जैसे कि कोई अदालतीये कार्यवाही में तारीख दे रहे हो ! 
 
उदारवादी आर्थिक नीतियों का फायदा सीधे - सीधे पूंजीपतियों को ही होता है और आम आदमी महंगाई के बोझ - तले पिस जाता है !  अब असली मुद्दा यह है कि आम आदमी जाये  तो कहा जाये ऐसे में जनता में सरकार के प्रति आक्रोश  तो लाज़मी ही है ! जनता का यह आक्रोश कोई विकराल रूप ले ले उससे पहले सरकार को आत्मचिंतन कर इस सुरसा रूपी महंगाई की बीमारी से जनता को निजात दिलाना ही होगाक्योंकि एक बार राम मनोहर लोहिया जी  ने भी कहा था कि  जिंदा कौमें पांच साल तक इंतज़ार नहीं किया करती है ऐसे में मुझे लगता है  कि कही ये थप्पड़ किसी क्रांति का आगाज़ तो नहीं है !   
                - राजीव गुप्ता , लेखक                    
 

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