गीता जयंती समारोह का आयोजन


क्यों मनाते हैं गीता जयंती?

Gita Jayanti date is 
Tuesday, 
6th December.









विश्व के किसी भी धर्म या संप्रदाय में किसी भी ग्रंथ की जयंती नहीं मनाई जाती। हिंदू धर्म में भी सिर्फ गीता जयंती मनाने की परंपरा पुरातन काल से चली आ रही है क्योंकि अन्य ग्रंथ किसी मनुष्य द्वारा लिखे या संकलित किए गए हैं जबकि गीता का जन्म स्वयं श्रीभगवान के श्रीमुख से हुआ है-


या स्वयं पद्मनाभस्य मुखपद्माद्विनि:सृता।।


श्रीगीताजी का जन्म धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में मार्गशीर्ष मास में शुक्लपक्ष की एकादशी को हुआ था। यह तिथि मोक्षदा एकादशी के नाम से विख्यात है। गीता एक सार्वभौम ग्रंथ है। यह किसी काल, धर्म, संप्रदाय या जाति विशेष के लिए नहीं अपितु संपूर्ण मानव जाति के लिए हैं। इसे स्वयं श्रीभगवान ने अर्जुन को निमित्त बनाकर कहा है। इसलिए इस ग्रंथ में कहीं भी श्रीकृष्ण उवाच शब्द नहीं आया है बल्कि श्रीभगवानुवाच का प्रयोग किया गया है।इसके छोटे-छोटे अठारह अध्यायों में इतना सत्य, ज्ञान व गंभीर उपदेश भरे हैं जो मनुष्यमात्र को नीची से नीची दशा से उठाक देवताओं के स्थान पर बैठाने की शक्ति रखते हैं।
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भगवद्‍ गीता के पठन-पाठन श्रवण एवं मनन-चिंतन से जीवन में श्रेष्ठता के भाव आते हैं। गीता केवल लाल कपड़े में बाँधकर घर में रखने के लिए नहीं बल्कि उसे पढ़कर संदेशों को आत्मसात करने के लिए है। गीता का चिंतन अज्ञानता के आचरण को हटाकर आत्मज्ञान की ओर प्रवृत्त करता है। गीता भगवान की श्वास और भक्तों का विश्वास है। 

ND
गीता ज्ञान का अद्भुत भंडार है। हम सब हर काम में तुरंत नतीजा चाहते हैं लेकिन भगवान ने कहा है कि धैर्य के बिना अज्ञान, दुख, मोह, क्रोध, काम और लोभ से निवृत्ति नहीं मिलेगी। 

मंगलमय जीवन का ग्रंथ है गीता। गीता केवल ग्रंथ नहीं, कलियुग के पापों का क्षय करने का अद्भुत और अनुपम माध्यम है। जिसके जीवन में गीता का ज्ञान नहीं वह पशु से भी बदतर होता है। भक्ति बाल्यकाल से शुरू होना चाहिए। अंतिम समय में तो भगवान का नाम लेना भी कठिन हो जाता है। 

दुर्लभ मनुष्य जीवन हमें केवल भोग विलास के लिए नहीं मिला है, इसका कुछ अंश भक्ति और सेवा में भी लगाना चाहिए। गीता भक्तों के प्रति भगवान द्वारा प्रेम में गाया हुआ गीत है। अध्यात्म और धर्म की शुरुआत सत्य, दया और प्रेम के साथ ही संभव है। ये तीनों गुण होने पर ही धर्म फलेगा और फूलेगा। 

गीता मंगलमय जीवन का ग्रंथ है। गीता मरना सिखाती है, जीवन को तो धन्य बनाती ही है। गीता केवल धर्म ग्रंथ ही नहीं यह एक अनुपम जीवन ग्रंथ है। जीवन उत्थान के लिए इसका स्वाध्याय हर व्यक्ति को करना चाहिए। गीता एक दिव्य ग्रंथ है। यह हमें पलायन से पुरुषार्थ की ओर अग्रसर होने की प्रेरणा देती है।
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गीता जयंती : शनिवार २८ नवम्बर २००९ के अवसर पर
गीता की रचनासुदर्शन

कलियुग के प्रारंभ होने के मात्र तीस वर्ष पहले, मार्गशीर्ष शुक्ल एकादशी के दिन, कुरुक्षेत्र के मैदान में, अर्जुन के नन्दिघोष नामक रथ पर सारथी के स्थान पर बैठ कर श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश किया था। इसी तिथि को प्रतिवर्ष गीता जयंती का पर्व मनाया जाता है। कलि का प्रारंभ परीक्षित के राज्याभिशेष से माना जाता है, और महाभारत युद्ध के पश्चात तीस वर्ष राज्य करने के बाद युधिष्ठिर ने अर्जुन के पौत्र परीक्षित का राजतिलक किया था। इस समय कलि सम्वत ६०१० चल रहा है अत: गीता का उपदेश आज से ५१४० वर्ष पूर्व हुआ था यह बात गणित से सिद्ध है, और महीने तथा तिथि का विवरण तो महाभारत मे उल्लिखित है ही।
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कुरुक्षेत्र में गीता जयंती समारोह का आयोजन


एनबीटी न्यूज॥ कुरुक्षेत्र : धर्मक्षेत्र कुरुक्षेत्र में हर वर्ष आयोजित होने वाले गीता जयंती समारोह की रूपरेखा जिला प्रशासन, कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने तैयार कर ली है। अबकी बार इस समारोह पर एक करोड़ रुपया खर्च किया जाएगा। इस बार प्रशासन ने समारोह में प्रख्यात नृत्यांगना व फिल्म अभिनेत्री हेमा मालिनी को भी आमंत्रित किया है। 

विशाल ब्रह्म सरोवर के मध्य में स्थित पुरुषोत्तमपुरा बाग में चारों ओर मंच लगाने का इस बार प्रावधान किया गया है। इस संबंध में एडीसी सुमेधा कटारिया ने बताया कि सूरजकुंड क्राफ्ट मेले की तर्ज पर देशभर से हस्त शिल्पकार बुलाए गए हैं। प्रतिदिन भव्य सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने के लिए देशभर से कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। 

देशभर की 600 ग्रामीण विकास एजेंसियों से जुुडे़ सेल्फ गु्रपों से 1200 प्रतिनिधि भाग लेंगे। जल्दी ही समारोह की तिथियों की घोषणा कर दी जाएगी और इस बार सरकार ने गीता जयंती समारोह का बजट 30 लाख से बढ़ाकर एक करोड़ रुपया कर दिया है। उन्होंने बताया कि देश-विदेश से भारी संख्या में पर्यटक गीता जयंती समारोह में आते हैं। इसलिए बजट की धनराशि बढ़ जाने से कोशिश की जा रही है कि समारोह में सांस्कृतिक कार्यक्रम और अच्छे स्तर के हांे।

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कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र उत्सव गीता जयंती समारोह की तैयारियां युद्ध स्तर पर की जा रही है। समारोह स्थल ब्रह्मसरोवर को जाने वाली सभी सड़कों की मरम्मत करने के साथ-साथ डिवाइडरों पर रंगाई-पुताई का काम तेजी से किया जा रहा है। उपायुक्त मंदीप सिंह बराड़ ने बताया कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर सफेदी क ा काम किया जा रहा है। ऐसा पहली बार हो रहा है कि ब्रह्मसरोवर के चारों ओर क्र ाफ्ट मेला  राज्यस्तरीय विकास प्रदर्शनी लगाने के साथ-साथ सरस मेला के भी राष्ट्रीय स्तर के स्वयं सहायता समूह के स्टाल लगाए जांएगे। देशभर से 450 स्वयं सहायता समूह इस सरस मेले में कला, हुनर और दस्तकारी के साथ पंहुचेंगे। आयोजन को अंतिम रुप देने के लिए उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के अधिकारियों ने केडीबी के कार्यालय में मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बंसल व जिला सूचना व जन संपर्क अधिकारी देवराज सिरोहीवाल के साथ बैठक की। 
केडीबी के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अशोक बंसल ने बताया कि ब्रह्मसरोवर में स्वच्छ जल भरने के साथ-साथ सफाई का काम चल रहा है। गीता जयंती समारोह के दौरान यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाए रखने के लिए पार्किंग स्थल बनाए गए हैं। इन पार्किंग स्थलों में केडीबी कार्यालय के सामने दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर, रोड धर्मशाला, वीवीआईपी घाट ब्रह्मसरोवर के पश्चिम दिशा में सनहित सरोवर कालीकमली वाले भवन के सामने श्रीकृष्णा म्यूजियम के सामने के पार्किंग स्थल शामिल हैं। बंसल ने बताया कि क्राफ्ट मेले का उद्घाटन अंबाला मंडल के आयुक्त अनिल कु मार 1 दिसंबर को करेंगे। 2 दिसंबर को पुरुषोतमपुरा बाग में शाम को होने वाले गीता जयंती समारोह का उद्घाटन हरियाणा के राज्य श्री जग्गनाथ पहाडिय़ा करेंगे। 3 दिसंबर को दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय द्वारा होगा, जिसमें मुख्यातिथि डा. शशि कालिया होंगे। 
4 दिसंबर को पुरुषोतमपुरा बाग में दिन में सांस्कृतिक कार्यक्रम में गुरु जंभेश्वर विश्वविद्यालय के कुलपति डा. एमएल रंगा मुख्यातिथि होंगे। 5 दिसंबर को सांस्कृतिक कार्यक्रम उत्तर क्षेत्रीय सांस्कृतिक केंद्र पटियाला द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मुख्यातिथि कुवि के कुलपति डा. डीडीएस संधू होंगे। 6 दिसंबर को दिन के सांस्कृतिक कार्यक्रम सूचना जनसंपर्क व सांस्कृतिक कार्य विभाग द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा, जिसमें मुख्यातिथि शाहाबाद के विधायक अनिल धंतौड़ी मुख्यातिथि होंगे।


gita jayanti : 

this is  the day on which the gita was spoken by lord krishna to his friend arjun in the battle fields of kuruchetra (in haryana, india, some 200 km from delhi)

When is Gita Jayanti 2011 in 2011 ? 
Well, 2011 Gita Jayanti date is Tuesday, 6th December.
Gita Jayanti is a religious festival of Hindus which is celebrated to commemorate the birth day of ‘Srimad Bhagwat Gita’, the sacred scripture containing invaluable advises of Lord Krishna that he proffered to Arjuna, the third Pandava in the battlefield of Kurukshetra. Geeta Jayanthi is held on ‘Ekadashi’ (the eleventh day) during the bright half of month ‘Margashirsha’ (November- December).

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