क्या हिंदुस्तानिओं को शर्म आती है - नहीं आती !

  

हिदुस्तानी , मुसलामानों को कोसने के अलावा क्या कर सकते हैं . 

कौन मना करता है उन्हें संगठित होने के लिए 

क्या बी जे पी , भी मुसलामानों की पिछलग्गू नहीं है !

Tuesday, January 3, 2012

http://aliveravi.blogspot.in/2012_01_01_archive.html

मुस्लिम प्रेम

गोधरा के बाद मीडिया में जो हंगामा बरपा, वैसा हंगामा कश्मीर के चार लाख हिन्दुओं की मौत और पलायन पर क्यों नहीं होता ?

२. विश्व में लगभग ५२ मुस्लिम देश हैं, एक मुस्लिम देश का नाम बताईये जो हज के लिये "सब्सिडी" देता हो ?

३. एक मुस्लिम देश बताईये जहाँ हिन्दुओं के लिये विशेष कानून हैं, जैसे कि भारत में मुसलमानों के लिये हैं ?

४. एक मुस्लिम देश का नाम बताईये, जहाँ का राष्ट्रपति या प्रधानमन्त्री गैर-मुस्लिम हो ?

५. किसी "मुल्ला" या "मौलवी" का नाम बताईये, जिसने आतंकवादियों के खिलाफ़ फ़तवा जारी किया हो ?

६. महाराष्ट्र, बिहार, केरल जैसे हिन्दू बहुल राज्यों में मुस्लिम मुख्यमन्त्री हो चुके हैं, क्या आप कल्पना कर सकते हैं कि मुस्लिम बहुल राज्य "कश्मीर" में कोई हिन्दू मुख्यमन्त्री हो सकता है ?

७. १९४७ में आजादी के दौरान पाकिस्तान में हिन्दू जनसंख्या 24% थी, अब वह घटकर 1% रह गई है, उसी समय तत्कालीन पूर्वी पाकिस्तान (अब आज का अहसानफ़रामोश बांग्लादेश) में हिन्दू जनसंख्या 30% थी जो अब 7% से भी कम हो गई है । क्या हुआ गुमशुदा हिन्दुओं का ? क्या वहाँ (और यहाँ भी) हिन्दुओं के कोई मानवाधिकार हैं ?

८. जबकि इस दौरान भारत में मुस्लिम जनसंख्या 10.4% से बढकर 14.2% हो गई है, क्या वाकई हिन्दू कट्टरवादी हैं ?

९. यदि हिन्दू असहिष्णु हैं तो कैसे हमारे यहाँ मुस्लिम सडकों पर नमाज पढते रहते हैं, लाऊडस्पीकर पर दिन भर चिल्लाते रहते हैं कि "अल्लाह के सिवाय और कोई शक्ति नहीं है" ?

१०. सोमनाथ मन्दिर के जीर्णोद्धार के लिये देश के पैसे का दुरुपयोग नहीं होना चाहिये ऐसा गाँधीजी ने कहा था, लेकिन 1948 में ही दिल्ली की मस्जिदों को सरकारी मदद से बनवाने के लिये उन्होंने नेहरू और पटेल पर दबाव बनाया, क्यों ?

११. कश्मीर, नागालैण्ड, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय आदि में हिन्दू अल्पसंख्यक हैं, क्या उन्हें कोई विशेष सुविधा मिलती है ?

१२. हज करने के लिये सबसिडी मिलती है, जबकि मानसरोवर और अमरनाथ जाने पर टैक्स देना पड़ता है, क्यों ?

१३. मदरसे और क्रिश्चियन स्कूल अपने-अपने स्कूलों में बाईबल और कुरान पढा सकते हैं, तो फ़िर सरस्वती शिशु मन्दिरों में और बाकी स्कूलों में गीता और रामायण क्यों नहीं पढाई जा सकती ?

१४. किसी एक देश का नाम बताईये, जहाँ ८५% बहुसंख्यकों को "याचना" करनी पडती है, १५% अल्पसंख्यकों को संतुष्ट करने के लिये. ?
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 औउर : कौन है जिम्मेवार : 
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१५. एक मुसलमान बच्चा २ साल की उम्र से कुरान पढ़ना शुरू कर देता है . कितने हिंदुओं ने पुरे जीवन में कभी गीता , रामायण पढ़ी है ..

१६. आपनी नाकामी का जिम्मेवार मुसलामानों को ठहराना शर्म की बात है 

१७ . मुसलमान ५ वक्त नमाज पढता है  
कितने हिंदू गीता रामायण का एक एक श्लोक भी बोल सकते हैं . 

१८.  एक हिंदू मुसलामानों को मुसलमान-भाई कहते हैं और हरिजनों को भाई कहने में शर्म आती है .

१९ . मुसलमान हफ्ते में एक बार , जरूर मस्जिद में नमाज पढ़ना चाहता है .
कितने हिंदू पुरे वर्ष में एक बार मंदिर जाते हैं . 

२०. किसी पीर के , साईं बाबा के एक मुसलमान भी नहीं जाता . अच्छे , पढ़े लिखे हिंदू पीरों पर भीड़ लगते हैं . 

२१ इसीलिए ८५ % १५ % के आगे गिडगिडाते हैं , 

२२. इसीलिए मुठी भर मुसलामानों ने हिन्दुस्तान को जीत लिया . 

२३. मुठी भर अंग्रेज हिन्दुस्तान पर राज कर गए 

२४. एक परिवार पिछले ६६ वर्षों से राज कर रहा है . 

२५. एक  विधवा , ने अच्छे अच्छों नेताओं की नाक में नकेल डाल राखी है , चाहे वो कांग्रेस के हो या किसी और पार्टी के . 

कौन है जिम्मेवार ?
अनपढ़-मुसलमान  ?
या पढ़े-लिखे हिंदू ?



नवजीव्लैड में गाय को पीटने पर दो साल एक महीने कि जेल

dairy cow abuse
नवजीव्लैड में गाय को पीटने पर दो साल एक महीने कि जेल 
पूरी न्यूज़ पढ़ें : 

Dairy Farmer in New Zealand Jailed for Dairy Cow Abuse

A New Zealand dairy farmer was sentenced, this month, to two years and one month for what’s being described as “serious animal welfare offenses.”
Dairy Farmer Lourens Barend Erasmus was sentenced in connection to abuses made on his dairy cows. Specifically, the Ministry for Primary Industries (MPI) of New Zealand discovered that Erasmus had been breaking his cows’ tails (115 of his 135 cow herd), and beat the cows with steel pipes and milking cups.

Shinde may say sorry for 'Hindu terror' comment : thanks to bjp



   
NEW DELHI: Home minister SushilkumarShinde, who is also leader of the LokSabha, is likely to express regret for his "Hindu terror" comments to the main opposition BJP in a bid to ensure smooth functioning of Parliament. 

According to BJP sources, Shinde may express regret in Parliament when it opens for the budget session on February 21. BJP had taken offence to the minister's remarks, made at the Congress's Jaipur 'chintan shivir', and had decided to boycott Shinde unless he apologized. This could have posed serious problems for the government in the House as the finance bill has to be passed.

no stampede but murder भगदड़ नहीं क़त्ल



Deadly Stampede at kumbh, 

planned by the government.


 
this was not a stampede , but a planned scheme to malign the kumbh, so that not many people go there.

all the culprits responsible,should be hanged by neck by railway minister, prime minister, president, and the supreme court of india,  on the cross roads, 

and not hang them,  like thieves, killing the people in the darkness of the jail as under: 



रसोईघर ही नहीं - आपका स्वस्थ्य घर भी

रसोईघर- से स्वास्थ्य सुझाव--------------------------------------------------------------------------------------------अलका मिश्रा
  • खराश या सूखी खाँसी के लिये अदरक और गुड़
    गले में खराश या सूखी खाँसी होने पर पिसी हुई अदरक में गुड़ और घी मिलाकर खाएँ। गुड़ और घी के स्थान पर शहद का प्रयोग भी किया जा सकता है। आराम मिलेगा।
    २६ दिसंबर २०११
  • दमे के लिये तुलसी और वासा
    दमे के रोगियों को तुलसी की १० पत्तियों के साथ वासा (अडूसा या वासक) का २५० मिलीलीटर पानी में उबालकर काढ़ा बनाकर दें। लगभग २१ दिनों तक सुबह यह काढ़ा पीने से आराम आ जाता है।
    १९ दिसंबर २०११
     
  • अरुचि के लिये मुनक्का हरड़ और चीनी
    भूख न लगती हो तो बराबर मात्रा में मुनक्का (बीज निकाल दें), हरड़ और चीनी को पीसकर चटनी बना लें। इसे पाँच छह ग्राम की मात्रा में (एक छोटा चम्मच), थोड़ा शहद मिला कर खाने से पहले दिन में दो बार चाटें।
    १२ दिसंबर २०११
     
  • मौसमी खाँसी के लिये सेंधा नमक
    सेंधे नमक की लगभग एक सौ ग्राम डली को चिमटे से पकड़कर आग पर, गैस पर या तवे पर अच्छी तरह गर्म कर लें। जब लाल होने लगे तब गर्म डली को तुरंत आधा कप पानी में डुबोकर निकाल लें और नमकीन गर्म पानी को एक ही बार में पी जाएँ। ऐसा नमकीन पानी सोते समय लगातार दो-तीन दिन पीने से खाँसी, विशेषकर बलगमी खाँसी से आराम मिलता है। नमक की डली को सुखाकर रख लें एक ही डली का बार बार प्रयोग किया जा सकता है।
    ५ दिसंबर २०११
     
  • बदन के दर्द में कपूर और सरसों का तेल
    १० ग्राम कपूर, २०० ग्राम सरसों का तेल - दोनों को शीशी में भरकर मजबूत ठक्कन लगा दें तथा शीशी धूप में रख दें। जब दोनों वस्तुएँ मिलकर एक रस होकर घुल जाए तब इस तेल की मालिश से नसों का दर्द, पीठ और कमर का दर्द और, माँसपेशियों के दर्द शीघ्र ही ठीक हो जाते हैं।
    २८ नवंबर २०११
     
  • बैठे हुए गले के लिये मुलेठी का चूर्णमुलेठी के चूर्ण को पान के पत्ते में रखकर खाने से बैठा हुआ गला ठीक हो जाता है। या सोते समय एक ग्राम मुलेठी के चूर्ण को मुख में रखकर कुछ देर चबाते रहे। फिर वैसे ही मुँह में रखकर जाएँ। प्रातः काल तक गला साफ हो जायेगा। गले के दर्द और सूजन में भी आराम आ जाता है।
    २१ नवंबर २०११
     
  • फटे हाथ पैरों के लिये सरसों या जैतून का तेलनाभि में प्रतिदिन सरसों का तेल लगाने से होंठ नहीं फटते और फटे हुए होंठ मुलायम और सुन्दर हो जाते है। साथ ही नेत्रों की खुजली और खुश्की दूर हो जाती है। 
    १४ नवंबर २०११
     
  • सर्दी बुखार और साँस के पुराने रोगों के लिये तुलसी-तुलसी की २१ पत्तियाँ स्वच्छ खरल या सिलबट्टे (जिस पर मसाला न पीसा गया हो) पर चटनी की भाँति पीस लें और १० से ३० ग्राम मीठे दही में मिलाकर नित्य प्रातः खाली पेट तीन मास तक खाएँ। दही खट्टा न हो। यदि दही माफिक न आये तो एक-दो चम्मच शहद मिलाकर लें। छोटे बच्चों को आधा ग्राम तुलसी की चटनी शहद में मिलाकर दें। दूध के साथ भूलकर भी न दें। औषधि प्रातः खाली पेट लें। आधा एक घंटे पश्चात नाश्ता ले सकते हैं।
    ७ नवंबर २०११
     
  • मुँह और गले के कष्टों के लिये सौंफ और मिश्रीभोजन के बाद दोनों समय आधा चम्मच सौंफ चबाने से मुख की अनेक बीमारियाँ और सूखी खाँसी दूर होती है, बैठी हुई आवाज़ खुल जाती है, गले की खुश्की ठीक होती है और आवाज मधुर हो जाती है। 
    ३१ अक्तूबर २०११
     
  • जोड़ों के दर्द के लिये बथुए का रसबथुआ के ताजा पत्तों का रस पन्द्रह ग्राम प्रतिदिन पीने से गठिया दूर होता है। इस रस में नमक-चीनी आदि कुछ न मिलाएँ। नित्य प्रातः खाली पेट लें या फिर शाम चार बजे। इसके लेने के आगे पीछे दो-दो घंटे कुछ न लें। दो तीन माह तक लें। 
    २४ अक्तूबर २०११
     
  • अधिक क्रोध के लिये आँवले का मुरब्बा और गुलकंदबहुत क्रोध आता हो तो सुबह आँवले का मुरब्बा एक नग प्रतिदिन खाएँ और शाम को गुलकंद एक चम्मच खाकर ऊपर से दूध पी लें। क्रोध आना शांत हो जाएगा।
    १७ अक्तूबर २०११
     
  • पेट में कीड़ों के लिये अजवायन और नमकआधा ग्राम अजवायन चूर्ण में स्वादानुसार काला नमक मिलाकर रात्रि के समय रोजाना गर्म जल से देने से बच्चों के पेट के कीडे नष्ट होते हैं। बडों के लिये- चार भाग अजवायन के चूर्ण में एक भाग काला नमक मिलाना चाहिये और दो ग्राम की मात्रा में सोने से पहले गर्म पानी के साथ लेना चाहिये। 
    १० अक्तूबर २०११
     
  • घुटनों में दर्द के लिये अखरोटसवेरे खाली पेट तीन या चार अखरोट की गिरियाँ खाने से घुटनों का दर्द मैं आराम हो जाता है। 
    ३ अक्तूबर २०११
     
  • पेट में वायु-गैस के लिये मट्ठा और अजवायन-पेट में वायु बनने की अवस्था में भोजन के बाद १२५ ग्राम दही के मट्ठे में दो ग्राम अजवायन और आधा ग्राम काला नमक मिलाकर खाने से वायु-गैस मिटती है। एक से दो सप्ताह तक आवश्यकतानुसार दिन के भोजन के पश्चात लें। 
     २६ सितंबर २०११
     
  • काले धब्बों के लिये नीबू और नारियल का तेलचेहरे व कोहनी पर काले धब्बे दूर करने के लिये आधा चम्मच नारियल के तेल में आधे नीबू का रस निचोड़ें और त्वचा पर रगड़ें, फिर गुनगुने पानी से धो लें। १९ सितंबर २०११
     
  • शारीरिक दुर्बलता के लिये दूध और दालचीनीदो ग्राम दालचीनी का चूर्ण सुबह शाम दूध के साथ लेने से शारीरिक दुर्बलता दूर होती है और शरीर स्वस्थ हो जाता है। दो ग्राम दालचीनी के स्थान पर एक ग्राम जायफल का चूर्ण भी लिया जा सकता है।
    १२ सितंबर २०११
     
  • मसूढ़ों की सूजन के लिये अजवायन
    मसूढ़ों में सूजन होने पर अजवाइन के तेल की कुछ बूँदें पानी में मिलाकर कुल्ला करने से सूजन में आराम आ जाता है। 

    ५ सितंबर २०११
     
  • हृदय रोग में आँवले का मुरब्बा
    आँवले का मुरब्बा दिन में तीन बार सेवन करने से यह दिल की कमजोरी, धड़कन का असामान्य होना तथा दिल के रोग में अत्यंत लाभ होता है, साथ ही पित्त, ज्वर, उल्टी, जलन आदि में भी आराम मिलता है। 

    २९ अगस्त २०११
     
  • हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये दूध और काली मिर्च
    हकलाना या तुतलाना दूर करने के लिये १० ग्राम दूध में २५० ग्राम कालीमिर्च का चूर्ण मिलाकर रख लें। २-२ ग्राम चूर्ण दिन में दो बार मक्खन के साथ मिलाकर खाएँ। 

    २२ अगस्त २०११
     
  • श्वास रोगों के लिये दूध और पीपल
    एक पाव दूध में ५ पीपल डालकर गर्म करें, इसमें चीनी डालकर सुबह और ‘शाम पीने से साँस की नली के रोग जैसे खाँसी, जुकाम, दमा, फेफड़े की कमजोरी तथा वीर्य की कमी आदि रोग दूर होते हैं।१५ अगस्त २०११
     
  • अच्छी नींद के लिये मलाई और गुड़।रात में नींद न आती हो तो मलाई में गुड़ मिलाकर खाएँ और पानी पी लें। थोड़ी देर में नींद आ जाएगी।
    ८ अगस्त २०११
     
  • कमजोरी को दूर करने का सरल उपाय एक-एक चम्मच अदरक व आंवले के रस को दो कप पानी में उबाल कर छान लें। इसे दिन में तीन बार पियें। स्वाद के लिये काला नमक या शहद मिलाएँ।
    १ अगस्त २०११
     
  • पेट के रोग दूर करने के लिये मट्ठा
    मट्ठे में काला नमक और भुना जीरा मिलाएँ और हींग का तड़का लगा दें। ऐसा मट्ठा पीने से हर प्रकार के पेट के रोग में लाभ मिलता है। यह बासी या खट्टा नहीं होना चाहिये।
    २५ जुलाई २०११
     
  • घमौरियों के लिये मुल्तानी मिट्टी
    घमौरियों पर मुल्तानी मिट्टी में पानी मिलाकर लगाने से रात भर में आराम आ जाता है।
    १८ जुलाई २०११
     
  • खुजली की घरेलू दवाफटकरी के पानी से खुजली की जगह धोकर साफ करें, उस पर कपूर को नारियल के तेल मिलाकर लगाएँ लाभ होगा।११ जुलाई २०११
     
  • मुहाँसों के लिये संतरे के छिलकेसंतरे के छिलके को पीसकर मुहाँसों पर लगाने से वे जल्दी ठीक हो जाते हैं। नियमित रूप से ५ मिनट तक रोज संतरों के छिलके का पिसा हुआ मिश्रण चेहरे पर लगाने से मुहाँसों के धब्बे दूर होकर रंग में निखार आ जाता है।
    ४ जुलाई २०११
     
  • बंद नाक खोलने के लिये अजवायन की भापएक चम्मच अजवायन पीस कर गरम पानी के साथ उबालें और उसकी भाप में साँस लें। कुछ ही मिनटों में आराम मालूम होगा।
    २७ जून २०११
     
  • चर्मरोग के लिये टेसू और नीबूटेसू के फूल को सुखाकर चूर्ण बना लें। इसे नीबू के रस में मिलाकर लगाने से हर प्रकार के चर्मरोग में लाभ होता है।
    २० जून २०११
     
  • माइग्रेन के लिये काली मिर्च, हल्दी और दूधएक बड़ा चम्मच काली मिर्च का चूर्ण एक चुटकी हल्दी के साथ एक प्याले दूध में उबालें। दो तीन दिन तक लगातार रहें। माइग्रेन के दर्द में आराम मिलेगा।
    १३ जून २०११
     
  • गले में खराश के लिये जीरा
    एक गिलास उबलते पानी में एक चम्मच जीरा और एक टुकड़ा अदरक डालें ५ मिनट तक उबलने दें। इसे ठंडा होने दें। हल्का गुनगुना दिन में दो बार पियें। गले की खराश और सर्दी दोनों में लाभ होगा।
    ६ जून २०११

     
  • सर्दी जुकाम के लिये दालचीनी और शहद
    एक ग्राम पिसी दालचीनी में एक चाय का चम्मच शहद मिलाकर खाने से सर्दी जुकाम में आराम मिलता है।
    ० मई २०११

     
  • टांसिल्स के लिये हल्दी और दूध
    एक प्याला (२०० मिलीली.) दूध में आधा छोटा चम्मच (२ ग्राम) पिसी हल्दी मिलाकर उबालें। छानकर चीनी मिलाकर पीने को दें। विशेषरूप से सोते समय पीने पर तीन चार दिन में आराम मिल जाता है। रात में इसे पीने के बात मुँह साफ करना चाहिये लेकिन कुछ खाना पीना नहीं चाहिये।
    २३ मई २०११

     
  • मधुमेह के लिये आँवला और करेला
    एक प्याला करेले के रस में एक बड़ा चम्मच आँवले का रस मिलाकर रोज पीने से दो महीने में मधुमेह के कष्टों से आराम मिल जाता है।
    १६ मई २०११

     
  • मधुमेह के लिये कालीचाय-
    मधुमेह में सुबह खाली पेट एक प्याला काली चाय स्वास्थ्यवर्धक होती है। चाय में चीनी दूध या नीबू नहीं मिलाना चाहिये। यह गुर्दे की कार्यप्रणाली को लाभ पहुँचाती है जिससे मधुमेह में भी लाभ पहुँचता है।
     मई २०११

     
  • माइग्रेन और सिरदर्द के लिये सेब-
    सिरदर्द और माइग्रेन से परेशान हों तो सुबह खाली पेट एक सेब नमक लगाकर खाएँ इससे आराम आ जाएगा।
     मई २०११

     
  • अपच के लिये चटनी-
    खट्टी डकारें, गैस बनना, पेट फूलना, भूक न लगना इनमें से किसी चीज से परेशान हैं तो सिरके में प्याज और अदरक पीस कर चटनी बनाएँ इस चटनी में काला नमक डालें। एक सप्ताह तक प्रतिदिन भोजन के साथ लें, आराम आ जाएगा।
    २५ अप्रैल २०११

     
  • उच्च रक्तचाप के लिये मेथी
    सुबह उठकर खाली पेट आठ-दस मेथी के दाने निगल लेने से उच्चरक्त चाप को नियंत्रित करने में सफलता मिलती है।
    १८ अप्रैल २०११

     
  • कोलेस्ट्राल पर नियंत्रण सुपारी से
    भोजन के बाद कच्ची सुपारी २० से ४० मिनट तक चबाएँ फिर मुँह साफ़ कर लें। सुपारी का रस लार के साथ मिलकर रक्त को पतला करने जैसा काम करता है। जिससे कोलेस्ट्राल में गिरावट आती है और रक्तचाप भी कम हो जाता है।
    ११ अप्रैल २०११

     
  • जलन की चिकित्सा चावल से
    कच्चे चावल के ८-१० दाने सुबह खाली पेट पानी से निगल लें। २१ दिन तक नियमित ऐसा करने से पेट और सीन की जलन में आराम आएगा। तीन माह में यह पूरी तरह ठीक हो जाएगी।
    ४ अप्रैल २०११

     
  • दाँतों के कष्ट में तिल का उपयोगतिल को पानी में ४ घंटे भिगो दें फिर छान कर उसी पानी से मुँह को भरें और १० मिनट बाद उगल दें। चार पाँच बार इसी तरह कुल्ला करे, मुँह के घाव, दाँत में सड़न के कारण होने वाले संक्रमण और पायरिया से मुक्ति मिलती है।२८ मार्च २०११
     
  • विष से मुक्ति
    १०-१० ग्राम हल्दी, सेंधा नमक और शहद तथा ५ ग्राम देसी घी अच्छी तरह मिला लें। इसे खाने से कुत्ते, साँप, बिच्छु, मेढक, गिरगिट, आदि जहरीले जानवरों का विष उतर जाता है।
    १४ मार्च २०११
     
  • स्वस्थ त्वचा का घरेलू नुस्खा 
    नमक, हल्दी और मेथी तीनों को बराबर मात्रा में लेकर पीस लें, नहाने से पाँच मिनट पहले पानी मिलाकर इनका उबटन बना लें। इसे साबुन की तरह पूरे शरीर में लगाएँ और ५ मिनट बाद नहा लें। सप्ताह में एक बार प्रयोग करने से घमौरियों, फुंसियों तथा त्वचा की सभी बीमारियों से मुक्ति मिलती है। साथ ही त्वचा मुलायम और चमकदार भी हो जाती है।

    ७ मार्च २०११
  • ल्यूकोरिया से मुक्ति
    ल्यूकोरिया नामक रोग कमजोरी, चिडचिडापन, के साथ चेहरे की चमक उड़ा ले जाता हैं। इससे बचने का एक आसान सा उपाय- एक-एक पका केला सुबह और शाम को पूरे एक छोटे चम्मच देशी घी के साथ खा जाएँ ११-१२ दिनों में आराम दिखाई देगा। इस प्रयोग को २१ दिनों तक जारी रखना चाहिए।

    २८ फरवरी २०११
  • खाँसी में प्याज
    अगर बच्चों या बुजुर्गों को खांसी के साथ कफ ज्यादा गिर रहा हो तो एक चम्मच प्याज के रस को चीनी या गुड मिलाकर चटा दें, दिन में तीन चार बार ऐसा करने पर खाँसी से तुरंत आराम मिलता है।

     फरवरी २०११
  • बीज पपीते के स्वास्थ्य हमारा
    पके पपीते के बीजों को खूब चबा-चबा कर खाने से आँखों की रोशनी बढ़ती है। इन बीजों को सुखा कर पावडर बना कर भी रखा जा सकता है। सप्ताह में एक बार एक चम्मच पावडर पानी से फाँक लेन पर अनेक प्रकार के रोगाणुओं से रक्षा होती है।  ७ फरवरी २०११
  • मुलेठी पेप्टिक अलसर के लिये-
    मुलेठी के बारे में तो सभी जानते हैं। यह आसानी से बाजार में भी मिल जाती है। पेप्टिक अल्सर में मुलेठी का चूर्ण अमृत की तरह काम करता है। बस सुबह शाम आधा चाय का चम्मच पानी से निगल जाएँ। यह मुलेठी का चूर्ण आँखों की शक्ति भी बढ़ाता है। आँखों के लिये इसे सुबह आधे चम्मच से थोड़ा सा अधिक पानी के साथ लेना चाहिये।
    ३१ जनवरी २०११
  • भोजन से पहले अदरक-भोजन करने से दस मिनट पहले अदरक के छोटे से टुकडे को सेंधा नमक में लपेट कर [थोड़ा ज्यादा मात्रा में ] अच्छी तरह से चबा लें। दिन में दो बार इसे अपने भोजन का आवश्यक अंग बना लें, इससे हृदय मजबूत और स्वस्थ बना रहेगा, दिल से सम्बंधित कोई बीमारी नहीं होगी और निराशा व अवसाद से भी मुक्ति मिल जाएगी।
    २४ जनवरी २०११
  • मुहाँसों से मुक्ति-जायफल, काली मिर्च और लाल चन्दन तीनो का पावडर बराबर मात्रा में मिलाकर रख लें। रोज सोने से पहले २-३ चुटकी भर के पावडर हथेली पर लेकर उसमें इतना पानी मिलाए कि उबटन जैसा बन जाए खूब मिलाएँ और फिर उसे चेहरे पर लगा लें और सो जाएँ, सुबह उठकर सादे पानी से चेहरा धो लें। १५ दिन तक यह काम करें। इसी के साथ प्रतिदिन २५० ग्राम मूली खाएँ ताकि रक्त शुद्ध हो जाए और अन्दर से त्वचा को स्वस्थ पोषण मिले। १५- २० दिन में मुहाँसों से मुक्त होकर त्वचा निखर जाएगी।
    १७ जनवरी २०११
  • सरसों का तेल केवल पाँच दिन-रात में सोते समय दोनों नाक में दो दो बूँद सरसों का तेल पाँच दिनों तक लगातार डालें तो खाँसी-सर्दी और साँस की बीमारियाँ दूर हो जाएँगी। सर्दियों में नाक बंद हो जाने के दुख से मुक्ति मिलेगी और शरीर में हल्कापन मालूम होगा।१० जनवरी २०११
  • अजवायन का साप्ताहिक प्रयोग- 
    सुबह खाली पेट सप्ताह में एक बार एक चाय का चम्मच अजवायन मुँह में रखें और पानी से निगल लें। चबाएँ नहीं। यह सर्दी, खाँसी, जुकाम, बदनदर्द, कमर-दर्द, पेटदर्द, कब्जियत और घुटनों के दर्द से दूर रखेगा। १० साल से नीचे के बच्चों को आधा चम्मच २ ग्राम और १० से ऊपर सभी को एक चम्मच यानी ५ ग्राम लेना चाहिए।
    ३ जनवरी २०११
रसोईघर से- रसोई सुझाव । सौंदर्य सुझाव । स्वास्थ्य सुझाव

क्या है PIL (जनहित याचिका)

   
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PIL: जनहित में हिट

जनहित से जुड़े व्यापक महत्व के मुद्दों को हल करने में जनहित याचिका यानी पीआईएल एक कारगर हथियार है। आरटीआई आने के बाद से यह हथियार और भी धारदार हुआ है। जानना जरूरी है सीरीज की आखिरी किस्त में पीआईएल पर पूरी जानकारी दे रहे हैं राजेश चौधरीः

एक्पर्ट पैनल
डी.बी. गोस्वामी
एडवोकेट
सुप्रीम कोर्ट


अशोक अग्रवाल
एडवोकेट
दिल्ली हाई कोर्ट

रमेश गुप्ता
सीनियर लॉयर,
दिल्ली हाई कोर्ट


क्या है PIL (जनहित याचिका)
देश के हर नागरिक को संविधान की ओर से छह मूल अधिकार दिए गए हैं। ये हैं : समानता काअधिकार, स्वतंत्रता का अधिकार, शोषण के खिलाफ अधिकार, संस्कृति और शिक्षा का अधिकार,धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार और मूल अधिकार पाने का रास्ता।

अगर किसी नागरिक (आम आदमी) के किसी भी मूल अधिकार का हनन हो रहा है, तो वह हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मूल अधिकार की रक्षा के लिए गुहार लगा सकता है।वह अनुच्छेद-226 के तहत हाई कोर्ट का और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजाखटखटा सकता है।

अगर यह मामला निजी न होकर व्यापक जनहित से जुड़ा है तो याचिका को जनहित याचिका केतौर पर देखा जाता है। पीआईएल डालने वाले शख्स को अदालत को यह बताना होगा कि कैसेउस मामले में आम लोगों का हित प्रभावित हो रहा है।

अगर मामला निजी हित से जुड़ा है या निजी तौर पर किसी के अधिकारों का हनन हो रहा है तोउसे जनहित याचिका नहीं माना जाता। ऐसे मामलों में दायर की गई याचिका को पर्सनल इंट्रेस्टलिटिगेशन कहा जाता है और इसी के तहत उनकी सुनवाई होती है।

दायर की गई याचिका जनहित है या नहीं, इसका फैसला कोर्ट ही करता है।

पीआईएल में सरकार को प्रतिवादी बनाया जाता है। सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्टसरकार को उचित निर्देश जारी करती हैं। यानी पीआईएल के जरिए लोग जनहित के मामलों मेंसरकार को अदालत से निदेर्श जारी करवा सकते हैं।

कहां दाखिल होती है PIL

पीआईएल हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती हैं। इससे नीचे की अदालतों मेंपीआईएल दाखिल नहीं होती।

कोई भी पीआईएल आमतौर पर पहले हाई कोर्ट में ही दाखिल की जाती है। वहां से अर्जी खारिजहोने के बाद ही सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाता है।

कई बार मामला व्यापक जनहित से जुड़ा होता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सीधे भी पीआईएल परअनुच्छेद-32 के तहत सुनवाई करती है।

कैसे दाखिल करें PIL

लेटर के जरिये
अगर कोई शख्स आम आदमी से जुड़े मामले में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को लेटर लिखता है, तोकोर्ट देखता है कि क्या मामला वाकई आम आदमी के हित से जुड़ा है। अगर ऐसा है तो उसलेटर को ही पीआईएल के तौर पर लिया जाता है और सुनवाई होती है।

लेटर में यह बताया जाना जरूरी है कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है और याचिका में जो भीमुद्दे उठाए गए हैं, उनके हक में पुख्ता सबूत क्या हैं। अगर कोई सबूत है तो उसकी कॉपी भीलेटर के साथ लगा सकते हैं।

लेटर जनहित याचिका में तब्दील होने के बाद संबंधित पक्षों को नोटिस जारी होता है औरयाचिकाकर्ता को भी कोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है।

सुनवाई के दौरान अगर याचिकाकर्ता के पास वकील न हो तो कोर्ट वकील मुहैया करा सकती है।

लेटर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम लिखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस केनाम भी यह लेटर लिखा जा सकता है। लेटर हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकते हैं। यह हाथ सेलिखा भी हो सकता है और टाइप किया हुआ भी। लेटर डाक से भेजा जा सकता है।

जिस हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत्र से संबंधित मामला है, उसी को लेटर लिखा जाता है। लिखनेवाला कहां रहता है, इससे कोई मतलब नहीं है।

दिल्ली से संबंधित मामलों के लिए दिल्ली हाई कोर्ट में, फरीदाबाद और गुड़गांव से संबधितमामलों के लिए पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में और यूपी से जुड़े मामलों के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट में लेटर लिखना होगा।



लेटर लिखने के लिए कोर्ट के पते इस तरह हैं :

चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
तिलक मार्ग, नई दिल्ली- 110001


चीफ जस्टिस
दिल्ली हाई कोर्ट,
शेरशाह रोड, नई दिल्ली- 110003


चीफ जस्टिस
इलाहाबाद हाई कोर्ट
1, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, इलाहाबाद


चीफ जस्टिस
पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट
सेक्टर 1, चंडीगढ़


वकील के जरिये
कोई भी शख्स वकील की मदद से जनहित याचिका दायर कर सकता है।

वकील याचिका तैयार करने में मदद करते हैं। याचिका में प्रतिवादी कौन होगा और किस तरहउसे ड्रॉफ्ट किया जाएगा, इन बातों के लिए वकील की मदद जरूरी है।

पीआईएल दायर करने के लिए कोई फीस नहीं लगती। इसे सीधे काउंटर पर जाकर जमा करनाहोता है। हां, जिस वकील से इसके लिए सलाह ली जाती है, उसकी फीस देनी होती है। पीआईएलऑनलाइन दायर नहीं की जा सकती।

कोर्ट का खुद संज्ञान
अगर मीडिया में जनहित से जुड़े मामले पर कोई खबर छपे, तो सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट अपनेआप संज्ञान ले सकती हैं। कोर्ट उसे पीआईएल की तरह सुनती है और आदेश पारित करती है।

कुछ अहम केस

1. स्कूलों की मनमानी पर लगाम
दिल्ली हाई कोर्ट में 1997 में जनहित याचिका दायर कर कहा गया था कि स्कूलों को मनमानेतरीके से फीस बढ़ाने से रोका जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने 1998 में दिए अपने फैसले में कहा किस्कूलों में कमर्शलाइजेशन नहीं होगा। इसके बाद 2009 में दोबारा स्कूलों ने छठे वेतन आयोग कीसिफारिश लागू करने के नाम पर फीस बढ़ा दी। मामला फिर कोर्ट के सामने उठा और अशोकअग्रवाल ने पीआईएल में मांग की कि एक कमिटी बनाई जाए जो यह देखे कि स्कूलों में फीसबढ़ानी जरूरी है या नहीं। हाई कोर्ट ने पिछले साल जस्टिस अनिल देव कमिटी का गठन किया।कमिटी ने 200 स्कूलों के रेकॉर्ड की जांच की और बताया कि 64 स्कूलों ने गलत तरीके से फीसबढ़ाई है। कमिटी ने सिफारिश की है कि स्कूलों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह बढ़ी हुईफीस ब्याज समेत वापस करें। अभी यह पूरा मामला प्रॉसेस में चल रहा है।

2. बचपन बचाने की पहल
बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से जनवरी 2009 में हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर यूनियनऑफ इंडिया को प्रतिवादी बनाया गया और गुहार लगाई गई कि प्लेसमेंट एजेंसियों द्वारा कराईजाने वाली मानव तस्करी को रोकने का निर्देश दिया जाए। आरोप लगाया गया कि कई प्लेसमेंटएजेंसियां महिलाओं की तस्करी करती हैं और बच्चों से मजदूरी भी कराती हैं। सुनवाई के दौरानसरकार से जवाब मांगा गया। सरकार ने बताया कि श्रम विभाग प्लेसमेंट एजेंसियों को रेग्युलेटकरने के लिए कानून बना रहा है। सरकार ने एक कमिटी बना दी है जो इसे कानून बनाने केलिए विधानसभा के पास भेजेगी। याचिकाकर्ता बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़े भुवन रिभू नेबताया कि दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 दिसंबर, 2010 को सरकार को निर्देश दिया था कि वहप्लेसमेंट एजेंसियों को रजिस्टर्ड कराए। अब प्लेसमेंट एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन हो रहा है।

3. धारा 377 में संशोधन
नाज फाउंडेशन ने 2001 में दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल कर धारा 377 में संशोधन की मांगकी। कहा गया कि दो वयस्कों के बीच अगर आपसी सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाए जाएं तोउनके खिलाफ धारा 377 का केस नहीं बनना चाहिए। हाई कोर्ट ने सरकार से अपना पक्ष रखनेको कहा। इसके बाद कोर्ट ने अपने ऐतिहासिक जजमेंट में कहा कि दो वयस्क अगर आपसीसहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाते हैं तो उनके खिलाफ धारा-377 में मुकदमा नहीं बनेगा। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति के बिनाअप्राकृतिक संबंध बनाए जाते हों या फिर नाबालिग के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए जाते हों तोवह धारा-377 के दायरे में होगा। जब तक संसद इस बाबत कानून में संशोधन नहीं करती तबतक यह जजमेंट लागू रहेगा। वर्तमान में यह व्यवस्था पूरी तरह से लागू है।

4. झुग्गी वालों को बसाएं कहीं और
कुछ याचिकाकर्ताओं ने रिट याचिका दायर कर दिल्ली सरकार और एमसीडी को प्रतिवादी बनायाऔर कहा कि झुग्गियों में रहने वाले लोगों को हटाए जाने से पहले उन्हें किसी और जगह बसायाजाए। हाई कोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया कि कमजोर व गरीबों के लिए जगह तलाश करनासरकार की जिम्मेदारी है। अगर सरकारी नीति के तहत झुग्गी में रहने वालों को हटाया जाता है,तो उन्हें किसी और जगह शिफ्ट किया जाए। नई जगह पर भी इन लोगों के लिए सभी बुनियादीसुविधाएं होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि संविधान ने सबको जीने का हक दिया है। लोगों केइस मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं किया सकता। झुग्गी में रहने वाले लोग दोयम दजेर् केनागरिक नहीं हैं। अन्य लोगों की तरह वे भी बुनियादी सुविधाओं के हकदार हैं। अब यह नियम हैकि झुग्गियों में रहने वाले लोगों को हटाए जाने से पहले उन्हें किसी और जगह बसाया जाएगा।

5. रिक्शा चालकों को राहत
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने राजधानी की सड़कों पर साइकल रिक्शाचलाने वालों को राहत दी थी। हाई कोर्ट ने एमसीडी द्वारा लाइसेंस दिए जाने के लिए तय संख्याको खत्म कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि रिक्शा चालकों के उस मूल अधिकार से उन्हेंवंचित नहीं किया जा सकता, जिसमें उन्हें जीवन यापन करने के लिए कमाने का अधिकार दियागया है। चीफ जस्टिस ए. पी. शाह ने एमसीडी के उस फैसले को रद्द कर दिया था जिसमेंएमसीडी ने 99,000 से ज्यादा रिक्शा को लाइसेंस न देने की बात कहते हुए उन्हें रिक्शा चलानेसे रोक दिया था। अदालत ने कहा कि अथॉरिटी समय-समय पर अपर लिमिट को बढ़ाती हैलेकिन इसे फिक्स नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने एमसीडी के उस नियम को भी रद्द कर थादिया जिसमें कहा गया था कि रिक्शा का मालिक ही रिक्शा चलाए।

सुग्रीव दुबे कई पीआईएल दायर कर चुके हैं। उनकी दायर याचिकाओं में से ऐसे ही कुछदिलचस्प मामले:

ग्राउंड वॉटर केस
1998 की बात है। बारिश के दिन सुग्रीव ने देखा कि बारिश का पानी नालियों में जा रहा है। उन्हेंखयाल आया कि दिल्ली में एक तरफ ग्राउंड वॉटर लेवल नीचे जा रहा है और दूसरी तरफबरसाती पानी बर्बाद हो रहा है। उन्होंने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर कहा कि दिल्ली में वॉटरलेवल नीचे गिर रहा है। ऐसे में लोगों का जीवन दूभर हो जाएगा। बरसात के पानी का सहीइस्तेमाल हो और वॉटर हावेर्स्टिंग की जाए तो पानी का लेवल ऊपर आ सकता है। हाई कोर्ट नेआदेश दिया कि सरकारी इमारतों में वॉटर हावेर्स्टिंग की व्यवस्था हो। साथ ही 200 स्क्वेयर यार्डया उससे ज्यादा बड़े प्लॉट पर मकान बनाने से पहले एनओसी तभी मिले, जब वहां वॉटरहावेर्स्टिंग की व्यवस्था हो। वर्तमान में यह नियम लागू हो चुका है।

पेड़ों का बचाव
बारिश का मौसम था और तेज हवाओं के कारण राजधानी में बड़ी संख्या में पेड़ गिरे थे। सुग्रीवके घर के सामने भी पेड़ उखड़ गए थे। उन्होंने देखा कि पेड़ों की जड़ों में कंक्रीट डाली गई है।जड़ों में मिट्टी का अभाव है और जड़ें कमजोर हैं। तेज हवा और बारिश में ये कमजोर जड़ें उखड़रही हैं। हाई कोर्ट में उन्होंने जनहित याचिका दायर की और कहा कि पेड़ों को बचाना जरूरी है।हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा और बाद में आदेश दिया कि पेड़ों की जड़ों के आसपास छहफुट की दूरी तक कोई कंक्रीट नहीं डाली जाएगी। नियम बन चुका है। अगर किसी को इसकाउल्लंघन होता दिखता है तो वह शिकायत कर सकता है।

सब्जियों पर रंग
एक दिन सुग्रीव सब्जी खरीदने गए। उन्होंने देखा कि करेले का रंग गहरा हरा था। उन्होंनेदुकानदार से पूछा कि आखिर करेला इतना ताजा कैसे है। उसने बताया कि उस पर कलर चढ़ायाहै। उन्होंने सब्जी वाले से पूछा कि यह रंग अगर पेट में चला जाए तो क्या होगा? सब्जी वाले नेजवाब दिया कि आप सब्जी खरीदें और उसे अच्छी तरह धोकर खाएं। नहीं धोते तो नुकसान कीजिम्मेदारी आपकी है। इसके बाद हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया और सरकार को जवाब दाखिल करनेको कहा। बाद में हाई कोर्ट ने सरकार से इस मामले में कमिटी बनाने और तमाम जगहों से सैंपलउठाने को कहा। अभी इस मामले में प्रक्रिया चल रही है।

दुरुपयोग पर जुर्माना
कई बार पीआईएल का गलत इस्तेमाल भी होता है। ऐसे लोगों पर कोर्ट भारी हर्जाना लगाती है।ऐसे में याचिका दायर करने से पहले अपनी दलील के पक्ष में पुख्ता जानकारी जुटा लेनी चाहिए।

आरटीआई आने के बाद से पीआईएल काफी प्रभावकारी हो गई है। पहले लोगों को जानकारी केअभाव में अपनी दलील के पक्ष में दस्तावेज जुटाने में दिक्कतें होती थी, लेकिन अब लोगआरटीआई के जरिये दस्तावेजों को पुख्ता कर सकते हैं और फिर तमाम दस्तावेज सबूत के तौरपर पेश कर सकते हैं। इस तरह जनहित से जुड़े मामलों में पीआईएल ज्यादा प्रभावकारी है।

पूछें अपने सवाल
पीआईएल से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो आप हमें sundaynbt@gmail.com पर बुधवार तक भेज सकते हैं।

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क्या है PIL (जनहित याचिका)
देश के हर नागरिक को संविधान की ओर से छह मूल अधिकार दिए गए हैं। ये हैं : समानता का अधिकार,्वतंत्रता का अधिकारशोषण के िलाफ अधिकारसंस्कृति और शिक्षा का अधिकारधार्मिक स्वतंत्रता काअधिकार और मूल अधिकार पाने का रास्ता।

अगर किसी नागरिक (आम आदमीके िसी भी मूल अधिकार का हनन हो रह हैतो वह हाई कोर्ट और सुप्रीमकोर्ट में याचिका दायर कर मू अधिकार की रक्षा के लिए गुहार लगा सकता है। वह अनुच्छेद-226 के तहत हाईकोर्ट का और अनुच्छेद-32 के तहत सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकता है।

अगर यह मामला निजी  होकर व्यापक जनहित से जुड़ा है तो याचिका को जनहित याचिका के तौर पर देखाजाता है। पीआईएल डालने वाले ख्स को अदालत को यह बताना होगा कि कैसे उस मामले में आम लोगों काहित प्रभावित हो रहा है।

अगर मामला निजी हित से जुड़ा है या निजी तौर पर किसी के अधिकारों का हनन हो रहा है तो उसे जनहितयाचिका नहीं माना जाता। ऐसे मामलों में दायर की गई याचिका  पर्सनल इंट्रेस्ट लिटिगेशन कह जाता है औरइसी के तहत उनकी सुनवाई होती है।

दायर की गई याचिका जनहित है या नहींइसका फैसला कोर्ट ही करता है।

पीआईएल में सरकार को प्रतिवादी बनाया जाता है। सुनवाई के बाद ुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट सरका कोउचित निर्देश जारी करती हैं यानी पीआईएल के जरिए लोग जनहि के मामलों में सरकार को अदालत सेनिदेर्श जारी करवा सकते हैं।

कहां दाखिल होती है PIL

पीआईएल हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट में दायर की जा सकती हैं। ससे नीचे की अदालतों में पीआईएल दाखिलनहीं होती।

कोई भी पीआईएल आमतौर पर पहले हा कोर्ट में ही दाखिल की जाती ै। वहां से अर्जी खारिज होने के बाद हीसुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाता है।

कई बार मामला व्यापक जनहित से ुड़ा होता है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट सीधे भी पीआईएल पर अनुच्छेद-32 केतहत सुनवाई करती है।

कैसे दाखिल करें PIL

लेटर के जरिये
अगर कोई शख्स आम आदमी से जुड़े मामले में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट को लेटर लिखता हैतो कोर्ट देखता हैकि क्या मामला वाकई आम आदमी के हित से जुड़ा है। गर ऐसा है तो उस लेटर को ही पीआईएल के तौर परलिया जाता है और सुनवाई होती है।

लेटर में यह बताया जाना जरूरी  कि मामला कैसे जनहित से जुड़ा है और याचिका में जो भी मुद्दे उठाए गए हैं,उनके हक में पुख्ता सबूत क्या हैं। अगर कोई सबूत है तो उसकी कॉपी भी लेटर के सा लगा सकते हैं।

लेटर जनहित याचिका में तब्दील ोने के बाद संबंधित पक्षों को ोटिस जारी होता है और याचिकाकर्ता को भीकोर्ट में पेश होने के लिए कहा जाता है।

सुनवाई के दौरान अगर याचिकाकर्ता के पास वकील  हो तो कोर्ट कील मुहैया करा सकती है।

लेटर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस  नाम लिखा जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस के नाम भी यह लेटरलिखा जा सकता है। लेटर हिंदी या अंग्रेजी में लिख सकते हैं। यह हाथ से लिखा भी हो सकत है और टाइप कियाहुआ भी। लेटर डाक से भेजा जा सकता है।

जिस हाई कोर्ट के अधिकार क्षेत् से संबंधित मामला हैउसी को लेटर लिखा जाता है। लिखने वाला कहां रहताहैइससे कोई मतलब नही है।

दिल्ली से संबंधित मामलों के लि दिल्ली हाई कोर्ट मेंफरीदाबाद और गुड़गांव से संबधित मामलों के लिएपंजाब एंड हरियाणा ाई कोर्ट में और यूपी से जुड़े मामलों के लिए इलाहाबाद हाई कोर्ट में लेटर लिखना होगा।



लेटर लिखने के लिए कोर्ट के पते इस तरह हैं :

चीफ जस्टिस
सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया
तिलक मार्ग, नई दिल्ली- 110001


चीफ जस्टिस
दिल्ली हाई कोर्ट,
शेरशाह रोड, नई दिल्ली- 110003


चीफ जस्टिस
इलाहाबाद हाई कोर्ट
1, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग, इलाहाबाद


चीफ जस्टिस
पंजाब ऐंड हरियाणा हाई कोर्ट
सेक्टर 1, चंडीगढ़


वकील के जरिये
कोई भी शख्स वकील की मदद से जनहित याचिका दायर कर सकता है।

वकील याचिका तैयार करने में मदद करते हैं। याचिका में प्रतिवादी कौन होगा और किस तरह उसे ड्रॉफ्ट कियाजाएगाइन बातों के िए वकील की मदद जरूरी है।

पीआईएल दायर करने के लिए कोई फी नहीं लगती। इसे सीधे काउंटर  जाकर जमा करना होता है। हां,िस वकील से इसके लिए सलाह ली जाती हैउसकी फीस देनी होती है। पीआईएल ऑनलाइन दायर नहीं कीजा कती।

कोर्ट का खुद संज्ञान
अगर मीडिया में जनहित से जुड़े मामले पर कोई खबर छपेतो सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट अपने आप संज्ञान लेसकती हैं। कोर्ट उसे पीआईएल की तरह सुनती है और आदे पारित करती है।

कुछ अहम केस

1. स्कूलों की मनमानी पर लगाम
दिल्ली हाई कोर्ट में 1997 में जनहित याचिका दायर कर कहा गया  कि स्कूलों को मनमाने तरीके  फीसबढ़ाने से रोका जाना चाहिए। हाई कोर्ट ने 1998 में दिए पने फैसले में कहा कि स्कूलों ें कमर्शलाइजेशन नहींहोगा। इसके बाद 2009 में दोबारा स्कूलों  छठे वेतन आयोग की सिफारिश लागू करने के नाम पर फीस बढ़ादी। मामला फिर कोर्ट के सामने उठा  अशोक अग्रवाल ने पीआईएल में ांग की कि एक कमिटी बनाई जाएजो यह देखे कि स्कूलों में फीस बढ़ानी जरूरी है या नहीं। हाई कोर् ने पिछले साल जस्टिस अनिल देव कमिटी कागठन किया। कमिटी ने 200 स्कूलों के रेकॉर्ड की जांच की और बताया कि 64 स्कूलों ने गलत तरीके से फीस बढ़ाईहै। कमिटी ने सिफारिश की है कि स्कूलों को निर्देश दिया जाना चाहिए कि वह बढ़ी हुई फीस ब्याज समेत वापसकरें। अभी यह पूरा मामला प्रॉसेस में चल रहा है।

2. बचपन बचाने की पहल
बचपन बचाओ आंदोलन की ओर से जनवर 2009 में हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर यूनियन ऑफ इंडिया कोप्रतिवादी बनाया गया और गुहार लगाई गई कि प्लेसमेंट एजेंसियो द्वारा कराई जाने वाली मानव स्करी कोरोकने का निर्देश दिया जाए। आरोप लगाया गया कि कई प्लेसमेंट एजेंसियां महिलाओं की तस्करी करती हैं औरबच्चों से मजदूरी भी कराती हैं। सुनवाई के दौरान सरकार से जवाब मांगा गया। रकार ने बताया कि श्रम विभागप्लेसमेंट एजेंसियों को रेग्युलेट करने के लिए कानून बना रहा है। सरकार ने एक कमिटी बना दी है  इसे कानूनबनाने के लिए विधानसभा के पास भेजेगी। याचिकाकर्ता बचपन बचाओ आंदोलन से जुड़े ुवन रिभू ने बतायाकि दिल्ली हाई कोर्ट ने 24 दिसंबर, 2010 को सरकार को निर्देश दिया था कि वह प्लेसमेंट एजेंसियों  रजिस्टर्डकराए। अब प्लेसमेंट एजेंसियों का रजिस्ट्रेशन हो रह है।

3. धारा 377 में संशोधन
नाज फाउंडेशन ने 2001 में दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दाखिल  धारा 377 में संशोधन की मांग की। कहा गयाकि दो वयस्कों के बी अगर आपसी सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाए जाएं तो उनके खिलाफ धारा 377 काकेस नहीं बनना चाहिए। हाई कोर्ट ने सरकार से अपना पक्ष रखने को कहा। इसके बाद कोर्ट ने अपने ऐतिहासिकजजमेंट में कहा कि दो वयस्क अगर आपसी सहमति से अप्राकृतिक संबंध बनाते है तो उनके खिलाफ धारा-377में मुकदमा नहीं बनेगा। इस के साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ किया कि अगर दो वयस्कों के बीच आपसी सहमति बिना अप्राकृतिक संबंध बनाए ाते हों या फिर नाबालिग के साथ अप्राकृतिक संबंध बनाए जाते हों तो वहधारा-377 के दायरे में होगा। जब तक संसद इस बाबत कानून ें संशोधन नहीं करती तब तक यह जमेंट लागूरहेगा। वर्तमान में  व्यवस्था पूरी तरह से लागू है

4. झुग्गी वालों को बसाएं कहीं और
कुछ याचिकाकर्ताओं ने रिट याचिका दायर कर दिल्ली सरकार और एमसीडी को प्रतिवादी बनाया और कहा किझुग्गियों में रहने वाले लोगो को हटाए जाने से पहले उन्हें किसी और जगह बसाया जाए। हाई कोर्ट ने सरकार कोनिर्देश दिया कि कमजोर  गरीबों के लिए जगह तला करना सरकार की जिम्मेदारी है। अगर सरकारी नीति केतहत झुग्गी में रहने वालों को हटाया जाता तो उन्हें किसी और जगह शिफ्ट किया जाए। नई जगह पर भी इनलोगो के लिए सभी बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए। अदालत ने कहा कि ंविधान ने सबको जीने का हक दियाहै। लोगों के इस मूल अधिकार का उल्लंघन नहीं किया सकता। झुग्गी में रहने वाले लोग दोयम दजेर् के नागरिकनहीं हैं। अन्य लोगों की तरह वे भी बुनियादी सुविधाओं के हकदार हैं। अब यह नियम है ि झुग्गियों में रहने वालेलोगों को हटाए जाने से पहले उन्हें िसी और जगह बसाया जाएगा।

5. रिक्शा चालकों को राहत
एक जनहित याचिका पर सुनवाई के ाद हाई कोर्ट ने राजधानी की सड़कों पर साइकल रिक्शा चलाने वालो कोराहत दी थी। हाई कोर्ट ने मसीडी द्वारा लाइसेंस दिए जाने के लिए तय संख्या को खत्म कर दिया था। हाई कोर्टने कहा था कि िक्शा चालकों के उस मूल अधिकार से उन्हें वंचित नहीं किया जा कताजिसमें उन्हें जीवनयापन करने के लिए कमाने का अधिकार दिया गया है। चीफ जस्टिस पीशाह ने एमसीडी के उस फैसले कोरद्द कर दिया था जिसमें एमसीडी ने 99,000 से ज्यादा रिक्शा को लाइसेंस  देने की बात कहते हुए न्हें रिक्शाचलाने से रोक दिया था। अदालत ने कहा कि अथॉरिटी सम-समय पर अपर लिमिट को बढ़ाती  लेकिन इसेफिक्स नहीं किया जा सकता। हाई कोर्ट ने एमसीडी के  नियम को भी रद्द कर था दिया िसमें कहा गया थाकि रिक्शा का ालिक ही रिक्शा चलाए।

सुग्रीव दुबे कई पीआईएल दायर कर चुके हैं। उनकी दायर याचिकाओं में से ऐसे ही कुछ दिलचस्पमामले:

ग्राउंड वॉटर केस
1998 की बात है। बारिश के दिन ुग्रीव ने देखा कि बारिश का पानी नालियों में जा रहा है। उन्हें खयाल आयाकि दिल्ली में एक रफ ग्राउंड वॉटर लेवल नीचे जा हा है और दूसरी तरफ बरसाती पानी बर्बाद हो रहा है।उन्होंने हाई कोर्ट में पीआईएल दायर कर कहा कि दिल्ली में वॉटर लेवल नीचे िर रहा है। ऐसे में लोगों काजीवन दूभर हो जाएगा। बरसात के पानी का सही इस्तेमाल हो और वॉटर हावेर्स्टिंग की जाए तो पानी का लेवलऊपर  सकता है। हाई कोर्ट ने आदेश दिया कि सरकारी इमारतों में वॉटर हावेर्स्टिंग की व्यवस्था हो। साथ ही200 स्क्वेयर यार्ड या उससे ज्यादा बड़े प्लॉ पर मकान बनाने से पहले एनओसी तभी मिलेजब वहां वॉटरहावेर्स्टिंग की व्यवस्था हो। वर्तमान ें यह नियम लागू हो चुका है।

पेड़ों का बचाव
बारिश का मौसम था और तेज हवाओं के कारण राजधानी में बड़ी संख्या में पेड़ गिरे थे। सुग्रीव  घर के सामनेभी पेड़ उखड़ गए े। उन्होंने देखा कि पेड़ों की जड़ों में कंक्रीट डाली गई है। जड़ों में मिट्टी का अभाव है और जड़ेंकमजोर हैं। तेज हवा और बारिश में ये कमजोर जड़ें उखड़ रह हैं। हाई कोर्ट में उन्होंने जनहित याचिका दायरकी और कहा कि पेड़ों को बचाना जरूरी है। हाई कोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा  बाद में आदेश दिया कि पेड़ों जड़ों के आसपास छह फुट की दूरी तक कोई कंक्रीट नहीं डाली जाएगी। नियम बन चुका है। अगर किसी कोइसका उल्लंघन होता दिखता है तो वह शिकायत कर सकता है।

सब्जियों पर रंग
एक दिन सुग्रीव सब्जी खरीदने गए उन्होंने देखा कि करेले का रं गहरा हरा था। उन्होंने दुकानदार से पूछा किआखिर करेला इतना ताजा कैसे है। उसने बताया कि  पर कलर चढ़ाया है। उन्होंने ब्जी वाले से पूछा कि यहरंग अगर पेट में चला जाए तो क्या होगा? सब्जी वाले ने जवाब दिया कि आप सब्जी खरीदें और उसे अच्छी तरहधोकर खाएं। नहीं धोते तो नुकसान की जिम्मेदारी आपकी है। इसके ाद हाई कोर्ट ने संज्ञान लिया  सरकारको जवाब दाखिल करने को हा। बाद में हाई कोर्ट ने सरकार से इस मामले में कमिटी बनाने  तमाम जगहोंसे सैंपल उठाने को कहा। अभी इस मामले में प्रक्रिया चल रही है।

दुरुपयोग पर जुर्माना
कई बार पीआईएल का गलत इस्तेमाल भी होता है। ऐसे लोगों पर कोर्ट भारी हर्जाना लगाती है। ऐसे मे याचिकादायर करने से पहले अपनी दलील के पक्ष में पुख्ता जानकारी जुटा लेनी चाहिए।

आरटीआई आने के बाद से पीआईएल काफी प्रभावकारी हो गई है। पहले ोगों को जानकारी के अभाव में अपनीदलील के पक्ष में दस्तावेज जुटाने में दिक्कतें होती थीलेकिन अब लोग आरटीआई के जरिये दस्तावेजों को पुख्ताकर सकते हैं  फिर तमाम दस्तावेज सबूत के तौ पर पेश कर सकते हैं। इस तरह नहित से जुड़े मामलों मेंपीआईएल ज्यादा प्रभावकारी है।

पूछें अपने सवाल
पीआईएल से जुड़ा आपका कोई सवाल है तो आप हमेंsundaynbt@gmail.com ,  surender.ang@gmail.com पर बुधवार तक भेज सकते हैं।
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i copied it from here : 
http://navbharattimes.indiatimes.com/how-to-file-pil/articleshow/18315525.cms