श्रीरामचरितमानस पूरे संसार में भक्ति और नीति का जैसा ग्रंथ है ऐसा विलक्षण ग्रंथ विश्व में कोई नहीं
और हिंदुओं के लिए इसका पढ़ना कर्तव्य था मगर भगवान की इच्छा ऐसी है कि इसको हिंदुओं ने पढ़ना छोड़ दिया
एक एक शब्द भगवान की भक्ति से ओतप्रोत है काश अगर इसका प्रचार हिंदू समाज में हो गया होता तो आज हिंदू बहुत श्रेष्ठ होता और बाकी के असुर भी देवता बनने का प्रयत्न करते
और यह समस्या जड़ से खत्म हो जाती नगर हिंदुओं को हिंदू बनना गवारा ना हुआ
और हिंदुओं के लिए इसका पढ़ना कर्तव्य था मगर भगवान की इच्छा ऐसी है कि इसको हिंदुओं ने पढ़ना छोड़ दिया
एक एक शब्द भगवान की भक्ति से ओतप्रोत है काश अगर इसका प्रचार हिंदू समाज में हो गया होता तो आज हिंदू बहुत श्रेष्ठ होता और बाकी के असुर भी देवता बनने का प्रयत्न करते
और यह समस्या जड़ से खत्म हो जाती नगर हिंदुओं को हिंदू बनना गवारा ना हुआ
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