Om Jai Jagdish Hare is the most popular of the Hindu aartis. Composed sometime around 1870s by Pandit Shardha Ram Phillauri in Punjab, India , now it is sung around the world by Hindus of all background. Even though it is in Hindi, it is universally used by Hindus speaking any of the numerous Indian languages, or belonging to any one of many sects. It may have been inspired by Dashavatara (दशावतार कीर्ति धवलम्) section of Gita Govinda of Jayadeva, a lyrical composition of 12th century, which has the same refrain:
The prayer is sung at the time of aarti
(Source: Wikipedia)
ॐ जय जगदीश हरे, स्वामी जय जगदीश हरे .
भक्त जनों के संकट, क्षण में दूर करे ..
जो ध्यावे फल पावे, दुख बिनसे मन का .
सुख सम्पति घर आवे, कष्ट मिटे तन का ..
मात पिता तुम मेरे, शरण गहूं मैं किसकी .
तुम बिन और न दूजा, आस करूं मैं जिसकी ..
तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतरयामी .
पारब्रह्म परमेश्वर, तुम सब के स्वामी ..
तुम करुणा के सागर, तुम पालनकर्ता .
मैं सेवक तुम स्वामी, कृपा करो भर्ता ..
तुम हो एक अगोचर, सबके प्राणपति .
किस विधि मिलूं दयामय, तुमको मैं कुमति ..
दीनबंधु दुखहर्ता, तुम रक्षक मेरे .
करुणा हस्त बढ़ाओ, द्वार पड़ा तेरे ..
विषय विकार मिटाओ, पाप हरो देवा .
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ, संतन की सेवा ..
तन-मन-धन सब है तेरा ।
तेरा तुझको अर्पण, क्या लागे मेरा ॥
Om Jaye Jagdish Hare,
Swami Jaye Jagdish Hare
Bhakt Jano Ke Sankat,
Khshan Mein Dur Kare …
JoDhaywe Phal Pave,
Dukh Vinshe Man Ka
Sukh Sampati Ghar Aave,
Kasht Mite Tan Ka …
Maat-Pita Tum Mere,
Sharan Gahun Kiskee
Tum Bin Aur Na Duja,
Aas Karun Jiskee …
Tum Puran Parmatma,
Tum Antaryami
Par-Brahm Parmeshwar,
Tum Sabke Swami …
Tum Karuna Ke Saagar,
Tum Palankarta
Mein Moorakh Khal Kami,
Mein Sewak Tum Swami,
Kripa Karo Bharta …
Tum Ho Ek Agochar,
Sabke Pran Pati
Kis Vidhi Milun Dayamay,
Tumko Mein Kumti …
Deenbandhu Dukh Harta,
Thakur Tum Mere
Apne Hath Badao,
Apni Sharan Lagao,
Dwar Para Tere …
Vishay Vikaar Mitao,
Paap Haro Deva
Shradha Bhakti Barao,
Santan Ki Sewa …
Tan Man Dhan,
Sab Hai Tera
Tera Tujhko Arpan,
Kya Lage Mera …
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे,
दुख बिनसे मन का
स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्मति घर आवे,
सुख सम्मति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी .
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतरयामी
स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता,
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूं दयामय,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ द्
वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
षय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा,.
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
‘ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे
जो ध्यावे फल पावे,
दुख बिनसे मन का
स्वामी दुख बिनसे मन का
सुख सम्पति घर आवे,
सुख सम्पति घर आवे,
कष्ट मिटे तन का
ॐ जय जगदीश हरे
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा,
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतरयामी
स्वामी तुम अंतरयामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी
ॐ जय जगदीश हरे
तुम करुणा के सागर,
तुम पालनकर्ता
स्वामी तुम पालनकर्ता,
मैं मूरख खल कामी
मैं सेवक तुम स्वामी,
कृपा करो भर्ता
ॐ जय जगदीश हरे
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति, क
िस विधि मिलूं दयामय, क
िस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति
ॐ जय जगदीश हरे
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठाओ,
अपने शरण लगाओ द्
वार पड़ा तेरे
ॐ जय जगदीश हरे
षय विकार मिटाओ,
पाप हरो देवा,
स्वमी पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ,
संतन की सेवा
ॐ जय जगदीश हरे
ॐ जय जगदीश हरे
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे,
ॐ जय जगदीश हरे’
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