गंगापुत्र स्वामी निगमानंद शहीद , रामदेव बाल बाल बचे.
देख लिया, किसी के मरने से सरकारों को कोई फर्क नहीं परता.
यदि अनशन पर जा रहे हो और आपके पीछे , मनाने वाले, मीडिया को बुला कर उनकी खिदमत करने वालों की टीम नहीं है , तो भूख से मरने के लिए तैयार हो जाओ.
अभी १२ घंटे बाद भी किसी नेता , संत समाज, का कोई व्यक्तव्य नहीं . श्री श्री आप ही कुछ बोलो .
अरे सब दर रहे हैं. बाबा रामदेव जी आप ही मुख खोलो ,
हरिद्वार में एक संत गंगा माता के लिए मर जाये , और पूरा देश खामोश है .
भगवान न करे हजारे या रामदेव को कुछ हो जाये तो इनका स्मारक अवश्य बन जायेगा,
पर निगमानंद की शहादत के बाद अवैध खनन भी रुकने की कोई खबर नहीं.
चेतावनी :
भैया, इस अनशन की नक़ल मत करना. ये स्टंट योजनाबद्ध है ,
( ऐसी सुचना भी ख़बरों के साथ देनी चाहिए)
खबर :
34 वर्षीय संत स्वामी निगमानंद गंगा रक्षा की मांग को लेकर गत 19 फरवरी से मातृसदन में अनशन पर बैठे थे। अनशन के 68 वें दिन 27 अप्रैल को स्वामी निगमानंद की तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने उन्हें जिला अस्पताल में भर्ती कराया। स्थिति गंभीर होने पर उन्हें दो मई को हिमालयन इंस्टीटयूट रेफर कर दिया। यहां भी स्थिति में सुधार नहीं आया और वे कोमा में चले गए। सोमवार रात दो बजे निगमानंद की मृत्यु हो गई।
कविता लिखने वालो कुछ इस पर कविता ही बना डालो .
जो करना है जल्दी करो , फिर मैच करीब हैं. फिर क्या करोगे, प्राइम टाइम , उसमे चला जायेगा .
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