मूर्ख हिंदू या अक्लमंद हिंदू


दिल्ली के पश्चिम में एक बहुत प्राचीन कालकाजी मंदिर स्थित है , जिससे उस छेत्र का नाम ही कालकाजी है .

उसके सामने एक बहाई मस्जिद है जिसका गेट उन्होंने बिलकुल मंदिर के गेट के सामने बनाया है . और गेट पर बोर्ड लगा कर लिखा है , "बहाई उपासना मंदिर"


और सारे भक्त जो भी माता का दर्शन करने आते हैं, मंदिर बोर्ड पर पढ़ कर अंदर प्रवेश करते हैं.

अंदर कोई मूर्ति नहीं है , और जगह जगह दान पात्र रखे हैं.

फिर जैसा हिंदुओं के बारे में मशहूर है ही , वे वैसे ही हाथ जोरते हुए व दान करते हुए चलते जाते हैं.

मैंने कई बार उत्सुकता वश उनसे जानने की कोशिश की कि अंदर क्या देखा , किसका मंदिर है , पहली बात तो ये प्रश्न ही उनको हास्यापद लगता है , दूसरे जबाब , किसका , भगवान का,

भगवान की मूर्ति तो है नहीं. !

अरे बाबूजी , भगवान तो दिल में होता है .

इस प्रकार से लाखों रूपया हिन्दुस्तान के भोले हिंदुओं से इकठा करते हैं.

अगर आप गए होंगे तो आप को तो पता ही होगा बहाई क्या होते हैं.

जय भारत के हिंदू, और उनकी धार्मिक शिछा .

5 comments:

SANDEEP PANWAR said...

गुप्ता जी राम राम,
आप भी सच में ऐसा लेख लिखते हो कि सबकी चोंच बंद हो जाती है
असली हिन्दू मूर्ख है, जो समझदार है वो कथित हिन्दू है

https://worldisahome.blogspot.com said...

धन्यवाद संदीप जी,

क्या कहूँ , वैसे में भी इन्ही में से एक हूं. अब समझदार होने कि कोशिश कर रहा हूं.

आपका
अशोक गुप्ता

आशुतोष की कलम said...

अरे मे तो लोटस टेम्पल समझता था..
हाँ कोई मूर्ति तो है ही नहीं

जय हिन्दू जय हिन्दूस्थान

https://worldisahome.blogspot.com said...

धन्यवाद आशुतोष जी ,

आपने किस इमानदारी से मान लिया कि आप भी मंदिर ही समझ कर उसे देख आये.

फिर देश की करोरों अनपढ़ जनता की क्या गलती.

पर चूँकि में हमेशा शक्की रहा हूं , इसलिए देखते वक्त मुझे मालूम था मैं क्या देख रहा हूं.

ऐसे ही इस देश में बहुत बरे बरे संप्रदाय चल रहे हैं, जो नाम से तो हिंदू लगते हैं पर सिखाते कुछ और ही हैं.

और हमारी बेचारी भोली हिंदू जनता, केवल हाथ जोरना, दान डालना ही जानती है .

कमेंट्स के लिए आपका धन्यवाद

भारतीय ब्लॉग लेखक मंच said...

अच्छी रचना के लिए आभार. हिंदी लेखन के क्षेत्र में आप द्वारा किये जा रहे प्रयास स्वागत योग्य हैं.
आपको बताते हुए हमें हर्ष का अनुभव हो रहा है की भारतीय ब्लॉग लेखक मंच की स्थापना ११ फरवरी २०११ को हुयी, हमारा मकसद था की हर भारतीय लेखक चाहे वह विश्व के किसी कोने में रहता हो, वह इस सामुदायिक ब्लॉग से जुड़कर हिंदी लेखन को बढ़ावा दे. साथ ही ब्लोगर भाइयों में प्रेम और सद्भावना की बात भी पैदा करे. आप सभी लोंगो के प्रेम व विश्वाश के बदौलत इस मंच ने अल्प समय में ही अभूतपूर्व सफलता अर्जित की है. आपसे अनुरोध है की समय निकलकर एक बार अवश्य इस मंच पर आये, यदि आपको मेरा प्रयास सार्थक लगे तो समर्थक बनकर अवश्य हौसला बुलंद करे. हम आपकी प्रतीक्षा करेंगे. आप हमारे लेखक भी बन सकते है. पर नियमो का अनुसरण करना होगा.
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