सरकार राम-लीला मैदान से बहुत डरती है.
जो बुड्ढे हैं वो जानते हैं , 1975 में , जय प्रकाश के रामलीला मैदान पर हुए प्रदर्शन से ही घबरा कर सोनिया गाँधी कि सास ने इमरजेंसी लगाईं थी.
रामदेव के साथ हुए घटना उसी की पुनरावृति है.
अरे , सरकार प्रदर्शनों से डरती है,
जहाँ भी संभव हो प्रदर्शन करो, शान्ति पूर्वक, एक जुट होकर,
आखिर ये स्वतंत्रता की लड़ाई है .
राम जेठ मलानी , तुमने इस केस को हाथ में लेकर देश पर एक एहसान किया है.
हम तुम्हे क्या दे सकते हैं. तुम्हारी लंबी उम्र की कामना करते हैं.
अब खबर :
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रामलीला मैदान की घटना पर कोर्ट सख्त, पूछा 'FIR क्यों नहीं?'
योग गुरु बाबा रामदेव ने सुप्रीम कोर्ट में आरोप लगाया कि काले धन के मुद्दे पर धरने के दौरान उन पर तथा उनके समर्थकों पर पिछले माह रामलीला मैदान में आधी रात को जो ज्यादतियां की गईं, उसके पीछे केन्द्रीय गृहमंत्री पी. चिदंबरम थे। सुप्रीम कोर्ट ने इस मसले पर सख्त रुख अख्तियार करते हुए दिल्ली पुलिस से कई सवाल किए हैं। कोर्ट ने पूछा है कि बाबा के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? स्वामी रामदेव की तरफ से पेश हुए वरिष्ठ वकील राम जेठमलानी ने अनुरोध किया कि गृह मंत्री को मामले में सफाई देने का निर्देश दिया जाए और उन्हें स्वयं पेश होने के लिए नोटिस जारी किया जाए। जस्टिस बी. एस. चौहान और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की पीठ ने कहा कि चार जून की इस घटना के बारे में दिल्ली पुलिस की प्रतिक्रिया मिल जाने के बाद ही वह इस अनुरोध पर विचार
करेगी। पीठ ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 25 जुलाई की तारीख निर्धारित की।
जेठमलानी ने कहा कि योगगुरु ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विरोध करने के लिए जंतर मंतर नहीं जाने का निर्णय किया था। वह अपने समर्थकों के साथ रामलीला मैदान पर ही प्रदर्शन कर रहे थे और उसी दौरान पुलिस कार्रवाई की गई।
जेठमलानी ने कहा कि चिदंबरम को इस बात का जवाब देने के लिए तलब किया जाना चाहिए कि
यह निर्णय कब किया गया और पूरे मैदान को खाली कराने का निर्णय क्यों किया गया। इससे पूर्व पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे से कहा कि कुछ ऐसे मुद्दों पर प्रतिक्रिया दिए जाने की जरूरत है, जिन पर कानून लागू करने वाली एजेंसी ने मौन साध रखा है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियों के खिलाफ योगगुरु के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? न्यायालय ने कहा कि एक हलफनामा दाखिल कर इस मामले में सफाई दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले वाले हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि एक जून से तीन जून के बीच क्या हुआ। उसने कहा कि डीवीडी, चित्रों और दस्तावेजों से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि उस स्थल पर योगाभ्यास करवाया जा रहा था।
न्यायालय ने अधिकारियों से इस बात की सफाई देने के लिए कहा कि किस परिस्थिति के तहत उन्हें रामदेव का यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था। पीठ ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि पुलिस ने तम्बुओं से घेरी गई उस जगह से लोगों को बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के गोलों और पानी की धार का इस्तेमाल किया।
जेठमलानी ने कहा कि योगगुरु ने भ्रष्टाचार के मुद्दे पर विरोध करने के लिए जंतर मंतर नहीं जाने का निर्णय किया था। वह अपने समर्थकों के साथ रामलीला मैदान पर ही प्रदर्शन कर रहे थे और उसी दौरान पुलिस कार्रवाई की गई।
जेठमलानी ने कहा कि चिदंबरम को इस बात का जवाब देने के लिए तलब किया जाना चाहिए कि
यह निर्णय कब किया गया और पूरे मैदान को खाली कराने का निर्णय क्यों किया गया। इससे पूर्व पीठ ने दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सीनियर वकील हरीश साल्वे से कहा कि कुछ ऐसे मुद्दों पर प्रतिक्रिया दिए जाने की जरूरत है, जिन पर कानून लागू करने वाली एजेंसी ने मौन साध रखा है।
पीठ ने दिल्ली पुलिस से सवाल किया कि अधिकारियों द्वारा की गई ज्यादतियों के खिलाफ योगगुरु के समर्थकों की शिकायत पर एफआईआर क्यों नहीं दर्ज की गई? न्यायालय ने कहा कि एक हलफनामा दाखिल कर इस मामले में सफाई दी जानी चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पिछले वाले हलफनामे में यह स्पष्ट नहीं हो पाया कि एक जून से तीन जून के बीच क्या हुआ। उसने कहा कि डीवीडी, चित्रों और दस्तावेजों से स्पष्ट तौर पर पता चलता है कि उस स्थल पर योगाभ्यास करवाया जा रहा था।
न्यायालय ने अधिकारियों से इस बात की सफाई देने के लिए कहा कि किस परिस्थिति के तहत उन्हें रामदेव का यह कार्यक्रम रोकना पड़ा था। पीठ ने इस बात पर भी सवाल उठाए कि पुलिस ने तम्बुओं से घेरी गई उस जगह से लोगों को बाहर निकालने के लिए आंसू गैस के गोलों और पानी की धार का इस्तेमाल किया।
सुप्रीम कोर्ट के सीनिअर जज, सुप्रीम कोर्ट में भ्रष्टाचार के बारे में क्या कहते है :
- Supreme Court Bench, Justice B N Agrawal, Justice V S Sirpurkar and Justice G S Singhvi :
"We are not giving the certificate that no judge is corrupt. Black sheep are everywhere. It's only a question of degree."[14][15]
- Supreme Court Judge, Justice Agarwal:
"What about the character of politicians, lawyers and the society? We come from the same corrupt society and do not descend from heaven. But it seems you have descended from heaven and are, therefore, accusing us."[51]
- Supreme Court Bench, Justice Arijit Pasayat, Justice V S Sirpurkar and Justice G S Singhvi :
"The time has come because people have started categorising some judges as very honest despite it being the foremost qualification of any judge. It is the system. We have to find the mechanism to stem the rot"[52]
"Has the existing mechanism become outdated? Should with some minor modification, the mechanism could still be effective?"
- Supreme Court Bench, Justice Justice G S Singhvi :
"The rot has set in." The judges appeared to be in agreement with senior advocate Anil Devan and Solicitor General G. E. Vahanvati who, citing the falling standards, questioned the desirability of keeping the immunity judges have from prosecution.[53][54]
मुझे मालूम है उपरोक्त सिर्फ ब्लोग्विलास है ओर कुछ नहीं.फिर भी ......!
1 comment:
जो डर गया, सो मर गया, और मरे हुए को जला दो या दफ़न कर दो
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