जब आप किसी कमसिन महिला को, सुंदर सा कुत्ता घुमाते हुए देखें तो भाव विभोर न हो जाये , अपने पाँव के निचे देखें , कहीं उस जैसे किसी अमीर , कुत्ते के शौक , वाले के कुत्ते की विष्ठा पर तो आपका पाँव नहीं पड़ा है .
जब किसी के शानदार कुत्ते वाले के घर में जाएँ , तो पूछें की जब ये बाहर करता है तो क्या करते हैं. या औरों की चरण सेवा के लिए छोड देते हैं.
यह शौक अभी नए अमीरों में तेजी से बढ़ रहा है.
और भुगतना पड़ रहा है बच्चों को जो पार्कों में खेलते हैं. या मेरे जैसे बुढ्ढों को जो पार्क में घूमने जाते हैं.
क्योंकि यह शौक बड़े शहरों में हो रहा है. और नए अमीरों में,
उन्हें क्या मतलब कि वो सारे पड़ोस में गंदगी फैला कर अपने घर की शोभा बढा रहे हैं.
इन्हें क्या लेना पड़ोस से, देश से, इन्हें तो अपने से मतलब है , और बात करो तो रामदेव , हजारे , क्रिकेट , अमेरिका , शेयर , किसी भी विषय पर बात कर सकते हो . ये आधुनिक बुध्धी जीवी हैं,
जैसे ये अपने घर में कागज़ पर करते हैं , क्या वैसे ही गली , सड़कों , पार्कों को गन्दा करना जरूरी है .
विदेशी फिल्म देखते हैं, विदेशी कपडे , विदेशी खाना , विदेशी जबान , विदेशी सोव्च , केवल इस मामले में हिन्दुस्तानी, (कहीं भी गंदगी कर सकते हैं )
कितना ही पैसे वाला विदेशी है , कुत्ता घुमाने के समय हमेशा एक प्लास्टिक की थैली अवश्य उनकी जेब में रहती है , यदि कुत्ते ने कर दी , तो उसी वक्त कागज कि थैली को दस्ताने की तरह हाथ पर चढा कर , उठा कर, पलट कर , बिना हाथ गन्दा करे , उसमे डाल लेते हैं, और पास के किसी कूड़े दान में डाल देते हैं.
पर यहाँ क्यों करें ,............ कोई देख ले तो ,.............. इतना बड़ा पैसे वाला ,............ कुत्ते की टट्टी उठा रहा है , कि सड़क साफ़ रहे, ये तो येडा है,
असल में हम्मारी कालोनी में सड़के , पार्क इससे भरे रहते है . पर लगता नहीं उनमें से कोई भी भड़ास मेम्बर होगा .
क्या आप कोई उपाई सूझा सकते हैं, कि हमारी सड़कें , बच्चों के खेलने के पार्क साफ़ सुथरे रहें.
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