the meaning of this sanskrit phrase is : For the men of great character, the whole world is their family! उदार हृदय वाले लोगों का तो पृथ्वी ही परिवार है। if you like to comment/give suggestion on any part of the blog you are welcome at ashok.gupta4@gmail.com
हम कैसे हिंदू हैं, कैसे गर्व करें.
आज मेरे घर के सामने एक परोसी के यहाँ श्री रामचरित मानस का अखंड पाठ रखा गया.
बरे लोग थे सो बरे बरे लोग पाठ में आये, और किताब खोल कर बैठ गए .
पुजारी जी को क्या सूझा , उन्होंने सबसे उच्च स्वर में पाठ करने को कहा, बहुतों ने एकदम शुरू कर दिया, उनको साधुवाद है .
पर , अफ़सोस है कि अधिक्तर सही उच्चारण नहीं कर पा रहे थे ,
में उन्हें जानता हूं, बरी बरी हिंदू सभा सोसाइटीओं के पदाधिकारी हैं . पढ़ें लिखे हैं . पर उच्चारण नहीं कर पा रहे हैं, समझना तो बरी दूर की बात है .
आखिर हिंदू होने के मायने क्या हैं. !
हिंदू परिवार में जन्म ले लेना , हिंदू नाम होना , बस ...........
में जानता हूं , आप भी जानते होंगे आपके आस पास . रामायण की एक चोपाई नहीं आती, गायत्री मंत्र नहीं आता, शिखा-सूत्र , तिलक कि तो बात ही मत करो,
राम जन्मभूमि कि बात आते ही उनके विचार बाहर आने लगते हैं. फालतू की लराई है , वहाँ तो अस्पताल बनाना चैहिये , मस्जिद भी बन जाये तो क्या फर्क परता है ,
कोन जाने राम हुए भी थे या नहीं , और वहीँ हुए थे इसकी क्या गारंटी है ,
और भी क्या क्या ............
मिशनरी स्कूलों में पढ़ए हैं , बच्चे भी उन्हीं में पढ़ रहे हैं .
क्या इन्ही हिंदुओं पर हमें गर्व है , क्या ये हिंदू हैं. इनसे क्या आशा रखें.
इनका क्या करें.
कुछ टिपण्णी आयीं , उसके बाद यह लेख और जोरा :-
योगेन्द्र पल जी, रविकर जी , निखिल जी एवं तेजवानी जी,
आप सबका हार्दिक धन्यवाद.
मुख्य बात यह नहीं है कि हिंदू को शुद्ध अच्चरण आना चाहिए या नहीं.
में ये जानना चाहता था कि ब्लॉग के प्रबुद्ध वर्ग से विचार मिलता कि , एक शहर के पढ़ए लिखे हिंदू को क्या कोई मिनिमम कुआलिफिकेशन होनी चाहिए या नहीं,
हमारे बच्चों को कुछ हिंदू की बातों का पता होना चाहिए या नहीं.
एक मुसलमान कुरआन को अवश्य पढ़आ होता है , ईसाई बाइबल अवश्य पढ़आ होता है , हिंदू को ये छूट कैसे मिली हुई है, वो पेट से ही सब सिखा हुआ जन्म लेता है.
तभी तो राम जन्मभूमि पर विवाद को व्यर्थ कहता है , हिंदू पिटे, मंदिर तोरा जाये , हिंदू लरकी का रेप हो , संतों को पीटा जाये, जेल में डाला जाये , तो उसे कोई फर्क नहीं परता .
निखिल जी ने सही पकर लिया है कि मुझे कुछ अक्षर टाइप करना नहीं आता, और मुझे टाइप भी करनी कम आती है , ५७ साल का हूं ,
तेजवानी जी , मुझे फील नहीं होता, बल्कि कोई आलोचना करता है तो भी मैं धन्य होता हूं कि उसने इसे आलोचना के योग्य तो समझा .
हर व्यक्ति को अपनी सोच होती है , हमें हाँ. में हाँ वाले नहीं चाहिए.
पुनः धन्यवाद ,
अशोक गुप्ता
दिल्ली
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
2 comments:
कौन जाने राम हुए भी थे या नहीं?
"आप अच्छे हिंदू हैं" कम से कम वो लोग श्रद्धा से पूजा तो कर रहे हैं पर आप ये सवाल उठा कर क्या साबित करना चाहते हैं?
पूजा के लिए तो भाव चाहिए,
मरा-मरा रटते रटते अग्निशर्मा वाल्मिकी हो गया था,
कृपया ऐसे लेख लिखने से पहले दस बार सोच लिया करें
भरास में भी कुछ टिपण्णी आयीं वो यहाँ लिख रहा हूं : -
--------------------------
रविकर said...
सुन्दर प्रस्तुति ||
10/7/11 10:02 AM
निखिल उत्तराखंडी said...
लेखक महोदय मुझे यह तो नहीं पता कि हिन्दू होने की क्या क्या "गुण" हैं पर यह तो कतई नहीं है कि उसे मन्त्रों का शुद्ध उच्चारण आण चाहिए !!मेरे विचार में तो किसी भी धर्मावलंबी के लिए उस धर्म का सच्चा अनुयाई होने के लिए इतना ही काफी है कि वह उसके हृदय में मानवता के लिए या स्पष्ट शब्दों में कहें अन्य प्राणियों के लिए प्रेम होना चाहिए ...बस इतना ही ....
10/7/11 1:28 PM
निखिल उत्तराखंडी said...
और हाँ लगता है आप यूनीकोड लेखन में अभी अभी हाथ आजमाया है ..आपकी पोस्ट में कई भीषण व्याकरणिक और वर्तनी सम्बंधित गलतियाँ हैं मसलन "बड़ी" के लिए "बरी"(जो कि वस्तुतः अज्ञानतावश हों गई होंगी ,पर फिर भी अच्छी नहीं लग रहीं !)..कृपया पोस्ट करने से पहले एक बार कन्टेंट पर नज़र मार लिया करें !!
10/7/11 1:33 PM
तीसरी आंख said...
जनाब, आप तो बात कर रहे हैं उच्चारण की, जिन वेदों पर हमें गर्व है, सच्चाई ये है कि सौं में से एक ने ही शायद देखा हो वेदों को, और उनको पढने वाले तो कदाचित लाखों में से एक हों, आपने बात कुछ कडवी कह दी, इस कारण उत्तराखंडी जी को फील हो गया
10/7/11 8:56 PM
तीसरी आंख said...
एक और सच्चाई सुनिए, मैं अजमेर से हूं, यहां हिंदूवादी संगठनों का काफी प्रभाव है, वे मिशनरी स्कलों का विरोध करते रहते हैं, मगर सच्चाईठ ये है कि अधिकतर हिंदूवादी नेताओं के बच्चे में उन्हीं में पढते हैं
10/7/11 8:59 PM
I and god said...
योगेन्द्र पल जी, रविकर जी , निखिल जी एवं तेजवानी जी,
आप सबका हार्दिक धन्यवाद.
मुख्य बात यह नहीं है कि हिंदू को शुद्ध अच्चरण आना चाहिए या नहीं.
में ये जानना चाहता था कि ब्लॉग के प्रबुद्ध वर्ग से विचार मिलता कि , एक शहर के पढ़ए लिखे हिंदू को क्या कोई मिनिमम कुआलिफिकेशन होनी चाहिए या नहीं,
हमारे बच्चों को कुछ हिंदू की बातों का पता होना चाहिए या नहीं.
एक मुसलमान कुरआन को अवश्य पढ़आ होता है , ईसाई बाइबल अवश्य पढ़आ होता है , हिंदू को ये छूट कैसे मिली हुई है, वो पेट से ही सब सिखा हुआ जन्म लेता है.
तभी तो राम जन्मभूमि पर विवाद को व्यर्थ कहता है , हिंदू पिटे, मंदिर तोरा जाये , हिंदू लरकी का रेप हो , संतों को पीटा जाये, जेल में डाला जाये , तो उसे कोई फर्क नहीं परता .
निखिल जी ने सही पकर लिया है कि मुझे कुछ अक्षर टाइप करना नहीं आता, और मुझे टाइप भी करनी कम आती है , ५७ साल का हूं ,
तेजवानी जी , मुझे फील नहीं होता, बल्कि कोई आलोचना करता है तो भी मैं धन्य होता हूं कि उसने इसे आलोचना के योग्य तो समझा .
हर व्यक्ति को अपनी सोच होती है , हमें हाँ. में हाँ वाले नहीं चाहिए.
पुनः धन्यवाद ,
अशोक गुप्ता
दिल्ली
Post a Comment