एक खबर :
ओमपुरी, किरण बेदी के खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस स्वीकृत |
29 अगस्त 2011
सीएनएन-आईबीएन
नई दिल्ली। अन्ना हजारे की सहयोगी किरण बेदी और फिल्म अभिनेता ओम पुरी को सांसदों और राजनीतिज्ञों का मजाक उड़ाना भारी पड़ गया है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने दोनों के खिलाफ विशेषाधिकार के हनन का नोटिस देना स्वीकार कर लिया है।
मीरा कुमार ने कहा कि उन्हें बहुजन समाज पार्टी के रमाशंकर राजभर, कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन और जगदंबिका पाल, समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार, पी. एल. पुनिया, लालचंद कटारिया, मिर्जा असलम बेग तथा कुछ अन्य सदस्यों ने पुरी और बेदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस शनिवार को भेजा था
अब यह विशेषाधिकार हनन नोटिस विशेषाधिकार समिति के पास भेजा गया है।
क्या हमारे सांसद सचमुच ‘अनपढ़’ और ‘गंवार’ हैं?
गौरतलब है कि किरण बेदी ने रामलीला मैदान में अन्ना के मंच पर राजनेताओं को मुखौटाधारी कहा था और कहा था कि उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
वहीं ओम पुरी ने सांसदों को ‘गंवार’, ‘अनपढ़’ और ‘नालायक’ कहा था।
ओमपुरी ने रामलीला मैदान के बयान पर माफी मांगी
सीएनएन-आईबीएन
नई दिल्ली। अन्ना हजारे की सहयोगी किरण बेदी और फिल्म अभिनेता ओम पुरी को सांसदों और राजनीतिज्ञों का मजाक उड़ाना भारी पड़ गया है। लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार ने दोनों के खिलाफ विशेषाधिकार के हनन का नोटिस देना स्वीकार कर लिया है।
मीरा कुमार ने कहा कि उन्हें बहुजन समाज पार्टी के रमाशंकर राजभर, कांग्रेस के प्रवीण सिंह ऐरन और जगदंबिका पाल, समाजवादी पार्टी के शैलेन्द्र कुमार, पी. एल. पुनिया, लालचंद कटारिया, मिर्जा असलम बेग तथा कुछ अन्य सदस्यों ने पुरी और बेदी के खिलाफ विशेषाधिकार हनन का नोटिस शनिवार को भेजा था
अब यह विशेषाधिकार हनन नोटिस विशेषाधिकार समिति के पास भेजा गया है।
क्या हमारे सांसद सचमुच ‘अनपढ़’ और ‘गंवार’ हैं?
गौरतलब है कि किरण बेदी ने रामलीला मैदान में अन्ना के मंच पर राजनेताओं को मुखौटाधारी कहा था और कहा था कि उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।
वहीं ओम पुरी ने सांसदों को ‘गंवार’, ‘अनपढ़’ और ‘नालायक’ कहा था।
ओमपुरी ने रामलीला मैदान के बयान पर माफी मांगी
मेरी टिपण्णी :
देश में २५ करोड से अधिक लोग पिने के पानी को तरसते हैं.
इसकी जब्बाब देहि किस पर !
क्या मीरा कुमार, या देश की सुप्रीम कोर्ट या कोई और मंत्री , संत्री, इसका जबाब दे सकता है
वाह रे इज्जत वालो , उनका कहना बुरा लग गया, चोर की दाढी में तिनका .
ये ऊपर फोटो वाले क्या भारतीय नागरिक हैं ! ऐसे कितने हैं !
इनके खाने, पढ़आई के लिए कौन जिम्मेवार है !
अन्ना ने सही कहा कि एक भिखारी के दिए टैक्स पर मौज मरते हो , शर्म नहीं आती.
क्या हुआ बोलने के अधिकार का .
एक आम आदमी का, सरकार खून पी जाये तो कोई विशेष अधिकार नहीं . और चोर को चोर कहना भी जुर्म है .
जब से ये भड़ास ब्लॉग मिला हैं , कुछ ज्यादा ही भड़ास बन्ने लगी है .