"अन्ना का अनशन शहादत में बदल गया तो करोडो अन्ना को कैसे संभालेगी सरकार ?"




मेरे एक ब्लोगी मित्र ने इस शीर्षक से  ब्लॉग लिखा है : 


मेरे विचार से , सरकार ऐसा दिखा भर रही है , कि हमने बहुत कोशिश की , मगर सफलता नहीं  मिली और अचनाक अन्ना चल बसे. 


मेरा विचार है , उनकी शहादत हो गयी तो तुरंत बिल पास कर देगी.  


फिर भी यदि कुछ जन आक्रोश हुआ तो , क्या पुलिस , सेना नहीं है . 


पुलिस , सेना बेचारी का काम तो हुक्म बजा लाना है ,  


जालियां वाला बाग में भी गोलियाँ चलाने वाली देसी पुलिस ही थी 


कुछ सैकड़ों , या हज़ार लोग मरेंगे , और फिर जांच कमीशन , 


१९८४ के दंगों की सुनवाई अभी तक चल रही है .


जनता की याद दश्त बड़ी कमजोर होती है 


कम से कम अन्ना से तो छुटकारा मिलेगा .


यदि गाँधी को शहादत नहीं मिली होती , तो कांग्रेस ही उनकी मिटटी खराब करने पर उतारू थी .


इसीलिए , १५ अगस्त के जश्न में गाँधी जी शामिल नहीं हुए थे . और कांग्रेस जश्न मन रही थी .


असल में अंग्रेज गाँधी के मरने से डरते थे , क्योंकि कुछ भी कहो वे विदेश में थे , और पुलिस , सेना  भारतीय थी  , इसलिए वे कोई रिस्क नहीं लेते थे ,  पर यहाँ तो कोई डर वाली बात ही नहीं है . 

     

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