प्रिय ब्लोगी मित्रों .
अचम्भा होता है लोकपाल बिल पर सरकार द्वारा शर्मनाक बहस पर.
अचम्भा होता है, कि क्या इस देश में कोई देशभक्त नाम की चीज भी है
इन हालातों यदि कोई कहे कि मैं पत्रकार हूं, कवि हूं, ज्ञानी हूं, नेता हूं, समाजवादी, धार्मिक हूं , तो मेरे विचार से लानत है , उसके ये कहने पर,
बेशर्मी का ऐसा नंगा नाच !
अरे क्या बहस करते हो , हजारे जी , रामदेव जी , केवल कुछ पंक्ति का बिल होना चाहिए :
१ रिश्वत लेना देश के खिलाफ अपराध (देश-द्रोह) है.
२. रिश्वत लेने वाले को सीधा फांसी या उम्र कैद होगी, चाहे प्रधान मंत्री हो या राष्ट्रपति .
३ सरकार सजा नहीं देगी तो जनता देगी .
४ यदि आई ए एस , जज , पुलिस , का काम तनख्वाह से नहीं चलता , तो सरकारी नौकरी छोड़नी होगी.
५ नैकरी को निजी व्यापार नहीं बनाने दिया जायेगा .
३ सरकार सजा नहीं देगी तो जनता देगी .
४ यदि आई ए एस , जज , पुलिस , का काम तनख्वाह से नहीं चलता , तो सरकारी नौकरी छोड़नी होगी.
५ नैकरी को निजी व्यापार नहीं बनाने दिया जायेगा .
यह सबसे बड़ा मजाक है :
चोर से कह रहे हैं चोरी के खिलाफ बिल बनाओ.
हंसी आई या नहीं !
ये सब तो आप कि बुध्धि पर हंस रहे हैं.
ये सब तो आप कि बुध्धि पर हंस रहे हैं.
जय श्री राम
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