क्यों हावी हैं १५ %, ८५ % पर ?
कभी सोचा, ?
है कोई जबाब ?
है कोई उपाय ?
मेरा निजी विचार :
१. पहला कारण है , उनका संगठित होना.
२. संगठित होने का मुख्य कारण है , उनका नियमित मस्जिदों में जाना व मिलना व उपदेश सुनना .
३. अपने मजहब का बचपन से ज्ञान होना
४ मजहब के ज्ञान में मुख्य कारण है अपनी धर्म-पुस्तक को बचपन से ही पढ़ना
५ मजहब के ज्ञान से अपने मजहब में आदर होना
६ मजहब में आदर से , मजहब के लिए , मजहबियों के लिए त्याग होना
ये में उनकी बड़ाई के लिए नहीं कह रहा हूं. भगवान करे मैं शत-प्रतिशत गलत होऊं.
में उनकी नक़ल करने को नहीं कह रहा हूं.
पर उपरोक्त ये सब बातें , हमारे शाश्त्रों में लाखों सालों से लिखी है. क्या हुआ, कि हम इन पर अमल नहीं कर पा रहे .
पर क्या हमें ईमान दारी से अपने अंदर यदि कोई सुधार कि गुंजाईश हो तो सुधार नहीं करना चाहिए .
क्या में कोई , आपस में सुझाव , की आशा करूँ,
मैंने ये सब अपने एक निम्न ब्लॉग पर डाला है ,
यदि कोई सुझाव आप टिप्पणी में लिखें तो सब उसे पढ़ सकते हैं.
दासानुदास
अशोक गुप्ता
दिल्ली
1 comment:
सच कह रहे है. हिन्दुओ में धर्म के प्रति समर्पण ही नहीं है. मुस्लिमो से सीख लेनी चाहिए.
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