भारतीय साहित्य में सबसे पहले अनशन का जिक्र आया है रामायण में.
आप अधिकतर ने यह पढ़आ हुआ है, में केवल याद दिला रहा हूँ
जब सुंदरकांड में भगवान राम ने मर्यादा पूर्वक सागर से रास्ता माँगा
विनय न मानत जलधि जड़ गये तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होय न प्रीत।।
तीन दिन बहुत विनय की ,
फिर श्री राम ने लक्षमन से कहा मेरा धनुष लाओ .
पर अन्ना तो अहिंसा के पुजारी हैं . काश श्री राम भी अहिंसा के पुजारी होते .
आप अधिकतर ने यह पढ़आ हुआ है, में केवल याद दिला रहा हूँ
जब सुंदरकांड में भगवान राम ने मर्यादा पूर्वक सागर से रास्ता माँगा
विनय न मानत जलधि जड़ गये तीन दिन बीत।
बोले राम सकोप तब भय बिनु होय न प्रीत।।
तीन दिन बहुत विनय की ,
फिर श्री राम ने लक्षमन से कहा मेरा धनुष लाओ .
पर अन्ना तो अहिंसा के पुजारी हैं . काश श्री राम भी अहिंसा के पुजारी होते .
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