आखिर कब तक अन्ना अनशन कर पाएंगे ?
आखिर कब तक मीडिया अन्ना को दिखता रहेगा ?
आखिर सरकार पर दबाब क्या है ?
सरकार का पक्ष :
कब तक अन्ना भूखे रह सकते हैं .
यदि मरेंगे नहीं तो पहले कोमा में आ जायेंगे , तब उनके सहयोगी , उनको बचाने के लिए , शर्मनाक शर्तों पर समझोता कर लेंगे .
यदि मर गए, तो यकीनन देश में प्रदर्शन हिंसक भी हो सकते हैं. पुलिस पर हमला हो सकता है , (नेता तो Z सेकुरिटी से बचे रहेंगे).
पुलिस पर हमला होते ही पुलिस भी हिंसक होकर गोली-चलाएगी .
देश में अराजकता होने से , इमरजेंसी जैसा कुछ घोषित करके, बहुत से अन्ना नेता , जो अभी बहुत भाव दिखा रहे हैं , उन्हें जेल में सड़ाया जायेगा,
जनता की याद दश्त कमजोर होती है , चुनावों तक तो बहुत से प्रसंग आयेंगे,
और अगर पलड़ा हल्का दिखा तो बिल पास कर देंगे, पर अन्ना से तो छुटकारा मिलेगा.
इसलिए सारकार का पक्ष ये है तेल देखो - तेल की धार देखो .
और यदि भीड़ पहेले ही बेकाबू हो जाये तो बल्ले बल्ले.
सरकार के तो दोनों हाथों में लड्डू हैं .
हम ब्लोगी तो कवितायेँ करते ही रहेंगे , हमारे पास विषयों की कमी नहीं .
फिर हम शोक के ब्लॉग लिखेंगे .
अभी फिलहाल - जय अन्ना
3 comments:
अन्ना पूरे सिस्टम को तहस नहस कर अराजकता बढाने की दिशा में बढ रहे हैं, आम लोग भ्रष्टाचार के खिलाफ हैं, इस कारण ऐसा प्रतीत होता है कि वे अन्ना की हर बात से सहममत हैं, अन्ना का कॉज भी अच्छा है, मगर उसकी आड में संवैधनिक व्यवस्था को ही चौपट करना चाहते हैं
गिरधर जी ,
धन्यवाद , आपसे मेरा एक पूरक प्रश्न ये है कि यदि सिस्टम , देश को खा रहा हो , तो क्या उसे जल्दी से जल्दी , हर कीमत पर ध्वस्त नहीं होना चाहिए .
विनीत
अशोक गुप्ता
दिल्ली
जरूर आपको ठीक लग रहा है तो उसे ध्वस्त कर दीजिए, मैं यही तो कह रहा हूं कि अन्ना अराजकता पैदा करना चाहते हैं और अपने आपको खुदा का बच्चा समझ रहे हैं
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